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DGP Rajeev Krishna: ‘लो-प्रोफाइल’ राजीव कृष्ण पुलिस में मौजूद ‘हाई-प्रोफाइल’ भ्रष्टाचार और कानून के दुरुपयोग से कैसे निपटेंगे?

1991 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण को उत्तर प्रदेश का नया कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें कई वरिष्ठ अफसरों को पीछे छोड़कर यह जिम्मेदारी सौंपी. राजीव कृष्ण ने कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा, साइबर और संगठित अपराध पर नियंत्रण, तथा जांच में AI और वैज्ञानिक पद्धति को प्राथमिकता बताया. हालांकि उनके सामने पुलिसिया भ्रष्‍टाचार जैसी चुनौतियां भी मुंह बाए खड़ी हैं.

DGP Rajeev Krishna: ‘लो-प्रोफाइल’ राजीव कृष्ण पुलिस में मौजूद ‘हाई-प्रोफाइल’ भ्रष्टाचार और कानून के दुरुपयोग से कैसे निपटेंगे?
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 3 Jun 2025 5:49 PM IST

1991 बैच यूपी कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी (IPS) राजीव कृष्ण (DG UP Police IPS Rajeev Krishan) को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने, उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP UP) की बागडोर सौंप दी. कई वरिष्ठ और लंबे समय से सूबे का डीजीपी बनने का ख्वाब संजो रहे, आईपीएस अधिकारियों को किनारे लगाकर राजीव कृष्ण को राज्य की हुकूमत ने कार्यवाहक डीजीपी ही क्यों न सही, बना तो दिया ही है. आइए जानते हैं कि नए कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण के कंधों पर, रिटायर हो चुके पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार क्या-क्या अधूरे काम या जिम्मेदारियां या कहिये चुनौतियां छोड़कर गए हैं. इनसे नव-नियुक्त अस्थाई पुलिस महानिदेशक आखिर निपटेंगे कैसे?

फिर सूबे के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक की जिम्‍मेदारी मिलने की कहानी मत छेड़िए. इसकी इनसाइड स्टोरी बहुत लंबी है कि आखिर बीते कई साल से उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रांत को परमानेंट/नियमित पुलिस महानिदेशक आखिर क्यों नहीं नसीब कराया जा रहा है? सोमवार (2 जून 2025) को लखनऊ पुलिस मुख्यालय में अपने पहले संवाददाता-सम्मेलन में, नव-नियुक्त पुलिस महानिदेशक ने कई प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला. इन प्राथमिकताओं में साइबर, संगठित अपराध, महिला सुरक्षा और राज्य पुलिस के हितों को, प्रथम पायदान पर रखने की बात नए पुलिस महानिदेशक ने दोहराई. साथ ही पुलिस जांच में एआई (अर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) और वैज्ञानिक पद्धति अपनाने की संभावनाओं पर भी जोर दिया.

राजीव कृष्ण DGP की भीड़ का हिस्सा नहीं

क्या अपनी पहली प्रेस-कांफ्रेंस में किए गए वायदों पर नव-नियुक्त पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण आइंदा खरे उतर पाएंगे? या उनके यह वायदे-बातें आने वाले वक्त में सरकारी फाइलों तक ही सिमट कर रह जाएंगे? स्टेट मिरर हिंदी के सवाल के जवाब में 1974 बैच यूपी कैडर के पूर्व वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और, सूबे के पुलिस महानिदेशक (रिटा.) डॉ. विक्रम सिंह ने कहा, “राजीव कृष्ण को मैं बेहद करीब से जानता-पहचानता हूं. वह आईपीएस या अब तक के राज्य पुलिस महानिदेशकों की भीड़ में शामिल हो जाने वाली शख्शियत नहीं हैं. वैज्ञानिक पद्धति से जांच करने की विशेष हुनरमंदी का इस्तेमाल अब वह, उत्तर प्रदेश पुलिस का चेहरा संभालने में करेंगे. बेहद सुलझे हुए और सौम्य स्वभाव के मालिक राजीव कृष्ण में दिखावटीपन/ शोसेबाजी का दूर-दूर तक न होना भी, उन्हें उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े सूबे की पुलिस फोर्स का कामयाब मुखिया सिद्ध कराने में मददगार साबित होगा.”

