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50 राज्य, 50 प्रदर्शन और एक आंदोलन, ट्रंप की नीतियों के खिलाफ फूटा ग़ुस्सा; अमेरिका के कोने-कोने में उठी विरोध की आवाज़

50501 आंदोलन के तहत अमेरिका के 50 राज्यों में ट्रंप विरोधी रैलियां तेज़ हो गई हैं. LGBTQ अधिकारों, निर्वासन नीतियों और इज़रायल समर्थन के खिलाफ लोगों ने न्यूयॉर्क से लेकर टेक्सास तक सड़कों पर मोर्चा संभाला. बैनरों, नारों और मार्च के साथ यह विरोध अब महज़ प्रदर्शन नहीं, एक जन आंदोलन बनता जा रहा है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि लोकतंत्र बचे, विभाजन नहीं.

50 राज्य, 50 प्रदर्शन और एक आंदोलन, ट्रंप की नीतियों के खिलाफ फूटा ग़ुस्सा; अमेरिका के कोने-कोने में उठी विरोध की आवाज़
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( Image Source:  META AI )
नवनीत कुमार
By: नवनीत कुमार

Updated on: 28 Nov 2025 11:27 AM IST

अमेरिका में एक बार फिर लोगों का ग़ुस्सा सड़कों पर दिखाई दिया जब देशभर में हजारों नागरिकों ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन किए. ये विरोध सिर्फ किसी एक मुद्दे तक सीमित नहीं रहे. इनमें नागरिक स्वतंत्रता, अप्रवासन नीतियां, LGBTQ अधिकार, और पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन जैसे कई मुद्दों ने जनता को उकसाया.

50501 आंदोलन, जो देश के 50 राज्यों में 50 विरोध प्रदर्शनों और एक समन्वित संदेश का प्रतीक है, अब एक शक्तिशाली जन-आंदोलन के रूप में उभर रहा है. आयोजकों का दावा है कि करीब 700 कार्यक्रमों की योजना बनाई गई थी, जो ट्रंप की नीतियों को चुनौती देने का एक राष्ट्रीय प्रयास है.

शहरी से ग्रामीण तक गूंजती आवाजें

न्यूयॉर्क, वाशिंगटन डीसी, लॉस एंजेलिस से लेकर फ्लोरिडा और टेक्सास जैसे राज्यों तक प्रदर्शनकारियों की आवाज़ एक जैसी थी. उनका कहना था कि 'कोई राजा नहीं', 'हम डरते नहीं हैं', 'हमारा संविधान ज़िंदा है'. फ्लोरिडा में LGBTQ समुदाय पर हमलों के विरोध में, सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए. इससे पहले 5 अप्रैल को भी इसी तरह का विरोध देखा गया था और अब इस बार भी माहौल उतना ही गर्म रहा.

अल्पसंख्यकों और अप्रवासियों के साथ एकजुटता

वाशिंगटन में प्रदर्शनकारियों ने एक अप्रवासी गार्सिया के गलत निर्वासन के खिलाफ आवाज़ उठाई. ट्रांसजेंडर बच्चों के माता-पिता से लेकर अप्रवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं तक, हर कोई मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट दिखा. दिलचस्प बात ये रही कि इन प्रदर्शनों में हर उम्र और वर्ग के लोग शामिल थे. कॉलेज के स्टूडेंट्स से लेकर रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी तक.

इतिहास से जोड़ता वर्तमान

मैसाचुसेट्स में 1775 की 'दुनिया भर में सुनी गई गोली' को याद करते हुए एक प्रदर्शन किया गया. यह स्पष्ट संकेत था कि नागरिकों को अपने अधिकारों के लिए एक बार फिर आवाज़ बुलंद करनी पड़ रही है. कुछ लोग इतने ग़ुस्से में थे कि उन्होंने अमेरिकी झंडे को उल्टा पकड़ लिया. जो अमेरिका में संकट का संकेत माना जाता है. सैन फ्रांसिस्को के बीच पर तो लोगों ने रेत में 'महाभियोग लगाओ और हटाओ' तक लिख दिया.

चुनाव से पहले लोकतंत्र का रिहर्सल

ट्रंप की नीतियों के विरोध में उमड़ा यह जनसैलाब सिर्फ विरोध नहीं था, बल्कि यह 2024 के चुनावों से पहले अमेरिका की जनता की चेतना और लोकतांत्रिक जिम्मेदारी का एक रिहर्सल था। ये आवाज़ें बता रही हैं कि अगर नीतियां जनविरोधी हों, तो जनता चुप नहीं रहती. एक 73 साल की महिला कैथी वैली, जो होलोकॉस्ट सर्वाइवर की बेटी हैं, उन्होंने ट्रंप की तुलना हिटलर से कर दी. उन्होंने कहा कि ट्रंप की खुद की टीम बंटी हुई है. वहीं टेक्सास में एक लेखिका ने कहा कि अब और इंतजार नहीं, बहुत कुछ पहले ही खो चुके हैं. इन रैलियों से एक बात साफ है कि अमेरिका में ट्रंप की वापसी को लेकर जनता का भरोसा डगमगा रहा है.

डोनाल्ड ट्रंप
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