Begin typing your search...

‘सूअर की खाद से उपजा अमेरिकी मक्का?’ है तो अच्छाइयों से भरपूर, पर बांग्लादेश में उड़ रहा मजाक, क्या है असली वजह?

अमेरिकी दूतावास के एक पोस्ट की वजह से वहां के मक्के का बांग्लादेश में सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय लोगों तक मजाक बन रहा है. इतना ही नहीं, अमेरिकी मक्का अब बांग्लादेश में विवाद का विषय भी बन गया है. विवाद इसलिए कि अमेरिका में मक्के का उत्पादन बढ़ाने के लिए वहां के किसान सूअर की खाद का उपयोग करते हैं. जानिए, पूरी कहानी, इसके पीछे की राजनीति, संस्कृति और अर्थशास्त्र.

‘सूअर की खाद से उपजा अमेरिकी मक्का?’ है तो अच्छाइयों से भरपूर, पर बांग्लादेश में उड़ रहा मजाक, क्या है असली वजह?
X
( Image Source:  chitralekha @chitralekhamag )

बांग्लादेश में इन दिनों अमेरिकी मक्के (US Corn) को लेकर अजीब-सी बहस छिड़ी हुई है. सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर तंज कस रहे हैं. 'सूअर की खाद से उगा मक्का मजाक से आगे सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलता का रूप ले चुका है. असल में यह विवाद सिर्फ खेती या खाद का नहीं, बल्कि पश्चिमी कृषि मॉडल बनाम स्थानीय आस्था और पहचान की टकराहट भी है. सोशल मीडिया पर लोग ने इसको लेकर तंज, मीम्स और व्यंग्य कर रहे हैं.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

विवाद की जड़ क्या है?

अमेरिका में बड़े पैमाने पर होने वाली औद्योगिक खेती (Industrial Farming) में पशु अपशिष्ट (Animal Manure) का उपयोग होता है. खासकर, सूअर की खाद (Pig Manure) को उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह वैज्ञानिक और लागत-कुशल माना जाता है, लेकिन धार्मिक रूप से संवेदनशील समाजों में इसे लेकर आपत्ति स्वाभाविक है.

अमेरिकी मक्का बांग्लादेश में क्यों बना मजाक?

बांग्लादेश एक मुस्लिम-बहुल देश है, जहां सूअर को नापाक माना जाता है. देश में खाने-पीने और खेती दोनों में हलाल-हराम की अवधारणा गहराई से जुड़ी है. जब अमेरिकी मक्के के आयात और उसके उत्पादन तरीकों की चर्चा हुई, तो सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे लेकर तंज, मीम्स और व्यंग्य की मुहिम छेड़ दी. लोग इसके पीछे सिर्फ धर्म नहीं राजनीति भी मानते हैं. विश्लेषकों के मुताबिक यह मजाक अमेरिकी प्रभाव और पश्चिमी निर्भरता पर भी कटाक्ष है. हाल के वर्षों में अमेरिका-बांग्लादेश रिश्तों में तनाव और खाद्य आयात को लेकर आत्मनिर्भरता की बहस ने इस पूरे नैरेटिव को हवा दी है.

सच में अमेरिकी मक्का ‘नापाक’ है?

कृषि विशेषज्ञ मानते हैं कि खाद का इस्तेमाल मिट्टी में जैविक पोषण के लिए होता है. फसल खुद किसी धार्मिक श्रेणी में नहीं आती, लेकिन सांस्कृतिक धारणा वैज्ञानिक तर्क से ज्यादा प्रभावी होती है. यही वजह है कि यह मुद्दा तकनीकी नहीं, बल्कि भावनात्मक बन गया.

पश्चिम बनाम स्थानीय सोच की टकराहट

यह विवाद दिखाता है कि पश्चिमी देशों का कॉस्ट-इफेक्टिव मॉडल और दक्षिण एशियाई समाज की धार्मिक-सांस्कृतिक संवेदनशीलता एक-दूसरे से कितनी अलग हैं. अमेरिका के लिए यह सामान्य कृषि प्रक्रिया है, लेकिन बांग्लादेश में इसे पहचान और आस्था से जोड़कर देखा जा रहा है.

कैसे हुई विवाद की शुरुआत?

ढाका में अमेरिकी दूतावास ने हाल ही में पोस्ट किया कि अमेरिकी मक्का बांग्लादेश पहुंच रहा है. हालांकि, इस पोस्ट से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया, क्योंकि यूजर्स ने एक अजीब और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील बात 'सूअर की खाद' को गंभीरता से लिया.

