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पाकिस्‍तानी सेना में रहा डॉक्‍टर, Tahawwur Rana कैसे बन गया इतना खतरनाक आतंकवादी?

कोई पढ़ा लिखा आदमी भी आतंकवादी बन सकता है, तहव्‍वुर राणा इसकी जीती जागती मिसाल है. पेशे से डॉक्‍टर राणा के दिमाग में आखिर चल क्‍या रहा था जो उसने आतंकवाद की राह चुन ली. न केवल राणा बल्कि उसके भाई और पत्‍नी भी डॉक्‍टर हैं.

पाकिस्‍तानी सेना में रहा डॉक्‍टर, Tahawwur Rana कैसे बन गया इतना खतरनाक आतंकवादी?
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प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 11 April 2025 2:17 PM

एक पढ़ा-लिखा, मेडिकल प्रोफेशनल, विदेश में सेटल, एक समय पर मानवीय सेवा में लगा इंसान — और वही इंसान सालों बाद एक ऐसे आतंकवादी हमले का साझेदार निकला, जिसने पूरे भारत को हिला दिया. सवाल यही है: तहव्‍वुर हुसैन राणा ऐसा कैसे बन गया?

तहव्‍वुर राणा का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. वहीं से उसने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की और फिर पाकिस्तान आर्मी में बतौर आर्मी डॉक्टर भर्ती हो गया. लेकिन धीरे-धीरे उसकी ज़िंदगी ने करवट लेनी शुरू की.

जानकारों के मुताबिक, राणा बचपन से ही डिसिप्लिन में रहा, पर अंदर ही अंदर वह एक Idealism और Identity crisis से जूझता रहा. पाकिस्तान में ISI का आर्मी से गहरा जुड़ाव होता है, और राणा जैसे अफसरों को ‘देशभक्ति’ के नाम पर धीरे-धीरे कट्टर मानसिकता में ढाला जाता है.

हेडली से दोस्ती: जहन में बीज बोने का वक्त

राणा की मुलाक़ात डेविड कोलमैन हेडली से आर्मी के दिनों के दौरान हुई. बाद में, दोनों ने अमेरिका में इमिग्रेशन कंसल्टेंसी कंपनी शुरू की. यहीं से राणा का मानसिक बदलाव और भी गहरा हुआ. हेडली ने उसे मुस्लिम पहचान और कश्मीर के नाम पर 'जिहाद' की चाशनी में लपेटा. मनोवैज्ञानिक कहते हैं, "ऐसे लोग जो ड्यूल आइडेंटिटी में जीते हैं, प्रोफेशनली वेल सेट, पर आइडियोलॉजिकल रूप से कन्फ्यूज, वो अक्‍सर शातिर तरीके से ब्रेनवॉश हो जाते हैं."

डबल लाइफ: बाहर इमिग्रेशन कंसल्टेंट, अंदर से आतंकी सोच

राणा एक तरफ अमेरिका में इमिग्रेशन सलाहकार की तरह काम कर रहा था, वहीं अंदर ही अंदर वो हेडली की भारत यात्राओं के लिए फर्जी पहचान और सपोर्ट दे रहा था. राणा की इस ‘ड्यूलिटी’ ने उसे इतना असंवेदनशील बना दिया कि उसे 166 जानों का बोझ तक महसूस नहीं हुआ.

Mental Manipulation या Voluntary Radicalisation?

यह बड़ा सवाल है, क्या राणा ब्रेनवॉश हुआ था, या फिर उसने पूरी तरह सोच समझकर यह रास्ता चुना? कुछ साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि राणा जैसे लोग “Cognitive Dissonance” का शिकार होते हैं, यानी वो जो सोचते हैं, करते हैं, और मानते हैं, उनमें तालमेल नहीं होता.

एक्सपर्ट्स के अनुसार, “राणा जैसे प्रोफेशनल आतंकवादी, अपने गुनाह को ‘जस्टिफाई’ करने की कोशिश करते हैं, जैसे कि ‘मैं सिर्फ मदद कर रहा था, मैं हमलावर नहीं था.’ यह एक साइकोलॉजिकल डिफेंस मैकेनिज्म है.”

स्वास्थ्य से जुड़े बहाने: सच्ची बीमारी या बचाव की चाल?

राणा की लीगल टीम ने अमेरिका में ये तर्क दिया कि वह अस्थमा, पार्किंसंस, दिल की बीमारी और ब्लैडर कैंसर से जूझ रहा है, इसलिए भारत में रहना उसके लिए मौत समान होगा. पर एनआईए सूत्रों का मानना है कि ये संवेदनशीलता जगाने की रणनीति हो सकती है, ताकि राणा की असल भूमिका पर पर्दा डाला जा सके.

तहव्वुर राणा
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