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भारत ने सिंधु जल संधि क्यों रोकी, पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा? जानिए सभी जरूरी सवालों के जवाब

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई CCS बैठक में यह निर्णय लिया गया. यह कदम आतंक के खिलाफ भारत की सख्त नीति को दर्शाता है और इससे दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में एक नया मोड़ आने की संभावना है.

भारत ने सिंधु जल संधि क्यों रोकी, पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा? जानिए सभी जरूरी सवालों के जवाब
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 24 April 2025 12:33 PM

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में निर्दोष नागरिकों की जान जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान को सख्त रणनीतिक संदेश देते हुए सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है. यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की आपात बैठक में लिया गया, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसे शीर्ष अधिकारी शामिल थे.

भारत के इस सख्त रुख के बाद सिंधु जल संधि एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है. यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जिसमें दोनों देशों के जल उपयोग के अधिकार तय किए गए थे. इस संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (सतलुज, व्यास, रावी) का पूर्ण उपयोग जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) से जल प्राप्त होता है. अब भारत के इस फैसले के बाद कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के संबंधों में नया मोड़ आना तय है. आइये इनसे जुड़े सभी सवालों के जवाब जानते हैं...

सिंधु जल संधि क्या है और इसका महत्व क्या है?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में कराची में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है, जो विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुआ था. इसके तहत भारत को सतलुज, रावी और व्यास (पूर्वी नदियां), और पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियां) के जल का अधिकार मिला. यह संधि चार युद्धों और दशकों के तनाव के बावजूद कायम रही है.

भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित क्यों किया?

भारत ने 26 लोगों की जान लेने वाले पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद यह निर्णय लिया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि संधि तब तक निलंबित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय रूप से समाप्त नहीं करता. यह भारत की कई कूटनीतिक कार्रवाइयों में सबसे गंभीर कदम माना जा रहा है.

इस निर्णय से भारत को क्या लाभ होगा?

भारत अब सिंधु प्रणाली की पश्चिमी नदियों के जल का अधिक उपयोग कर सकता है, जैसे: जल प्रवाह डेटा साझा करना रोकना, नए भंडारण निर्माण की स्वतंत्रता, पाकिस्तानी निरीक्षण पर रोक और जलाशयों की फ्लशिंग तकनीक का उपयोग. हालांकि, वर्तमान में भारत के पास पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है जिससे वह तुरंत पानी रोक सके.

क्या पाकिस्तान कोई कानूनी कदम उठा सकता है?

संधि में कोई निकास प्रावधान नहीं है, यानी कोई भी पक्ष इसे एकतरफा रद्द नहीं कर सकता. हालांकि विवाद समाधान तंत्र मौजूद है (अनुच्छेद IX और अनुलग्नक F, G), लेकिन अगर भारत खुद ही संधि को 'निलंबित' मान ले, तो पाकिस्तान के पास प्रभावी कानूनी या मध्यस्थता का मार्ग नहीं बचता. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय भी भारत की संप्रभु आपत्तियों के कारण पाकिस्तान के पक्ष में सुनवाई नहीं करेगा.

क्या दोनों देशों ने हाल में संधि से संबंधित कोई अन्य कदम उठाए हैं?

हां, भारत ने जनवरी 2023 और सितंबर 2024 में पाकिस्तान को संधि में संशोधन की मांग वाले दो नोटिस भेजे. पाकिस्तान ने भारत की जलविद्युत परियोजनाओं पर आपत्ति जताई, जबकि भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान संधि के प्रावधानों को लेकर लगातार अड़ियल रवैया अपना रहा है. विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ ने जनवरी 2025 में भारत के पक्ष में सुनवाई करने की पात्रता जताई.

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