नव-नियुक्त डीजीपी के सामने चुनौतियां

लखनऊ स्थित राज्य पुलिस महानिदेशालय में सोमवार को अपने पहले संवाददाता-सम्मेलन में, नव-नियुक्त कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने अपनी आगामी संभावित सभी योजनाओं का खुलासा कर दिया. उन्होंने कहा राज्य पुलिस प्रमुख होने के नाते प्रांत में कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा, जांच-पड़ताल में सुधार-तेजी, एआई (अर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) तकनीक का इस्तेमाल, साइबर और संगठित अपराध पर नियंत्रण उनकी प्राथमिकता होंगीं.

राजीव कृष्ण की खूबियां

उत्तर प्रदेश के नव-नियुक्त कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण की मृदुभाषिता-मिलनसार स्वभाव और पुलिस महकमे में बेहद प्रैक्टिकल एप्रोच, उनके काम के रास्ते में आने वाली हर अड़चन को दूर करेंगे. राजीव कृष्ण जानते हैं कि उनके महकमे के डिप्टी एसपी की सोच क्या होती है? सिपाही, हवलदार, दारोगा या थानेदार की क्या-क्या कमजोरियां या मजबूतियां हैं? इसलिए उन्हें सूबे की पुलिस का कोई भी मातहत अंधेरे में रखकर अपना उल्लू सीधा नहीं कर सकता है.

वैज्ञानित पद्धति से पड़ताल पर जोर होगा

इस बारे में बात करते हुए सूबे के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं, “राजीव कृष्ण ने हमेशा पुलिस और पब्लिक के वेलफेयर की ही सोची है. उनकी मानसिकता या छवि कभी भी अड़ियल या अपनी ही हांकते रहने वाले पुलिस अफसर की नहीं रही है. यह भी उन्हें सफल पुलिस प्रमुख बनाने में बेहद कामयाब नुस्खा साबित होगा. वैज्ञानिक पद्धति से जांच की मास्टरी उन्हें, पुलिस की नौकरी ज्वाइन करने के वक्त से ही है. अपराध और अपराधियों के साथ-साथ बेकाबू मातहत पुलिस वालों को कैसे काबू रखना है? राजीव कृष्ण इसके भी हुनरमंद हैं. वह अपनी आंख से देखे और अपने कान से सुने पर विश्वास करते हैं. इसलिए भी उन्हें राज्य का पुलिस प्रमुख बनाए जाने के बाद, उनका कोई मातहत अफसर अपने इशारों पर इधर-उधर चलाने की जुर्रत नहीं कर सकता है. खेमेबाजी और घेरेबाजी के भी राजीव कृष्ण हमेशा खिलाफ रहे हैं.

कई वरिष्ठ IPS को किनारे करके DGP बने

कहने देखने सुनने को तो राजीव कृष्ण के परिवार-कुनबे में ब्यूरोक्रेट्स और ऊंचे तबके के राजनीतिज्ञों की भरमार है. मगर इस सबके चलते उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य पुलिस मुखिया की बागडोर दे दी है. यह सोचने वाले गलत हैं. ग्राउंड पर पुलिसिंग के अविस्मरणीय अनुभव, ईमानदारी, मृदुभाषिता, पुलिसिंग की पैनी जानकारी ने आईपीएस राजीव कृष्ण को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बनवाया है. इस बात को देश की पुलिस का बड़ा कुनबा बेहतरी से जानता-समझता है. सूबे के वरिष्ठ आईपीएस आशीष गुप्ता, शफी अहसान रिजवी, आदित्य मिश्र, दलजीत सिंह चौधरी (वर्तमान में डीजी बीएसएफ), रेणुका मिश्रा, बीके मौर्य, तिलोत्तमा वर्मा, एम के बशाल, आलोक शर्मा, पीयूष आनंद हों या फिर संदीप सालुंके. इस क्रम में सभी अधिकारी 1989 से 1991 आईपीएस बैच के हैं. मगर इन सभी को राजीव कृष्ण ने सूबे की पुलिस का मुखिया बनने में पछाड़ दिया है.

