प्यास का बोझ उठाता बचपन! गाजा में जरीकैन ढोता दिखा 2 साल का बच्चा; दिल तोड़ने वाला Video Viral
ग़ाज़ा की जंग इज़रायल और फ़िलिस्तीन (खासकर ग़ाज़ा पट्टी में रहने वाले लोगों) के बीच चल रहा एक पुराना और गंभीर विवाद है. ग़ाज़ा पट्टी एक छोटा-सा इलाका है, जहां ज़्यादातर फ़िलिस्तीनी लोग रहते हैं. यहां पानी की संकट गहराया है, जिसका एक वीडियो वायरल हो रहा है. जहां एक 2 साल का बच्चा जरीकैन ढोता दिख रहा है.

ग़ाज़ा की जंग ने सिर्फ इमारतों को नहीं गिराया, उसने बचपन को भी मिट्टी में मिला दिया. जहां कभी बच्चों की खिलखिलाहट गूंजा करती थी, अब वहां रोते-बिलखते बच्चे नजर आते हैं. गाजा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जहां एक दो साल का बच्चा नन्हे-नन्हे हाथों में दो भारी जरीकैन उठाए, अपने परिवार के लिए पानी लाने की जद्दोजहद करता है.
उसकी डगमगाती चाल और मासूम आंखों में छुपी मजबूरी ग़ज़ा के हर बच्चे की कहानी बयां करती है. यह वीडियो पूरी दुनिया को ग़ाज़ा के मानवीय संकट की गहराई दिखा गया.
छोटी बच्चे की बड़ी जद्दोजहद
इसी क्लिप में एक छोटा बच्चा हाथ में दो बड़े जरीकैन लिए पानी तक पहुंचने के लिए संघर्ष करती दिखाई देता है. इस दो साल के बच्चे की कांपती उंगलियां और डगमगाते पांव सिर्फ पानी की तलाश नहीं है. वो एक पूरी पीढ़ी की प्यास और पुकार है.
नाकाबंदी का बच्चों पर सबसे बड़ा वार
इजरायल की सख्त नाकाबंदी ने ग़ाज़ा में पानी और खाने की सप्लाई लगभग बंद कर दी है. यूनिसेफ के मुताबिक, विस्थापित बच्चों को रोज़ाना सिर्फ़ 1.5 से 2 लीटर पानी मिल पा रहा है,जबकि इंसान को जीने के लिए कम से कम 3 लीटर और स्वस्थ जीवन के लिए 15 लीटर पानी चाहिए. इस हालात में बच्चों को डिहाइड्रेशन, कुपोषण, दस्त और जानलेवा बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.
आशियाने उजड़े, बचपन लाचार
दिसंबर से अब तक लाखों लोग अपना घर छोड़कर राफा जैसे इलाकों में शरण लिए हुए हैं, जिनमें से आधे बच्चे हैं. वहां भी हालात बदतर हैं. न दवा, न खाना, न पानी, न सुरक्षा. हाल की बाढ़ और बारिश ने जलजनित बीमारियों का खतरा और बढ़ा दिया है.
दुनिया की पुकार: अब तो जागो!
अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां ग़ाज़ा के बच्चों की हालत देखकर सन्न हैं. संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर तुरंत मदद नहीं पहुंची, तो अगले 48 घंटों में 14,000 बच्चों की जान जा सकती है. वायरल वीडियो ने इंसानियत को झकझोर दिया है. अब दुनिया की निगाहें ग़ज़ा की ओर हैं, उम्मीद है कि यह मासूम चीख़ें किसी बड़े बदलाव की दस्तक बनेंगी.