Begin typing your search...

5 दिन में 7 हिंदू परिवारों पर हमला! बांग्लादेश में सोते समय पेट्रोल डालकर जला दिया घर, तस्लीमा नसरीन ने कहा- कब रुकेगी हिंसा?

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. ताजा मामला पिरोजपुर के डुमरीटोला गांव का है, जहां एक हिंदू परिवार के घर में आग लगा दी गई. इस घटना पर लेखिका Taslima Nasrin ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार और समाज से सवाल पूछे हैं. चटग्राम के राउजान से लेकर पिरोजपुर तक, हिंदू परिवारों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं ने देश में सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

5 दिन में 7 हिंदू परिवारों पर हमला! बांग्लादेश में सोते समय पेट्रोल डालकर जला दिया घर, तस्लीमा नसरीन ने कहा- कब रुकेगी हिंसा?
X
( Image Source:  X/taslimanasreen )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 29 Dec 2025 1:41 PM

रात के सन्नाटे में जब एक परिवार नींद में होता है, तब उसके घर को आग के हवाले कर देना सिर्फ़ हिंसा नहीं, एक संदेश होता है- डर का, बेदखली का, और चुप कराने का. बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हो रही घटनाएं अब अलग-अलग मामलों की तरह नहीं, बल्कि एक लगातार चलती भयावह कहानी की तरह सामने आ रही हैं. पिछले पांच दिनों में 7 हिंदू परिवार के घरों पर हमला हुआ है. उनके घर जला दिए गए और उन्हें बेघर कर दिया गया.

ताजा मामला पिरोजपुर के डुमरीटोला गांव में हुआ जहां साहा परिवार के घर को उपद्रवियों ने पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया. वहां से आई तस्वीरों ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर हिन्दुओं के साथ क्या हो रहा है. यह आग सिर्फ दीवारों और सामान को नहीं जला गई, बल्कि उस भरोसे को भी राख कर गई, जिसके सहारे अल्पसंख्यक समुदाय खुद को सुरक्षित मानता था.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

जानबूझकर लगाई आग

27 दिसंबर की रात बांग्लादेश के पिरोजपुर ज़िले के डुमरीटोला गांव में साहा परिवार के घर के कई कमरों में आग लगा दी गई. आरोप है कि अज्ञात हमलावरों ने कपड़े ठूंसकर उनमें आग लगाई, जिससे लपटें तेजी से पूरे घर में फैल गईं. परिवार उस वक्त सो रहा था यानी हमला जानबूझकर उस समय किया गया, जब बचाव सबसे मुश्किल होता है.

अल्पसंख्यक होना ही ‘जुर्म’ बनता गया

स्थानीय मीडिया और चश्मदीदों के मुताबिक, यह हमला किसी व्यक्तिगत रंजिश से ज़्यादा पहचान आधारित हिंसा का हिस्सा माना जा रहा है. साहा परिवार का कहना है कि उनकी किसी से दुश्मनी नहीं थी. सवाल यही है कि अगर दुश्मनी नहीं, तो निशाना क्यों?

लगातार बढ़ती हिंसा की कड़ी

यह घटना अकेली नहीं है. बीते दिनों दीपू चंद्र दास को कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. अमृत मंडल की भी वसूली के आरोप में हत्या कर दी गई. अब घर जलाए जा रहे हैं. पैटर्न साफ़ दिखता है- भीड़, आरोप, और फिर हिंसा.

कब तक होती रहेगी हिंसा: तस्लीमा नसरीन

इन घटनाओं पर बांग्लादेश की मशहूर लेखिका Taslima Nasrin ने सोशल मीडिया पर गहरी चिंता जताई. उन्होंने लिखा कि साहा परिवार के पांच कमरे तब जलाए गए, जब पूरा परिवार सो रहा था. उन्होंने चटग्राम के राउजान में हुई ऐसी ही घटनाओं की याद दिलाते हुए सवाल उठाया कि क्या अब पूरे देश में हिंदुओं के घर इसी तरह जलते रहेंगे?

राउजान से पिरोजपुर तक एक जैसी कहानी

पिरोजपुर से पहले चटग्राम के पास राउजान इलाके में भी हिंदू परिवारों के घरों में तड़के आग लगाई गई थी. वहां परिवार दरवाज़े बाहर से बंद होने के कारण अंदर फंसे रह गए थे. किसी तरह टीन की चादरें काटकर जान बचाई गई, लेकिन घर, सामान और पालतू जानवर सब कुछ खत्म हो गया.

पांच दिनों में सात घरों को जलाया

बांग्लादेश के प्रमुख अख़बार द डेली स्टार के मुताबिक, सिर्फ पांच दिनों में राउजान इलाके में तीन अलग-अलग जगहों पर सात हिंदू परिवारों के घर जला दिए गए. यह आंकड़ा बताता है कि हिंसा अचानक नहीं, बल्कि योजनाबद्ध तरीके से फैल रही है.

हादी की मौत के बाद बिगड़े हालात

12 दिसंबर को छात्र नेता उस्मान शरीफ हादी की मौत के बाद से बांग्लादेश में हालात और बिगड़ गए. सड़कों पर प्रदर्शन, नारेबाज़ी और टकराव आम हो गया. इसी अशांति की आड़ में अल्पसंख्यकों को आसान निशाना बनाया जा रहा है.

बैनर में हिंदुओं को मारने की धमकी

चटगांव में ऐसे बैनर और संदेश सामने आए हैं, जिनमें चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर हिंदुओं को मारने की धमकी दी गई है. बंगाली में लिखे संदेशों में साफ कहा गया है कि अगर कथित ‘इस्लाम विरोधी’ गतिविधियां जारी रहीं, तो गैर-मुसलमानों के घर और संपत्ति नहीं बख्शी जाएंगी.

सरकार पर सवाल

इन घटनाओं के बीच अंतरिम सरकार और उसके प्रमुख Muhammad Yunus पर सवाल उठ रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि कट्टरपंथी भीड़ को रोकने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है, जिससे हिंसा को मौन सहमति मिलती दिख रही है.

डर के साए में ज़िंदगी

आज बांग्लादेश के कई हिंदू परिवार रात को चैन से सो नहीं पा रहे. हर आहट डर पैदा करती है तो लगता है कहीं अगली आग उनके घर न लग जाए. सवाल सिर्फ सुरक्षा का नहीं, अस्तित्व का है: क्या वे अपने ही देश में सुरक्षित रह पाएंगे?

बांग्लादेश
अगला लेख