क्या टाइलेनॉल का सच में ऑटिज्म से कोई संबंध है? मेडिकल विशेषज्ञ और शोध क्या कहते हैं?
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक विवादित बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा कि आम दवा टाइलेनॉल (एसीटामिनोफेन) ऑटिज़्म से जुड़ी हो सकती है. उनके इस बयान ने सोशल मीडिया और स्वास्थ्य जगत में हड़कंप मचा दिया है. ट्रंप का यह दावा विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता पैदा कर रहा है, लेकिन इसे लेकर वैज्ञानिक और चिकित्सा विशेषज्ञों की राय कुछ अलग है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक लंबी और उलझी हुई प्रेस ब्रीफिंग में कुछ पुराने और विवादास्पद दावों को दोहराया. उन्होंने गर्भवती महिलाओं को टाइलेनोल (Tylenol), जिसे एसेटामिनोफेन (Acetaminophen) भी कहा जाता है, लेने से मना किया. इसके साथ ही उन्होंने माताओं को यह भी सलाह दी कि अपने बच्चों को यह दवा न दें.
ट्रम्प ने यह दावा किया कि टाइलेनोल और वैक्सीन्स से ऑटिज़्म के मामले बढ़ सकते हैं. हालांकि उन्होंने कोई नया मेडिकल सबूत पेश नहीं किया. इस पर एक्सपर्ट का कहना है कि एसेटामिनोफेन गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित मानी जाती है और बिना इलाज के बुखार या दर्द मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकते हैं.
'टाइलेनोल मत लें'-ट्रम्प
ट्रम्प ने प्रेस ब्रीफिंग में बार-बार कहा कि टाइलेनोल मत लें और वैक्सीन्स को लेकर पुराने मिथकों को दोहराया. उन्होंने कहा कि कई वैक्सीन देने से ऑटिज़्म के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है. हालांकि, इस दावे को साबित करने वाला कोई नया डेटा उन्होंने पेश नहीं किया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस मामले में एक्सपर्ट का कहना है कि 'टाइलेनोल के और ऑटिज़्म के बीच लिंक के बारे में अब तक की रिसर्च क्लियर नहीं है. कुछ स्टडी थोड़े बहुत संबंध दिखाते हैं, लेकिन अधिकांश रिसर्च ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं देती. इसलिए गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के बिना दवा बंद करने की सलाह देना जोखिम भरा हो सकता है.
वैक्सीन्स पर ट्रम्प की राय
ट्रम्प ने अपने बयान में शिशुओं के वैक्सीनेशन शेड्यूल पर भी शक जताया. उन्होंने बिना किसी प्रमाण के कहा कि नवजात बच्चों को हिपेटाइटिस बी की वैक्सीन की जरूरत नहीं है. उन्होंने सुझाव दिया कि यह वैक्सीन बच्चे को 12 साल की उम्र में दी जाए. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि हिपेटाइटिस बी की वैक्सीन जन्म के 24 घंटे के भीतर देना बेहद जरूरी है. यह मां से बच्चे में संक्रमण रोकने में मदद करती है. हिपेटाइटिस बी लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है और कैंसर का कारण भी बन सकता है.
विशेषज्ञों की राय
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के बायोएथिसिस्ट आर्ट कैपलान ने कहा कि ट्रम्प के बयान 'सबसे दुखद और खतरनाक सलाह हैं.' उन्होंने इसे पुराने मिथकों और बिना सबूत के राय देने के रूप में बताया.
एफडीए और लेुकोवोरिन का प्रस्ताव
इसी दिन एफडीए ने लेुकोवोरिन नामक फोलिक एसिड मेटाबोलाइट को ऑटिज़्म के संभावित उपचार के रूप में मंजूरी देने के शुरुआती कदम उठाए. यह विचार इस आधार पर है कि कुछ लोगों के दिमाग में फोलेट की कमी हो सकती है और इसे बढ़ाने से कुछ लक्षणों में सुधार हो सकता है. महिलाओं को पहले से ही गर्भावस्था से पहले और दौरान फोलिक एसिड लेने की सलाह दी जाती है ताकि जन्म दोष का जोखिम कम हो. विशेषज्ञों का कहना है कि यह संभवतः ऑटिज़्म के जोखिम को भी कम कर सकता है.
लेुकोवोरिन पहले से अन्य मेडिकल कंडीशन्स के लिए बिकता है और कुछ परिवार इसे ऑटिज़्म में मदद के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन विशेषज्ञ जैसे टैगर-फ्लसबर्ग ने कहा कि अभी केवल कुछ छोटे और शुरुआती अध्ययन हुए हैं। उन्हें लगता है कि इसे और गहन अध्ययन की जरूरत है।
ऑटिज़्म क्या है और इसकी बढ़ती दर
ऑटिज़्म कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक विकासात्मक स्थिति है, जो हर व्यक्ति में अलग तरह से दिखाई देती है. सीडीसी के अनुसार अमेरिका में लगभग 1 में 31 बच्चों को ऑटिज़्म है. यह कुछ साल पहले की तुलना में काफी अधिक है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ऑटिज़्म का कोई एक कारण नहीं है. रिसर्च से पता चलता है कि इसमें जीन और पर्यावरण दोनों की भूमिका हो सकती है. विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि जो लोग ऐसा दावा करते हैं कि टाइलेनोल या वैक्सीन्स ही इसका मुख्य कारण हैं, वे दशकों के वैज्ञानिक सबूतों की अनदेखी कर रहे हैं.
ट्रम्प के दावों का प्रभाव
ट्रम्प के बयान ने एक बार फिर ऑटिज़्म और वैक्सीनेशन पर बहस को हवा दी है. उनकी टिप्पणियों से कई लोगों में भ्रम और डर बढ़ सकता है, खासकर गर्भवती महिलाएं और नए माता-पिता. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे जिम्मेदार नहीं ठहराया और कहा कि बिना सटीक जानकारी के दवाओं और वैक्सीन्स को बदलने की सलाह देना खतरनाक हो सकता है.