बलूचिस्तान का इतिहास क्या है, बलूच लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान की सरकार से क्या चाहती है? पढ़ें हर सवाल का जवाब
बलूचिस्तान का इतिहास बहुत पुराना और जटिल है. बलूचिस्तान का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कई शक्तियों के प्रभाव में रहा है, जिसमें फारस, अफगानिस्तान, ब्रिटिश राज और आधुनिक पाकिस्तान शामिल हैं. बलूच लोगों की अपनी एक अलग सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान रही है, और उनकी स्वायत्तता की मांग ऐतिहासिक रूप से लगातार बनी रही है.
Balochistan History: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 11 मार्च को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया गया और सैकड़ों यात्रियों को बंधक बना लिया. इस ट्रेन पर गोलीबारी भी की गई, जिससे चालक घायल हो गया. इस घटना की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने लिया है. ट्रेन बलूचिस्तान के क्वेटा से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बलूच लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ क्यों है और वह क्या चाहती है. इसके साथ ही, यह भी लोग जानना चाहते हैं कि बलूचिस्तान का इतिहास क्या है. आइए, आपको इन सबके बारे में विस्तार से बताते हैं..
बलूचिस्तान का इतिहास
- बलूचिस्तान एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह वर्तमान में पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान में विभाजित है. इसका इतिहास बलूच लोगों की स्वतंत्रता, बाहरी आक्रमणों और राजनीतिक संघर्षों से जुड़ा हुआ है.
- बलूचिस्तान का इतिहास हजारों साल पुराना है. यह क्षेत्र प्राचीन सभ्यताओं जैसे कि मेहरगढ़ (लगभग 7000 ईसा पूर्व) का केंद्र रहा है, जो विश्व की सबसे पुरानी कृषि स्थलों में से एक है.
- बलूच जातीय समूह की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न मत हैं, लेकिन आम तौर पर माना जाता है कि वे इंडो-ईरानी जातीय समूह से संबंधित हैं और 10वीं शताब्दी के आसपास इस क्षेत्र में बसे.
- बलूचिस्तान पर फारसी साम्राज्य, मुगलों और अफगानों का प्रभाव रहा.
- ब्रिटिशों ने 19वीं सदी में बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों को अपने नियंत्रण में लिया. 1876 में उन्होंने खैबर और बलूच कबीलों के साथ संधि की और इसे ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना दिया.
- 1947 में जब पाकिस्तान बना, तब बलूचिस्तान के प्रमुख रियासतों में से एक कलात रियासत ने स्वतंत्र रहने की इच्छा जताई, लेकिन 1948 में पाकिस्तान सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया, जिसके बाद बलूच अलगाववादी आंदोलनों की शुरुआत हुई.
बलूच राष्ट्रवाद और विद्रोह
बलूच राष्ट्रवाद की जड़ें 20वीं सदी की शुरुआत में पड़ गई थीं, लेकिन पाकिस्तान के गठन के बाद यह और तेज़ हो गया. 1958, 1973, 2004 और 2020 के दशकों में बलूच विद्रोह हुए. बलूच अलगाववादी संगठन (जैसे- बलूच लिबरेशन आर्मी) पाकिस्तान से स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं. पाकिस्तान सरकार और सेना पर बलूच लोगों के उत्पीड़न और मानवाधिकार हनन के आरोप लगते रहे हैं.
बलूचिस्तान पर प्रमुख किताबें
- The Baloch and Balochistan: A Historical Account" – Naseer Dashti: यह किताब बलूच लोगों की उत्पत्ति, उनकी संस्कृति और उनकी राजनीतिक स्थिति को विस्तार से बताती है. इसमें ब्रिटिश राज, पाकिस्तान के साथ एकीकरण, और बलूच राष्ट्रवाद के उभरने की घटनाओं का विश्लेषण किया गया है.
- Balochistan: In the Crosshairs of History" – Sandhya Jain : यह किताब बलूचिस्तान के भू-राजनीतिक महत्व, इसके संघर्ष और पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान में फैले बलूच लोगों की स्थिति पर रोशनी डालती है. इसमें बलूच राष्ट्रवादी आंदोलन और पाकिस्तान सरकार के साथ उनके टकराव का विवरण दिया गया है.
- बलूचिस्तान का इतिहास (लेखक: डॉ. मुहम्मद सईद): यह किताब बलूचिस्तान के इतिहास को विस्तार से बताती है, जिसमें प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक की घटनाएं शामिल हैं.
- बलूचिस्तान: एक जटिल समस्या (लेखक: डॉ. अब्दुल रहमान): यह किताब बलूचिस्तान की समस्याओं को विस्तार से बताती है, जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दे शामिल हैं.
ये भी पढ़ें :पाकिस्तान की घोर बेइज्जती! अमेरिका ने एयरपोर्ट से ही टॉप डिप्लोमेट को भेजा वापसबलूचिस्तान का इतिहास बहुत पुराना और जटिल है. बलूचिस्तान का क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कई शक्तियों के प्रभाव में रहा है, जिसमें फारस, अफगानिस्तान, ब्रिटिश राज और आधुनिक पाकिस्तान शामिल हैं. बलूच लोगों की अपनी एक अलग सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान रही है, और उनकी स्वायत्तता की मांग ऐतिहासिक रूप से लगातार बनी रही है. बलूचिस्तान एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो वर्तमान में पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान में विभाजित है। इसका इतिहास बलूच लोगों की स्वतंत्रता, बाहरी आक्रमणों और राजनीतिक संघर्षों से जुड़ा हुआ है।
मीर जाफ़र खान जमाली कौन थे?
मीर जाफ़र खान जमाली बलूचिस्तान के एक प्रमुख राजनीतिक नेता थे. वे मुस्लिम लीग के सक्रिय सदस्य थे और पाकिस्तान आंदोलन में शामिल थे. हालांकि, पाकिस्तान बनने के बाद उन्होंने बलूचिस्तान के विकास और राजनीतिक स्थिरता के लिए काम किया. वे बलूच और पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिशों में लगे रहे.
बलूचिस्तान का वर्तमान परिदृश्य
आज बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन इसे सबसे ज्यादा उपेक्षित माना जाता है. यहां प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, लेकिन बलूच लोग गरीबी और शोषण से जूझ रहे हैं. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के कारण इस क्षेत्र का सामरिक महत्व बढ़ गया है, जिससे बलूच विद्रोह और बढ़ गया है.





