नीरव मोदी का नया हथियार! क्या जस्टिस दीपक वर्मा रुकवा पाएंगे भगोड़े हीरा व्यापारी का प्रत्यर्पण, जानें उनके बारे में
भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी ने अपने प्रत्यर्पण मामले में एक नया दांव खेला है और इस बार उन्होंने अपने समर्थन में सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक वर्मा की विशेषज्ञ राय पेश की है. जस्टिस वर्मा के इस कदम ने मामला ब्रिटेन में एक नया मोड़ ले लिया है, क्योंकि मोदी का दावा है कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर उसे न्यायपूर्ण ट्रायल नहीं मिलेगा और कई एजेंसियों द्वारा कठोर पूछताछ का सामना करना पड़ सकता है.
लंदन की वेस्टमिंस्टर अदालत में हलचल बढ़ गई है. भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने अपने प्रत्यर्पण की लड़ाई में एक नया पत्ता फेंका है और इस बार उसका दांव किसी वकील का नहीं, बल्कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति जस्टिस दीपक वर्मा का है. वह नाम, जो कभी अदालत में न्याय की मिसाल थे, अब ‘विशेषज्ञ राय’ के रूप में उस व्यक्ति का बचाव कर रहे हैं, जिस पर भारत के सबसे बड़े बैंक घोटाले का आरोप है.
सालों से फरार नीरव मोदी ने जब देखा कि कानूनी राह खत्म होने को है, तो उसने एक ‘री-ओपनिंग अर्जी’ दायर की. उसका तर्क था कि अगर उसे भारत भेजा गया, तो वहां उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी. एजेंसियां उसे जिरह के नाम पर परेशान करेंगी और न्याय व्यवस्था की परिस्थितियां उसके खिलाफ होंगी. ऐसे में चलिए जानते हैं कौन हैं जस्टिस दीपक वर्मा?
कौन हैं जस्टिस दीपक वर्मा?
राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और फिर सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके जस्टिस दीपक वर्मा का नाम भारतीय न्यायपालिका का एक सम्मानित हिस्सा रहा है. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मामलों में विशेषज्ञ के तौर पर अपनी राय दी है. इससे पहले वे विजय माल्या के दिवालियापन मामले में भी ब्रिटिश अदालत में एक्सपर्ट विटनेस के रूप में पेश हुए थे. तब माल्या को राहत नहीं मिली थी, और अदालत ने भारतीय बैंकों के संघ के पक्ष में फैसला सुनाया था. अब वही वर्मा फिर ब्रिटिश अदालत में हैं, लेकिन इस बार चर्चा और विवाद दोनों उनके इर्द-गिर्द ज्यादा हैं.
क्या बोले जस्टिस दीपक वर्मा?
सूत्रों के अनुसार, जस्टिस दीपक वर्मा ने अपनी राय में कहा कि भारतीय जेलों की हालत और एजेंसियों के हस्तक्षेप को देखते हुए एक निष्पक्ष ट्रायल की गारंटी देना कठिन हो सकता है.
23 नवंबर पर सबकी नजर
वेस्टमिंस्टर कोर्ट ने अगस्त में नीरव मोदी की पुनःसुनवाई याचिका मंजूर कर ली थी, और अब 23 नवंबर को अगली सुनवाई होगी. भारत सरकार इसे खत्म करने की तैयारी में है, जबकि नीरव मोदी अपनी “आखिरी कानूनी बाज़ी” खेल रहा है. लंदन की ठंडी अदालत में अब गर्म सवाल मंडरा रहे हैं कि क्या एक पूर्व भारतीय जज की विशेषज्ञ राय से एक भगोड़े का भाग्य बदल सकता है? या फिर यह प्रयास नीरव मोदी के लिए ‘न्याय’ का नहीं, ‘समय’ का अंत साबित होगा?





