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2026 से मदरसा बोर्ड सिस्टम खत्म! अब अल्पसंख्यक शिक्षा में होगा बड़ा बदलाव, जानें क्या है शैक्षणिक संस्थान विधेयक 2025

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 19 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा के आगामी सत्र में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक, 2025 पेश करने का निर्णय लिया है. इससे मदरसा बोर्ड सिस्टम खत्म हो जाएगा और सिख और ईसाई धर्म की शिक्षा का दर्जा मिलेगा.

2026 से मदरसा बोर्ड सिस्टम खत्म! अब अल्पसंख्यक शिक्षा में होगा बड़ा बदलाव, जानें क्या है शैक्षणिक संस्थान विधेयक 2025
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( Image Source:  x-@pushkardhami )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 17 Aug 2025 3:54 PM IST

जैसे ही उत्तराखंड में 19 अगस्त से मानसून सत्र की शुरुआत होगी, राज्य की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था दोनों एक नए मोड़ पर खड़ी दिखाई देंगी. गैरसैंण राज्य में 19 से 22 अगस्त तक विधानसभा सत्र का आयोजन होगा. लेकिन यह कोई सामान्य सत्र नहीं है. इस बार धामी सरकार एक ऐसा विधेयक लेकर आ रही है, जो राज्य की अल्पसंख्यक शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह से बदल सकता है.

यह विधेयक पारित होने के बाद राज्य में मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों को गुरुमुखी और पाली जैसी भाषाएं पढ़ाने की अनुमति भी मिलेगी. एक ऐसा कदम जो सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को बढ़ावा देगा.

क्या है 'उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक, 2025'?

राज्य सरकार 'उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान विधेयक, 2025' विधानसभा में पेश करने जा रही है. इसका उद्देश्य यह है कि अल्पसंख्यक दर्जे के शैक्षणिक संस्थानों को केवल मुसलमानों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई समुदायों के संस्थानों को भी यह दर्जा दिया जाए.

मदरसा शिक्षा बोर्ड का अंत?

इस विधेयक के सबसे बड़े प्रभावों में एक यह है कि इसके लागू होने के बाद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 और गैर-सरकारी अरबी एवं फ़ारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019 को 1 जुलाई 2026 से खत्म कर दिया जाएगाय यानी राज्य में मदरसा बोर्ड के युग का पटाक्षेप होने जा रहा है. धामी सरकार का यह निर्णय न केवल प्रशासनिक ढांचे में बदलाव लाएगा, बल्कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में 'एक समान नीति' लागू करने की दिशा में एक बड़ा संकेत भी माना जा रहा है.

क्यों अहम है यह विधेयक?

यह शिक्षा के क्षेत्र में समानता और समावेशन को बढ़ावा देगा. अल्पसंख्यक संस्थानों के दायरे का विस्तार होगा. इसके अलावा, परंपरागत भाषाओं जैसे गुरुमुखी और पाली को पुनर्जीवित करने का अवसर मिलेगा. साथ ही, पुराने नियमों और बोर्ड्स की जगह एक समेकित नीति आएगी.

सत्र में गरम होगी राजनीति

सरकार के इस निर्णय से सत्र में पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस तय मानी जा रही है. मदरसा बोर्ड खत्म करने के प्रस्ताव को लेकर विपक्षी दल पहले ही नाराजगी जता चुके हैं. गैरसैंण की शांत वादियों में जब विधानसभा गूंजेगी, तो शिक्षा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर जोरदार टकराव भी देखने को मिलेगा.

उत्तराखंड न्‍यूज
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