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भारत की राह पर ब्रिटेन!, पीएम स्टार्मर आधार कार्ड के जैसा बनाने जा रहे 'ब्रिट कार्ड'; अवैध कामगारों पर कैसे नजर रखेगा ये डॉक्यूमेंट?

ब्रिटेन ने भारत के आधार कार्ड जैसा एक राष्ट्रीय पहचान पत्र 'ब्रिट कार्ड'लाने की तैयारी शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के कदम का मकसद सरकार को पहचान और सेवाओं तक पहुंच आसान करना है, लेकिन साथ ही इसे आव्रजन नियंत्रण और अवैध रोजगार पर नजर रखने के एक उपकरण के रूप में भी देखा जा रहा है.

भारत की राह पर ब्रिटेन!, पीएम स्टार्मर आधार कार्ड के जैसा बनाने जा रहे ब्रिट कार्ड; अवैध कामगारों पर कैसे नजर रखेगा ये डॉक्यूमेंट?
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 18 Oct 2025 2:17 PM IST

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर इन दिनों भारत यात्रा से लौटे हैं, लेकिन उनकी इस यात्रा की चर्चा अब लंदन से दिल्ली तक हो रही है. वजह भारत के आधार कार्ड सिस्टम की तारीफ और ब्रिटेन में उसी से इंस्पार्य्ड एक नई योजना, ‘Brit Card’ का एलान. दो दिन की मुंबई यात्रा के दौरान स्टार्मर ने भारत की डिजिटल ताकत को करीब से देखा और आधार के जनक समझे जाने वाले नंदन नीलेकणी से मुलाकात की.

बातचीत का केंद्र कैसे भारत ने महज 15 सालों में एक ऐसा विशाल डिजिटल पहचान तंत्र खड़ा किया, जिसने न सिर्फ सेवाओं को आसान बनाया बल्कि करोड़ों लोगों तक सरकारी योजनाओं की पहुंच भी सुनिश्चित की. चलिए जानते हैं क्या है ब्रिट कार्ड. साथ ही, यह कैसे अवैध कामगारों पर नजर रखेगा.

स्टार्मर की योजना- ब्रिटेन का Brit कार्ड

कीर स्टार्मर ने इस योजना पर कहा कि ' भारत ने जो किया, वह एक बड़ा उदाहरण है. वहां डिजिटल पहचान सिस्टम को शानदार सफलता मिली है. हम भी इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं. ब्रिटेन की नई योजना ‘Brit Card’ फिलहाल अपने शुरुआती चरण में है.

अवैध कामगारों पर रखेगा नज

पीएम ने बताया कि इसका फोकस सभी नागरिकों को एक डिजिटल पहचान देना नहीं, बल्कि अवैध आव्रजन और फर्जी रोजगार पर रोक लगाना है. सरकार का कहना है कि यह कार्ड केवल रोजगार से जुड़ा अनिवार्य दस्तावेज होगा, ताकि कंपनियों में गैरकानूनी रूप से काम कर रहे लोगों को ट्रैक किया जा सके.

निजता और विरोध की लहर

ब्रिटेन में डिजिटल आईडी का विचार नया नहीं है, लेकिन जब भी इसे लागू करने की बात होती है, जनता में निजता को लेकर चिंता बढ़ जाती है.इस बार भी कई संगठनों और विपक्षी दलों ने इस योजना पर सवाल उठाए हैं. विरोधियों का कहना है कि सरकारी निगरानी बढ़ सकती है और लोगों के निजी डेटा के दुरुपयोग का खतरा रहेगा.हाल की जनमत सर्वेक्षणों के मुताबिक, डिजिटल आईडी के लिए जनता का समर्थन तेजी से घटा है, जबकि इसमें संभावित डेटा हैकिंग और सरकारी नियंत्रण को लेकर डर बढ़ा है.

ब्रिटेन ने कहा-‘हम भारत जैसा नहीं करेंगे’

इन आलोचनाओं के बीच ब्रिटिश सरकार ने सफाई दी है कि ‘Brit Card’ भले भारत के मॉडल से प्रेरित हो, लेकिन इसमें कई अहम फर्क होंगे. सबसे बड़ा अंतर यह है कि इस योजना में बायोमेट्रिक डेटा यानी फिंगरप्रिंट या आंखों की स्कैनिंग जैसी जानकारी शामिल नहीं होगी. सरकार का दावा है कि इस प्रणाली में डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी.ब्रिटिश प्रवक्ता ने कहा कि 'हम भारत की सफलता से सीख रहे हैं, लेकिन इसे अपनी जरूरतों और निजता के मानकों के हिसाब से डिज़ाइन करेंगे.'

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