स्पेस में खाया पिज्जा-चिकन, बदले कैप्सूल के हार्डवेयर, जानें 9 महीने तक Sunita Williams ने क्या-क्या किया?
Sunita Williams धरती पर लैंड कर चुकी हैं. नौ महीने के इस सफर के दौरान बहुत कुछ हुआ, जहां तकनीकी खराबी के कारण प्लानिंग बदली गई. अब ऐसे में सभी के दिमाग में सवाल आता है कि इस लंबे सफर के दौरान सुनीता ने क्या किया? स्पेस में रहते हुए सुनीता विलियम्स ने 150 से ज्यादा साइंटिस्ट एक्सपेरिमेंट्स में भाग लिया.

पृथ्वी से 254 मील (409 किमी) ऊपर मौजूद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) ने पिछले 25 सालों से दुनिया भर के एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में भेजने का काम करता है. अमेरिका और रूस मुख्य रूप से फुटबॉल फील्ड साइज के इस रिसर्च लैब को मैनेज करते हैं, जो साइंटिफिक कोलैबोरेशन के लिए एक की हब की तरह काम करती है. नौ महीने बाद आखिरकार नासा के एस्ट्रोनॉट्स बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स ने धरती पर लैंडिग की.
लंबे समय तक स्पेस में रहने के कारण बॉडी पर असर पड़ता है. इसमें मसल्स और हड्डियां कमजोर, फ्लूइड में बदलाव जिसके कारण किडनी स्टोन और विजन में परेशानी आ सकती है. अब ऐसे में सवाल बनता है कि आखिर नौ महीने तक सुनीता ने क्या-क्या किया?
उड़ान भरने से लेकर लैंडिंग तक का सफर
यह यात्रा 5 जून को शुरू हुई और सुनीता विलियमस और बुच विल्मोर ISS पर पहुंचे. इसके बाद मिशन को रोकने की प्लानिंग की गई. जहां जून के बाद प्रोपल्शन सिस्टम की खराबी के चलते स्टार लाइन को बिना क्रू के वास भेजा गया. इसके बाद साल 2025 की शुरुआत में स्पेसएक्स मिशन के जरिए वापस आने के लिए ऑप्शनल लैंडिंग की प्लानिंग शुरू की गई. इसके बाद 18 मार्च को ISS से अनडॉक होकर वापसी की शुरुआत की, जहां आखिरकार 19 मार्च को कैप्सूल फ्लोरिड में लैंड हुआ.
स्पेस में रहते हुए क्या किया?
स्पेस में रहते हुए सुनीता विलियम्स ने 150 से ज्यादा साइंटिस्ट एक्सपेरिमेंट्स में भाग लिया. इससे स्पेस में हो रहे रिसर्च को बढ़ावा मिला. विलियम्स ने एक नया बेंचमार्क भी सेट किया क्योंकि वह अंतरिक्ष में अधिकतम समय बिताने वाली महिला बन गईं. ISS पर उनके समय का एक मुख्य आकर्षण स्टेशन के बाहर 9 भ्रमणों में फैले 62 घंटे और 9 मिनट के रिकॉर्ड-सेटिंग स्पेसवॉक थे. उनके समय का एक मुख्य आकर्षण स्टेशन के बाहर 9 भ्रमणों में फैले 62 घंटे और 9 मिनट के रिकॉर्ड-सेटिंग स्पेसवॉक थे. इस दौरान सुनीता ने स्टेशन की मेंटेनेंस और सफाई से लेकर पुराने हार्डवेयर को बदलने तक काम किया.
स्पेस में खाया पिज्जा-चिकन
एस्ट्रोनॉट्स के लिए ताजे फल और सब्जियां कम होती थी. इसके चलते बैलेंस डाइट मेंटेन करना मुश्किल होता था. स्पेस प्रोग्राम के एक इनसाइडर ने बताया था कि वह पाउडर दूध, पिज्जा, रोस्ट चिकन, झींगा कॉकटेल, टूना और नाश्ते में अनाज खाते थे. वहीं, मेडिकल टीम उनके कैलोरी इनटेक को मॉनिटर करती थी.एक रिपोर्ट में कहा गया था कि शुरुआत में एस्ट्रोनॉट्स को खाने के लिए ताजे फल और सब्जियां दी जाती थीं, लेकिन जैसे-जैसे तीन महीने बीतते गए फल और सब्जियां खत्म हो गई थीं.
बनाते थे खाना
मीट और अंडों को पहले से ही पकाया गया था. ऐसे में इन्हें केवल ISS पर गर्म करने की जरूरत थी. सूप, स्टू और कैसरोल जैसे डिहाइड्रेटेड फूड को स्टेशन के 530-गैलन मीठे पानी के टैंक से पानी का उपयोग करके फिर से हाइड्रेट किया गया था. इसके अलावा स्टेशन एस्ट्रोनॉट्स के यूरीन और पसीने को पीने के लिए ताजे पानी में भी रिसाइकिल करता है.