ढाका स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने पोस्ट में लिखा, "अमेरिकी मक्का इस महीने बांग्लादेश पहुंच रहा है. अपनी पौष्टिक गुणवत्ता के लिए जाना जाने वाला यह मक्का कई खाद्य पदार्थों में एक मुख्य सामग्री के रूप में काम करता है, जिसमें कॉर्न ब्रेड और नाश्ते के अनाज जैसे मुख्य खाद्य पदार्थ शामिल हैं. मक्का का इस्तेमाल जानवरों को खिलाने के लिए भी किया जाता है, जिससे मांस, डेयरी और अंडे की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलती है."

बेचारे बांग्लादेशी बने बलि का बकरा

इस एक सोशल मीडिया यूजर ने ट्वीट किया, "डॉन (ट्रंप) को खुश करने के लिए, बांग्लादेश को अमेरिकी मक्का (सूअर की खाद से उगाया गया) मिलता है, और पाकिस्तान को गाजा में 'शांति सेना' भेजने का मौका मिलता है."

एक अन्य ने पोस्ट किया, "अंकल सैम बांग्लादेश को बर्बाद कर रहे हैं. अब वे सूअर की खाद से उगाया गया मक्का खाएंगे." तीसरे ने कहा, "अब, इस्लामवादी सूअर के मल से उगाया गया मक्का खाएंगे. मजे करो." एक अन्य ने ट्वीट किया, "बेचारे बांग्लादेशी ट्रम्प की दुर्भावनापूर्ण भोजन और कर्ज नीतियों के बलि का बकरा बन रहे हैं." दूसरी तरफ अमेरिकी दूतावास ने अब तक आलोचना की इस लहर पर कोई जवाब नहीं दिया है.

एमबीएम पाउडर नहीं भूले बांग्लादेशी, लगा था बैन

कुछ साल पहले, बांग्लादेश के अधिकारियों ने मांस और हड्डी के पाउडर (MBM) में सूअर के उत्पादों की मौजूदगी का पता लगाया था, जिसे मछली और जानवरों के चारे के रूप में इस्तेमाल के लिए आयात किया जा रहा था. MBM एक पाउडर है जो मारे गए जानवरों के नहीं खाने लायक हिस्सों को सुखाकर और पीसकर बनाया जाता है. इस घटना के बाद, बांग्लादेश ने MBM पाउडर की बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगा दिया.

बांग्लादेश में अमेरिकी मक्का सुर्खियों में क्यों?

अमेरिका में मक्के की खेती के लिए काफी खाद की जरूरत होती है. अमेरिका में इसका प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए अक्सर मक्के के खेतों में सूअर की खाद डाली जाती है. इस साल, अमेरिका में मक्के का बंपर प्रोडक्शन हुआ है और वह बांग्लादेश और भारत जैसे ग्लोबल मार्केट में एक्सपोर्ट पर जोर दे रहा है. ऐसी खबरें आई हैं कि ज्यादा प्रोडक्शन की वजह से अमेरिकी किसानों को हाईवे के किनारे मक्के के ढेर फेंकने पड़े हैं.

भारत में बिक्री की केंद्र नहीं दी थी इजाजत

दरअसल, मक्का और सोयाबीन इंपोर्ट करने के लिए अमेरिका के दबाव के खिलाफ भारत के विरोध की वजह से ट्रेड डील की बातचीत रुक गई है. भारत ने अब तक छोटे किसानों की आजीविका की रक्षा करने की जरूरत बताते हुए अमेरिकी मक्के के लिए बड़े पैमाने पर मार्केट एक्सेस का विरोध किया है. रॉयटर्स के अनुसार, भारत सिर्फ इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए सीमित इंपोर्ट की अनुमति दे सकता है.

2,20,000 मीट्रिक टन गेहूं खरीद को भी मंजूरी

हालांकि, बाद में बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पत्र लिखा और बांग्लादेश में अमेरिकी एक्सपोर्ट को काफी बढ़ाने का वादा किया, जिसके बाद टैरिफ को संशोधित करके 20% कर दिया गया. इसमें अमेरिकी गेहूं, मक्का और सोयाबीन शामिल थे. हाल ही में, बांग्लादेश ने सरकार-से-सरकार डील के तहत लगभग 2,20,000 मीट्रिक टन अमेरिकी गेहूं खरीदने को मंजूरी दी है.

हालांकि, मक्के पर अमेरिकी दूतावास की पोस्ट अच्छे इरादे से की गई थी, लेकिन ऐसा लगता है कि उसने एक सांस्कृतिक दरार को उजागर कर दिया है. पोस्ट के बाद से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है.

वर्ल्‍ड न्‍यूज
अगला लेख