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कोई न्यूक्लियर लीक नहीं... रेडिएशन अफवाह पर IAEA ने सच से उठाया पर्दा, बोला- पाक की कहानी झूठी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद फैली परमाणु रिसाव की अफवाहों को भारत, IAEA और अमेरिका ने नकार दिया है. किराना हिल्स पर निशाना साधने के दावों को भारतीय वायुसेना ने सिरे से खारिज किया. सरगोधा जैसे सैन्य अड्डों को टारगेट करने वाला यह हमला पूरी तरह पारंपरिक था. भारत ने स्पष्ट किया कि वह 'परमाणु ब्लैकमेल' के सामने नहीं झुकेगा.

कोई न्यूक्लियर लीक नहीं... रेडिएशन अफवाह पर IAEA ने सच से उठाया पर्दा, बोला- पाक की कहानी झूठी
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 15 May 2025 8:12 AM IST

भारत-पाक तनाव के बीच आईएईए का बयान केवल तकनीकी खंडन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संकेत है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने यह साफ कर दिया कि पाकिस्तान के किसी भी परमाणु संयंत्र से न तो कोई विकिरण रिसाव हुआ है, न ही ऐसी किसी घटना की पुष्टि की गई है. यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया था.

यह भ्रम उस वक्त और गहरा गया जब भारतीय एयर ऑपरेशन्स के महानिदेशक एयर मार्शल ए.के. भारती ने किराना हिल्स को लक्ष्य बनाए जाने की बात से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने व्यंग्यपूर्ण ढंग से कहा, "हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि वहाँ परमाणु प्रतिष्ठान हैं, हमें इसकी जानकारी नहीं थी." टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, IAEA के प्रेस विभाग के फ्रेडरिक डाहल ने कहा कि हमें रिपोर्टों की जानकारी है. IAEA को उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पाकिस्तान में किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ था."

IAEA ने सभी रिपोर्ट को किया ख़ारिज

वियना से जारी बयान में IAEA ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें कहा जा रहा था कि किराना हिल्स जैसे पाकिस्तानी परमाणु क्षेत्रों में भारत के हमले के बाद रेडियोएक्टिव लीक की आशंका है. भारतीय वायुसेना और विदेश मंत्रालय पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि कोई भी हमला किराना हिल्स या किसी परमाणु केंद्र को लक्ष्य बनाकर नहीं किया गया. IAEA का समर्थन भारत की उस कूटनीति को बल देता है जो पारंपरिक सैन्य कार्रवाई के बावजूद परमाणु संयंत्रों से दूरी बनाए रखने की रणनीति पर केंद्रित रही है.

जवाब देने से कतरा रहा अमेरिका

हालांकि अमेरिका ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया, लेकिन वाशिंगटन में पूछे गए सवालों से यह संकेत जरूर मिलता है कि पश्चिमी जगत पाकिस्तान के परमाणु सुरक्षा दावों को लेकर असहज है. जब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता से पूछा गया कि क्या अमेरिका ने कोई टीम पाकिस्तान भेजी है, तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया. इस चुप्पी को कूटनीतिक सतर्कता के रूप में देखा जा रहा है, जहां अमेरिका पाकिस्तान की जवाबदेही तय करने से कतराता दिख रहा है.

सिर्फ पीएएफ के ठिकानों पर हुआ हमला

भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने भी अपने जवाबी दावे किए. आईएसपीआर ने बताया कि भारतीय हमलों का निशाना पीएएफ के ठिकाने बने, मगर कोई परमाणु प्रतिक्रिया नहीं हुई. पाकिस्तानी रक्षा प्रतिष्ठान की ओर से बार-बार यह बताना कि हमला परमाणु प्रतिष्ठानों पर नहीं हुआ, खुद इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तान इस संघर्ष को परमाणु स्तर पर नहीं ले जाना चाहता या कहें, ले नहीं सकता.

भारत की स्थिति हुई मजबूत

भारत और पाकिस्तान हर साल परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी सैन्य तनाव में ऐसी संवेदनशील सुविधाएं सुरक्षित रहें. लेकिन इस बार का संदेश साफ था. भारत ने अपनी सैन्य रणनीति के तहत पारंपरिक हमले किए और पाकिस्तान की परमाणु ढाल महज़ एक मनोवैज्ञानिक ढाल बनकर रह गई. IAEA का बयान इस क्षेत्रीय संतुलन में भारत की स्थिति को और मजबूत करता है.

ऑपरेशन सिंदूर
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