ये तो माल्या-नीरव का भी बाप निकला... बंकिम ब्रह्मभट्ट ने लगा दिया 44,39,26,75,000 रुपये का चूना, जानें कैसे हुआ खुलासा
अमेरिका में भारतीय मूल के उद्योगपति बंकिम ब्रह्मभट्ट पर 500 मिलियन डॉलर (44,39,26,75,000 रुपये) के लोन फ्रॉड का आरोप लगा है. ब्लैकरॉक और अन्य अमेरिकी बैंकों ने दावा किया है कि फर्जी ग्राहकों, झूठे इनवॉइस और नकली ईमेल आईडी के जरिए भारी रकम हड़पी गई. मामला कोर्ट में पहुंच चुका है और आरोपी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया है. यह केस नीरव मोदी और विजय माल्या जैसी वित्तीय धोखाधड़ी की याद दिलाता है. पूरा मामला जानें विस्तार से.
अमेरिका में एक ऐसा वित्तीय घोटाला सामने आया है जिसने वहां की बैंकिंग और इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्री को हिला दिया है. जिस कारोबारी पर शक की सुई है, वह कोई साधारण नाम नहीं भारतीय मूल का उद्यमी बंकिम ब्रह्मभट्ट, जिसने खुद को 30 साल का ग्लोबल टेलीकॉम बिजनेस लीडर बताया था. अब वही शख्स 500 मिलियन डॉलर (44,39,26,75,000 रुपये) की धोखाधड़ी के आरोपों में फंस चुका है.
नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चोकसी जैसे मामलों के बाद अब यह पहला बड़ा "अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट लोन स्कैम" है जिसमें एक भारतीय मूल के बिजनेसमैन पर अमेरिकी वित्तीय संस्थाओं को चूना लगाने का आरोप है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट ने खुलासा किया कि यह घोटाला सिर्फ पैसों का नहीं, बल्कि फर्जी ग्राहकों, झूठे इनवॉइस और डिजिटल धोखाधड़ी का एक सुनियोजित खेल था.
कैसे खुला 500 मिलियन डॉलर के घोटाले का खेल
ब्लैकरॉक की निजी क्रेडिट शाखा और अन्य अमेरिकी फाइनेंसरों ने दावा किया है कि वे इस “शॉकिंग फ्रॉड” के शिकार हैं. ब्रह्मभट्ट ने अपनी कंपनियों Broadband Telecom और Bridgevoice में फर्जी ग्राहक दिखाकर करोड़ों डॉलर का कर्ज लिया और उसे विदेशों में ट्रांसफर किया.
फर्जी इनवॉइस, नकली ग्राहक और डिजिटल धोखाधड़ी
जांच में पता चला कि उन्होंने झूठे टेलीकॉम क्लाइंट्स के नाम पर इनवॉइस बनाकर लोन को वैध दिखाया. यही इनवॉइस बाद में कोलैटरल के रूप में पेश किए गए. कई ईमेल आइडी भी फर्जी डोमेन पर रजिस्टर की गईं, ताकि वे असली कंपनियों जैसी दिखें.
कौन हैं बंकिम ब्रह्मभट्ट?
बंकिम ब्रह्मभट्ट, Bankai Group के फाउंडर, 30+ साल से टेलीकॉम सेक्टर में सक्रिय थे और दावा करते थे कि उनकी कंपनियां दुनिया भर की टेलीकॉम कंपनियों को नेटवर्क और पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर देती हैं. कभी ग्लोबल स्पीकर और इंडस्ट्री लीडर के रूप में पहचाने जाने वाले ब्रह्मभट्ट आज अमेरिकी अदालत में 500 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी के आरोपी हैं और केस अभी विचाराधीन है.
कब लगी चोरी पर पकड़?
जुलाई 2025 में HPS के एक कर्मचारी ने संदेह जताया कि कुछ क्लाइंट ईमेल आइडी नकली हैं. जब साइबर जांच हुई, तो डोमेन फर्जी निकले. जब यह जानकारी ब्रह्मभट्ट को बताई गई तो पहले इसे "टेक्निकल मिस्टेक" कहा गया, फिर उन्होंने कॉल उठाना बंद कर दिया.
कानूनी कार्रवाई और दिवालियापन की चाल
मामला बढ़ते ही ब्लैकरॉक और अन्य फाइनेंसरों ने अगस्त 2025 में मुकदमा दायर किया. उसी महीने ब्रह्मभट्ट ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया और उनकी कंपनियों ने Chapter 11 के तहत पुनर्गठन का आवेदन किया जिसे कई विशेषज्ञ "कानूनी ढाल" मान रहे हैं.
घोटाले की टाइमलाइन
- सितंबर 2020: HPS ने पहली बार लोन दिया
- अगस्त 2024: एक्सपोज़र 430 मिलियन डॉलर तक पहुंचा
- 2025: फ्रांस की BNP Paribas ने भी फंडिंग की
- अगस्त 2025: दिवालियापन और मुकदमा एक साथ
क्यों कहा जा रहा अमेरिका का नीरव मोदी केस?
- फर्जी कागज़ात से लोन
- विदेश में पैसे ट्रांसफर
- कर्ज चुकाने से पहले दिवालिया घोषित
- कंपनियों के अचानक बंद होने का पैटर्न
- इनवेस्टर्स को 4000 करोड़ का नुकसान
ऑफिस बंद, लिंक्डइन गायब
HPS अधिकारियों ने जब न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी वाले ऑफिस का दौरा किया, तो वहां ताला लटका मिला. आसपास के लोगों ने बताया, "कई हफ्तों से यहां कोई नहीं आया है.” इसी दौरान ब्रह्मभट्ट का लिंक्डइन प्रोफाइल भी डिलीट हो गया.





