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क्या इंग्लिश के बिना काम नहीं चलेगा! उत्तराखंड HC ने नैनीताल के एडीएम के हिंदी में बात करने पर उठाए सवाल

Uttarakhand High Court: उत्तराखंड हाईकोर्ट में नैनीताल के एडीएम और निर्वांचन पंजीकरण अधिकारी इंग्लिश न आने की वजह से असहज हो गए. जज ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऐसे नामों की पहचान करें, जिन्हें भाषा की समस्या है.

क्या इंग्लिश के बिना काम नहीं चलेगा! उत्तराखंड HC ने नैनीताल के एडीएम के हिंदी में बात करने पर उठाए सवाल
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( Image Source:  canava )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Published on: 26 July 2025 12:02 PM

Uttarakhand High Court: उत्तराखंड हाई कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान कुछ ऐसा हुआ, जिसकी हर ओर चर्चा हो रहा है. एक सीनियर पीसीएस अधिकारी अंग्रेजी बोलने न आने की वजह से अनकंफर्टेबल हो गए. उन्होंने मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र से हिंदी में बात की थी. वह नैनीताल के एडीएम और निर्वांचन पंजीकरण अधिकारी के पद पर हैं.

जस्टिस नरेंद्र ने उनसे पूछा कि आपस हिंदी में बात क्यों कर रहे हैं? इस पर पीसीएस अधिकारी ने जवाब दिया कि वह अंग्रेजी समझ तो सकते हैं, लेकिन फर्राटेदार बोल नहीं पाते. इस पर मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस आलोक महरा की बेंच ने राज्य निर्वाचन आयुक्त व मुख्य सचिव को ऐसे मामले की जांच करें.

कोर्ट ने दिया आदेश

बेंच ने कहा कि आप ये जांच करें कि क्या एक ऐसा अधिकारी, खुद यह स्वीकार करता है कि उसे इंग्लिश बोलनी नहीं आती, एक कार्यकारी पद को प्रभावी रूप से संभाल सकते हैं? अब मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी. बता दें कि कोर्ट में वोटर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हो रही थी, इस दौरान सवाल किया गया कि क्या सिर्फ परिवार रजिस्टर को ही आधार बनाकर लोगों के नाम वोटर लिस्ट में शामिल करना अवैध है?

इस पर एसईसी ने बताया कि बूथ स्तल के अधिकारी घर-घर जाकर जानकारी ले रहे हैं. वह पूरे परिवार का नाम, डॉक्यूमेंट्स, अस्थायी मतदाता सूची में दर्ज करते हैं. अगर कोई गड़बड़ी नहीं आती तो उन्हें वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा.

कितने लोगों नाम लिस्ट से बाहर?

हाल में सुनवाई के दौरान वोटर लिस्ट में सभी नागरिकों के नाम न होने पर चिंता जाहिर की. लिस्ट के मुताबिक, करीब 2695 दोहरे वोटर्स की वोटिंग पर फैसला लिया और मामले की एसडीएम ने जांच रिपोर्ट राज्य चुनाव आयोग को भेज दी. बता दें कि बड़कोट उत्तरकाशी निवासी राम सिंह ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें लिखा था कि बड़कोट नगर पालिका की जनसंख्या 10555 है, जिसमें 10,321 वोटर थे.

करीब 1000 हजार वोटरों को यह चिह्नित किया बिना ही इस लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. फिर से मामला बढ़ा और जांच शुरू हुई. बता दें कि जांच में करीब 2695 वोटर ऐसे पाए गए जिनका नाम दो वोटर लिस्ट में है. जिसकी रिपोर्ट राज्य चुनाव आयोग को भेजी है. हालाकि अभी तक जानकारी नहीं मिली है कि उनके नाम वोटर लिस्ट में है या नहीं.

उत्तराखंड न्‍यूज
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