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ट्रंप प्रशासन ने दो जिहादियों को गोद में बिठाया, एक का 9/11 हमला और दूसरे का लश्कर से रहा है संबंध

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने व्हाइट हाउस सलाहकार बोर्ड ऑफ ले लीडर्स में इस्माइल रॉयर और शेख हमजा यूसुफ को नियुक्त किया है. दोनों पर अतीत में आतंकवादी संगठनों से जुड़े रहने, लश्कर और हमास के संपर्क और पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग कैंप का दौरा करने जैसे गंभीर आरोप लग चुके हैं. अमेरिका में इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया हो रही है.

ट्रंप प्रशासन ने दो जिहादियों को गोद में बिठाया, एक का 9/11 हमला और दूसरे का लश्कर से रहा है संबंध
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 18 May 2025 6:48 AM

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में दो ऐसे लोगों को व्हाइट हाउस के सलाहकार बोर्ड में शामिल किया गया है, जिसका इतिहास कथित रूप से जिहादी गतिविधियों से जुड़ा रहा है. इस्माइल रॉयर और शेख हमजा यूसुफ को इस बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया है, जिसकी घोषणा आधिकारिक व्हाइट हाउस वेबसाइट पर की गई. यह खबर सामने आने के बाद अमेरिका में सियासी और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, क्योंकि इन दोनों पर अतीत में गंभीर आरोप लग चुके हैं, जिनमें आतंकवादी संगठनों से संपर्क और प्रशिक्षण शामिल है.

अमेरिका की खोजी पत्रकार लूरा लूमर ने इस नियुक्ति का खुलासा करते हुए बताया कि इस्माइल रॉयर, जो कभी अमेरिकी नागरिकों पर हमले के लिए आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था, अब ‘व्हाइट हाउस सलाहकार बोर्ड ऑफ ले लीडर्स’ में स्थान पाया है. लूमर के अनुसार, रॉयर ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के ट्रेनिंग कैंप का दौरा किया था और अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) द्वारा आतंकवादी गतिविधियों के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद उसे 20 साल की सजा सुनाई गई थी, जिसमें से 13 साल उसने जेल में बिताए.

अमेरिका को बताया था नस्लवादी देश

शेख हमजा यूसुफ पर भी गंभीर आरोप लगे हैं. लूरा लूमर के मुताबिक, यूसुफ ने 9/11 से ठीक दो दिन पहले एक कार्यक्रम में भाग लिया था, जिसमें उन्होंने एक पुलिस अधिकारी की हत्या के आरोपी जमील अल अमीन के समर्थन में फंडरेज़र किया. अपने भाषण में उसने अमेरिका को नस्लवादी देश बताया और आरोप लगाया कि अल अमीन को फंसाया गया है. इसके अलावा उन्होंने 1990 में न्यूयॉर्क बम विस्फोट साजिश में दोषी शेख उमर अब्देल रहमान के मुकदमे को अन्यायपूर्ण करार दिया था.

जिहादी नेटवर्क का हिस्सा था रॉयर

रिपोर्ट के मुताबिक, रॉयर सिर्फ पाकिस्तान में लश्कर के ट्रेनिंग कैंप में ही नहीं गया था, बल्कि वह वर्जीनिया स्थित जिहादी नेटवर्क का भी हिस्सा था, जो अमेरिका पर हमले की योजना बना रहा था. इस नेटवर्क में शामिल कई इस्लामी आतंकवादियों को प्रशिक्षण दिया गया था और इन गतिविधियों की एफबीआई ने गहन जांच की थी. इसके बावजूद अब उन्हें अमेरिका की उच्च स्तरीय नीतिगत सलाहकार भूमिका में जगह दी गई है.

अमेरिका के खिलाफ की थी साजिश

लूमर ने यह भी बताया कि रॉयर पर 2003 में आतंकवाद संबंधी आरोपों में अभियोग लगाया गया था, जिसमें अल-कायदा और लश्कर की मदद करने और अमेरिका के खिलाफ युद्ध की साजिश रचने के आरोप शामिल थे. उसने 2004 में विस्फोटकों के उपयोग में सहायता देने का दोष स्वीकार किया था, जिसके चलते उसे लंबे समय की सजा हुई. ऐसे व्यक्ति को सरकारी पटल पर एक बार फिर सशक्त स्थिति देना कई विशेषज्ञों के लिए चिंताजनक है.

प्रशासन की प्राथमिकता पर उठे सवाल

अंत में, लूरा लूमर ने यह आशंका जताई कि यह निर्णय संभवतः सीधे राष्ट्रपति ट्रंप का नहीं था, बल्कि उनके प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लिया गया. फिर भी, ऐसे विवादित व्यक्तियों की नियुक्ति ने प्रशासन की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस्माइल रॉयर और हमजा यूसुफ की इस नियुक्ति को लेकर अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक भावना पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.

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