श्रद्धा की सुनामी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड! हरिद्वार में आए 4.5 करोड़ कांवड़िए, प्रशासन बोला- इतिहास बन गया
जैसे ही अंतिम दिन की संध्या ढली, जिला मजिस्ट्रेट मयूर दीक्षित और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोभाल ने हर की पौड़ी और दक्षेश्वर महादेव मंदिर में पूजा कर मेले के शांतिपूर्ण समापन के लिए ईश्वर का धन्यवाद किया.

श्रावण मास का पवित्र अवसर और उससे जुड़ी कांवड़ यात्रा हर साल उत्तर भारत में आस्था की एक विराट झलक पेश करता है. लेकिन इस बार, 2025 का श्रावण कांवड़ मेला हरिद्वार के इतिहास में एक नया चैप्टर बनकर उभरा तीर्थ, भीड़, सुरक्षा, और सामाजिक जिम्मेदारी की एक जटिल परतों के बीच. वहीं इस बार कांवड़ यात्रियों की संख्या ने भी देश भर को चौंका दिया है. जिसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
11 से 23 जुलाई तक चले इस 13 दिवसीय मेले में हरिद्वार ने 4.5 करोड़ (45 मिलियन) कांवड़ियों का स्वागत किया एक ऐसा आंकड़ा जो पिछले सालों की तुलना में साफ़ तौर पर दर्शाता है कि धार्मिक आस्था लगातार व्यापक होती जा रही है. 2024 में 4.14 करोड़ और 2023 में 4.07 करोड़ तीर्थयात्रियों की तुलना में इस बार की तेजी वृद्धि ने न केवल प्रशासन को बल्कि स्थानीय समाज को भी बड़ी परीक्षा में डाला।
प्रशासन की सफलता और धन्यवाद
जैसे ही अंतिम दिन की संध्या ढली, जिला मजिस्ट्रेट मयूर दीक्षित और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोभाल ने हर की पौड़ी और दक्षेश्वर महादेव मंदिर में पूजा कर मेले के शांतिपूर्ण समापन के लिए ईश्वर का धन्यवाद किया. दीक्षित ने इस अवसर पर न केवल तीर्थयात्रियों, बल्कि पुलिस, अर्धसैनिक बलों, स्वयंसेवकों और आम नागरिकों को भी उनके अनुशासित सहयोग के लिए सार्वजनिक रूप से आभार प्रकट किया.
हर पहरे पर थी कड़ी नजर
श्रद्धालुओं की भारी आमद के मद्देनज़र, सुरक्षा को अभूतपूर्व स्तर तक मजबूत किया गया था. 3,000 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ-साथ 1,350 होमगार्ड्स और पीआरडी, पीएसी की 15 कंपनियां, पैरामिलिटरी फोर्सेज की 9 कंपनियां, बम और एंटी टेररिज्म स्क्वाड, जल पुलिस, खोजी कुत्ते, घुड़सवार स्क्वाड, ड्रोन और सीसीटीवी हर तकनीक और मानव संसाधन मैदान में थे. हर पग, हर घाट, हर मोड़ पर नज़र रखी जा रही थी.
शांति के बीच हिंसा का उत्पाद
लेकिन इतने बड़े जमावड़े में सब कुछ शांतिपूर्ण रहा, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता. कांवड़ यात्रा के दौरान एक दर्जन एफआईआर दर्ज हुईं, 17 लोग गिरफ्तार किए गए और 150 अज्ञात कांवड़ियों के खिलाफ गुंडागर्दी व हिंसा में शामिल होने के आरोप में मामले दर्ज किए गए. इन घटनाओं को लेकर पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ का बयान बेहद सख्त था कि आस्था के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
न्यायपालिका की चेतावनी और सवाल
15 जुलाई को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस हिंसा को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से दो प्रमुख सवाल पूछे पहला, इतनी भीड़ और मानसून के दौरान पंचायत चुनाव आयोजित करना क्या उचित है? और दूसरा, क्या सरकार ने सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियों के बीच संतुलन बिठाया है? यह याचिका देहरादून निवासी बैजनाथ द्वारा दायर की गई थी, जिसमें यह मांग की गई कि जब राज्य धार्मिक और मौसमी दोनों चुनौतियों से जूझ रहा है, तब चुनावों को टाल देना चाहिए.
कूड़ा, आस्था और जिम्मेदारी
चार करोड़ से अधिक लोगों के आने के बाद हरिद्वार घाटों पर जमा कचरे की चिंता स्वाभाविक थी. इस मुद्दे पर खुद डीएम दीक्षित ने पहल करते हुए तीन दिवसीय सफाई अभियान की घोषणा की. बड़ा उदासीन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने तीर्थयात्रियों और स्थानीय निवासियों से अपील की गंगा केवल एक नदी नहीं, वह हमारी मां हैं. उसके तटों को प्रदूषित करना हमारी श्रद्धा के खिलाफ है.