Begin typing your search...

एस जयशंकर की कूटनीति ने कैसे पाकिस्तान को UNSC में घेरा? जानें UN चीफ से क्या हुई बातचीत

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान की भूमिका को वैश्विक मंच पर उजागर कर दिया है. UNSC में भारत ने TRF का नाम लेने और 'भारत सरकार' के उल्लेख की कोशिश की, जिसे चीन और पाकिस्तान ने रोका. लेकिन अमेरिका और फ्रांस के समर्थन से भारत ने पाकिस्तान की 'विवादित क्षेत्र' की चाल को नाकाम किया. रूस ने भी भारत के पक्ष में स्थायी सदस्यता का समर्थन जताया.

एस जयशंकर की कूटनीति ने कैसे पाकिस्तान को UNSC में घेरा? जानें UN चीफ से क्या हुई बातचीत
X
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 30 April 2025 10:04 AM IST

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने भारत को कूटनीतिक रूप से तेजी से सक्रिय कर दिया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने UNSC के अस्थायी सदस्यों से संपर्क कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख अपनाने की अपील की. भारत ने स्पष्ट किया कि यह हमला केवल उसकी संप्रभुता पर नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ साझा जिम्मेदारी पर सीधा हमला है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अल्जीरिया, ग्रीस, गुयाना, पनामा, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया और सोमालिया जैसे गैर-स्थायी सदस्य देशों से सीधे संवाद किया. उन्होंने भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराते हुए इन देशों से समर्थन मांगा. यह एक स्पष्ट संदेश था कि भारत इस बार सिर्फ निंदा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सहयोग से जवाबदेही सुनिश्चित करेगा.

UN में भारत बनाम पाकिस्तान की बयानबाजी

संयुक्त राष्ट्र में जब प्रेस वक्तव्य तैयार हो रहा था, तब भारत ने चाहता था कि उसमें 'भारत सरकार' और 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' का स्पष्ट उल्लेख हो. लेकिन पाकिस्तान और चीन ने इसे रोक दिया. इसके बजाय सामान्य भाषा 'सभी संबंधित प्राधिकरणों' का प्रयोग किया गया. इससे भारत की इच्छा आंशिक रूप से असफल हुई, लेकिन भारत ने अमेरिका और फ्रांस की मदद से यह सुनिश्चित किया कि कश्मीर को 'विवादित क्षेत्र' न कहा जाए.

भारत की जवाबी कूटनीति

संयुक्त राष्ट्र में भारत की उप-स्थायी प्रतिनिधि योजना पटेल ने पाकिस्तान के उस प्रतिनिधि को करारा जवाब दिया, जिसने UNSC मंच पर भारत के खिलाफ आरोप लगाए. उन्होंने पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के उस इंटरव्यू का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने खुले तौर पर आतंकी संगठनों को समर्थन देने की बात मानी थी. पटेल ने इसे पाकिस्तान की 'दुष्ट राज्य' की पहचान बताया.

रूस और फ्रांस ने किया भारत का समर्थन

भारत को इस पूरे घटनाक्रम में रूस और फ्रांस का मजबूत समर्थन मिला. फ्रांस UNSC का अप्रैल महीना अध्यक्ष था और भारत की भाषा को काफी हद तक प्राथमिकता मिली. वहीं रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का भी खुला समर्थन किया. यह भारत के लिए कूटनीतिक जीत का संकेत है.

पाकिस्तान की रणनीति और चीन का साथ

पाकिस्तान ने जहां कश्मीर को विवादित घोषित करने की कोशिश की, वहीं उसने TRF जैसे आतंकी संगठन का नाम हटवाने में भी सफलता पाई. चीन ने उसका साथ दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान अकेले नहीं खेल रहा, बल्कि एक रणनीतिक गठबंधन के तहत भारत को वैश्विक मंच पर रोकने की कोशिश कर रहा है.

UNSC ने भारत की मांगों को नहीं किया स्वीकार

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशो से बात की. उन्होंने भारत से बात करते हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा तो की, परन्तु भारत की मांगों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया. इससे यह पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में सहमति का निर्माण कठिन होता है, खासकर जब पाकिस्तान जैसे सदस्य खुद अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल हों. फिर भी, भारत इस बार अपनी स्थिति को काफी मजबूती से पेश करने में सफल रहा.

जवाबदेही अब जरूरी

जयशंकर की अगुआई में भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकी घटनाओं पर सिर्फ बयानबाज़ी नहीं चलेगी. अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जवाबदेही और कार्रवाई की मांग की जाएगी. पाकिस्तान के 'कबूलनामे' और भारत की 'आक्रामक कूटनीति' ने इस बार सुरक्षा परिषद को असहज कर दिया है और यही भारत की रणनीतिक जीत है.

आतंकी हमला
अगला लेख