एक डीजीपी ही क्यों, साथ में 2-2 और भी पद हैं

रुड़की विवि से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद आईपीएस बनने वाले राजीव कृष्ण के बारे में जितना खंगालिये उससे ज्यादा देखने-पढ़ने को मिल जाता है. अभी उनकी सेवा-निवृत्ति में 4 साल एक महीने का वक्त बाकी है. राजीव कृष्ण की पत्नी मीनाक्षी सिंह भारतीय राजस्व सेवा की वरिष्ठ अफसर हैं. वह भी लखनऊ स्थित आयकर मुख्यालय में ही तैनात हैं. आईपीएस राजीव कृष्ण की काबिलियत पर अगर कोई आगे-पीछे, जाने-अनजाने शक करता है तो उसे ध्यान रखना होगा कि, राजीव कृष्ण को सूबे की सरकार ने सिर्फ कार्यवाहक डीजीपी ही नहीं बनाया है. वरन् उनकी अद्भूत पुलिस कार्य-प्रणाली के चलते, निदेशक राज्य सतर्कता अधिष्ठान और राज्य पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष का भी पद दिया गया है. जोकि उनके पास पहले से ही थे. आइंदा इन पदों का कामकाज राजीव कृष्ण को ही तब तक देखना होगा, जब तक कि राज्य की हुकूमत चाहेगी.

सिर्फ पुलिसिया ज्ञान तक ही सीमित नहीं

राजीव कृष्ण की काबिलियत में उनका आईपीएस होना या फिर पुलिस विभाग की नौकरी का गजब का अनुभव ही शामिल नहीं है. सीमा सुरक्षा बल में प्रति-नियुक्ति के दौरान (IG BSF Operations) उन्होंने ही भारत-पाकिस्तान सीमा पर Comprehensive Integrated Border Management System (CIBMS) लागू करवाया था. जिसमें रडार, कैमरा, एरियल मॉनिटरिंग और अंडरवॉटर सेंसर जैसी तकनीक की मदद से सीमा सुरक्षा बल की नींव मजबूत हो सकी थी. सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ में वह साल 2012 से 2017 तक प्रति-नियुक्ति पर रहे थे.

जब एनकाउंटर में खुद भी जख्मी हो गए थे...

जिक्र जब नव-नियुक्त कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण का हो रहा हो तब, ऐसे में बातचीत के दौरान 1974 बैच के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह कहते हैं, “मुझे खूब याद है कि जब इन्हीं राजीव की पोस्टिंग लखनऊ में थी. तब वहां एक एनकाउंटर हो गया था. उस दौरान पुलिस पार्टी के साथ मौके पर खुद राजीव कृष्ण भी मौजूद थे. हालात कुछ इस कदर अचानक खराब हो गए कि, उस एनकाउंटर में राजीव कृष्ण भी बुरी तरह जख्मी हो गए. बीते कल में ऐसे कितने आईपीएस या सूबे के डीजीपी रहे हैं, जिन्होंने खुद अपनी पुलिस टीम के साथ एनकाउंटर में शामिल होने के दौरान खुद भी जख्मी हो गए हों. राजीव कृष्ण की वही ग्राउंड-पुलिसिंग अब उनके महानिदेशक-काल में राज्य पुलिस की सीरत और सूरत बदलने में बेहद कारगर सिद्ध हो सकती है.”

इनसे कैसे निपटेंगे राजीव कृष्ण?

उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे में फैला भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद, अमेठी जिले की कोतवाली मुसाफिरखाना में तैनात मास्टरमाइंड तिकड़मबाज दारोगा हेम नारायण सिंह, जो अपने मुखबिर हिमांशु से किन्हीं पंडित जी को आर्म्स एक्ट के फर्जी मुकदमे में जेल भेजने के लिए अवैध तमंचे का तुरंत दो घंटे में इंतजाम करने के लिए कह रहा है, थाने-चौकी मे पुलिसकर्मियों के दुर्व्यवहार के चलते, वहां आमजन या पीड़ितों का जाने के नाम से ही रूप फनाह हो जाना....आदि-आदि पुलिस महकमे में फैली कुरीतियों का खात्मा कर पाना भी नवनियुक्त कार्यवाहक डीजीपी राजीव कृष्ण के सामने मुंह बाए खड़ी चुनौतियां ही तो हैं. इनसे वे कैसे निपटेंगे? यह भविष्य के गर्भ में ही छिपा है.

अपने समकक्ष या अपने से कई वरिष्ठों को पछाड़ कर राजीव कृष्ण का सूबे का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बन जाना उतना कठिन नहीं लगता, जितना उनके सामने पुलिस महकमे में मुंह बाए खड़ी दिखाई दे रही चुनौतियां उनकी राह में मुश्किलें पैदा करती नजर आ रही हैं.

स्टेट मिरर स्पेशल
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