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ताजी हवा ले रहा हूं सीढ़ियों पर... दिल्ली जाने वाली फ्लाइट के जयपुर डायवर्ट होने पर भड़के CM उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दिल्ली जाते समय इंडिगो फ्लाइट में तीन घंटे हवा में फंसे रहे और फिर जयपुर डायवर्ट कर दिए गए. उन्होंने दिल्ली एयरपोर्ट की व्यवस्था को "ऑपरेशनल अराजकता" करार दिया. रात 1 बजे फ्लाइट की सीढ़ियों पर खड़े होकर उन्होंने सोशल मीडिया पर गुस्सा निकाला. ये घटना खराब मौसम और हवाईअड्डों की अव्यवस्था की बड़ी तस्वीर को उजागर करती है.

ताजी हवा ले रहा हूं सीढ़ियों पर... दिल्ली जाने वाली फ्लाइट के जयपुर डायवर्ट होने पर भड़के CM उमर अब्दुल्ला
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 20 April 2025 7:13 AM IST

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शनिवार की रात उस वक्त आम मुसाफिरों की तरह परेशान हो गए, जब जम्मू से दिल्ली आ रही इंडिगो की फ्लाइट को अचानक जयपुर डायवर्ट कर दिया गया. वजह थी- दिल्ली एयरपोर्ट की "ऑपरेशनल अराजकता", जैसा कि खुद उमर अब्दुल्ला ने बताया. तीन घंटे तक फ्लाइट हवा में घूमती रही, लेकिन दिल्ली में लैंडिंग की कोई गुंजाइश नहीं बनी.

अब्दुल्ला ने एक्स (ट्विटर) पर अपनी झुंझलाहट बिना फिल्टर शेयर की. उन्होंने लिखा, "दिल्ली एयरपोर्ट पर सब कुछ गड़बड़ है (माफ करना मेरी फ्रेंच के लिए, लेकिन अब विनम्र बनने का मूड नहीं है). तीन घंटे हवा में रहने के बाद अब हम जयपुर में हैं और मैं रात 1 बजे फ्लाइट की सीढ़ियों पर खड़ा ताजी हवा ले रहा हूं. आगे क्या होगा, कुछ नहीं पता."

इस बीच, उन्होंने एक सेल्फी भी पोस्ट की- एक मुख्यमंत्री की नहीं, बल्कि एक थके हुए और कन्फ्यूज पैसेंजर की तरह. उनका ये अंदाज़ सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया, क्योंकि इससे आम यात्रियों की परेशानी को एक राजनीतिक नेता ने पर्सनली फील किया और सामने रखा.

ये पूरा झमेला सिर्फ उमर अब्दुल्ला की फ्लाइट का नहीं था. उस दिन जम्मू एयरपोर्ट पर भी भारी भीड़ और उड़ानों की देरी से लोग परेशान थे. श्रीनगर में भी खराब मौसम के कारण कई उड़ानें डिले या कैंसिल हुईं. इंडिगो ने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि मौसम के कारण दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन इसके बावजूद हालात इतने बिगड़ेंगे, शायद किसी ने सोचा नहीं था.

आख़िरकार काफी देरी के बाद फ्लाइट सुबह 2 बजे जयपुर से दिल्ली के लिए रवाना हुई और उमर अब्दुल्ला समेत बाकी यात्री दिल्ली पहुंचे. लेकिन यह घटना एक बार फिर बताती है कि चाहे आम आदमी हो या मुख्यमंत्री, देश में ट्रैवल सिस्टम की खामियों का शिकार कोई भी हो सकता है.

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