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फ्रांस में बड़ा सियासी संकट! मैक्रों के प्रधानमंत्री बायरू हारे विश्वास मत, अब देना होगा इस्तीफा

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को जबरदस्त राजनीतिक झटका लगा है. उनके सबसे करीबी सहयोगी और प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हार गए हैं. अब उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना होगा. फ्रांसीसी मीडिया के अनुसार, बायरू अपना इस्तीफा कल सुबह राष्ट्रपति मैक्रों को सौंप सकते हैं. यह हार पहले से अनुमानित थी, लेकिन वोटों का बिखराव और अंतर ने सबको चौंका दिया.

फ्रांस में बड़ा सियासी संकट!  मैक्रों के प्रधानमंत्री बायरू हारे विश्वास मत, अब देना होगा इस्तीफा
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( Image Source:  Social Media )
सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Published on: 8 Sept 2025 11:45 PM

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को जबरदस्त राजनीतिक झटका लगा है. उनके सबसे करीबी सहयोगी और प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू संसद में विश्वास मत हार गए हैं. अब उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना होगा. फ्रांसीसी मीडिया के अनुसार, बायरू अपना इस्तीफा कल सुबह राष्ट्रपति मैक्रों को सौंप सकते हैं. यह हार पहले से अनुमानित थी, लेकिन वोटों का बिखराव और अंतर ने सबको चौंका दिया.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक प्रधानमंत्री की हार नहीं, बल्कि मैक्रों के नेतृत्व वाले गठबंधन में गहरी दरारों का संकेत है. विश्लेषक एलेक्जेंडर कुशनर ने कहा कि “सरकार का हिस्सा रहे कुछ रूढ़िवादी सांसदों ने भी बायरू के खिलाफ वोट किया, जिससे साफ हो गया कि गठबंधन अंदर से कमजोर हो चुका है.” अब सवाल है कि मैक्रों इस सियासी संकट से कैसे निपटेंगे.

क्यों गिरी बायरू की सरकार?

  • संसद में विश्वास मत पर हार.
  • गठबंधन के अंदर ही उठी बगावत.
  • रूढ़िवादी दल के कुछ सांसदों ने किया विरोध.
  • विपक्ष पहले से ही सरकार को घेर रहा था.

मैक्रों के सामने क्या विकल्प?

1. नया प्रधानमंत्री नियुक्त करना

मैक्रों चाहें तो किसी नए चेहरे को प्रधानमंत्री बना सकते हैं. लेकिन मुश्किल यह है कि ऐसा नेता खोजना आसान नहीं, जिसे संसद की बड़ी पार्टियों का समर्थन मिल सके. पिछले साल भी नया पीएम चुनने में हफ्तों लग गए थे. तब तक बायरू अस्थायी प्रधानमंत्री बने रह सकते हैं.

2. संसद भंग कर चुनाव कराना

मैक्रों संसद को भंग कर नया चुनाव करा सकते हैं. हालांकि, इसमें बड़ा जोखिम है. अगर अत्यंत दक्षिणपंथी पार्टी ‘नेशनल रैली’ और उसकी नेता मरीन ले पेन को और ज्यादा समर्थन मिला, तो सत्ता संतुलन पूरी तरह बदल सकता है.

3. राष्ट्रपति चुनाव कराना

कुछ विपक्षी दल चाहते हैं कि मैक्रों राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा करें. लेकिन उनका कार्यकाल 2027 तक है और वे खुद चुनाव नहीं लड़ सकते. मैक्रों ने पहले ही साफ कर दिया है कि वे पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं.

  • फ्रांस के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां
  • संसद में किसी भी दल का बहुमत न होना
  • गठबंधन के भीतर अस्थिरता
  • देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ता कर्ज
  • महंगाई से जूझती आम जनता

विश्लेषकों का मानना है कि बायरू की हार ने फ्रांस की राजनीति को और अस्थिर बना दिया है. अब मैक्रों पर दबाव है कि वे जल्द ही कोई ठोस फैसला लें, वरना सत्ता संतुलन विपक्ष या चरमपंथी दलों के पक्ष में जा सकता है.

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