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Kedarnath Helicopter Crash: हवा का ‘रुख’ बादलों की ‘चाल’ मौसम की ‘अकड़न’, क्यों हो रहे केदारनाथ में हेलीकॉप्टर-हादसे? EXCLUSIVE

केदारनाथ यात्रा के दौरान रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड क्षेत्र में एक और हेलीकॉप्टर हादसे में रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान सहित सात लोगों की मौत हो गई. पूर्व एयर वाइस मार्शल अनिल तिवारी के अनुसार, यह पांचवा हेलीकॉप्टर एक्सीडेंट है, जिनमें अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है. लगातार हादसे तीर्थयात्रा सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं.

Kedarnath Helicopter Crash: हवा का ‘रुख’ बादलों की ‘चाल’ मौसम की ‘अकड़न’, क्यों हो रहे केदारनाथ में हेलीकॉप्टर-हादसे? EXCLUSIVE
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 17 Jun 2025 10:21 PM IST

केदारनाथ धाम (Kedarnath Yatra) यात्रा के दौरान बीते दिनों हुआ हेलीकॉप्टर हादसा (Kedarnath Helicopter Crash) पहली घटना नहीं है. घाटी में इस तरह की जानलेवा और डरावनी अब तक 6-7 घटनाएं हो चुकी हैं. क्या इन हादसों पर लगाम लगाई जा सकती है? या ऐसे पवित्र-धार्मिक स्थल पर इस तरह के हादसों पर कैसे लगाम लगाई जा सकती है? इन्हीं तमाम सवाल के जवाब पाने के लिए “स्टेट मिरर हिंदी” के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने एक्सक्लूसिव बात की भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के अनुभवी एयर वाइस मार्शल (Air Vice Marshal AVM Indian Air Force Anil Tiwari) अनिल तिवारी से.

1970 दशक के एनडीए के बहादुर होनहार और काबिल कमीशंड पासआउट कैडिट्स में शुमार रहे अनिल तिवारी, 37 साल की सेवा के बाद साल 2019 में भारतीय वायुसेना से एअर वाइस मार्शल (Indian Air Force Vice Marshal) के पद से रिटायर हो चुके हैं. वह “स्टेट मिरर हिंदी” से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विशेष बातचीत कर रहे थे.

घाटी में यह पहला नहीं पांचवा हेलीकॉप्टर हादसा है

बकौल पूर्व एयर वाइस मार्शल अनिल तिवारी, “केदारनाथ धाम यात्रा या फिर कहिए कि केदारनाथ घाटी. जबसे यात्रा के लिए मंदिरों के कपाट खुले हैं तब से अब तक हुआ यह (रविवार 15 जून 2025 को सुबह करीब पांच बजे) यह कोई पहली हेलीकॉप्टर दुर्घटना नहीं है. जिसमें पायलट रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान (Retired Pilot Lieutenant Colonel Rajveer Singh Chauhan) सहित सात लोगों की दुखद मौत हो गई. यह पांचवी हेलीकॉप्टर दुर्घटना है केदारनाथ घाटी में. इन 5 में से दो हेलीकॉप्टर हादसे फैटल (जिनमें दो पायलट सहित 13 लोगों की जान चली गई) हुए हैं. पहले वाले हेलीकॉप्टर हादसे में पायलट सहित 6 लोगों ने जान गंवाई थी. जबकि रविवार को (रुद्रप्रयाग के गौरीकंड के गौरीमाई खर्क) घाटी में हुए हेलीकॉप्टर क्रैश (Kedarnath Helicopter Crash) में पायलट सहित 6 सवारियों-तीर्थ-यात्रियों की जान चली गई.”

कंपनी प्रबंधकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

यहां बताना जरूरी है कि रविवार को दुर्घटना का शिकार बना हेलीकॉप्टर आर्यन कंपनी द्वारा संचालित किया जा रहा था. इस दर्दनाक हादसे के लिए फिलहाल शुरूआती जांच में कंपनी के दो प्रबंधकों को जिम्मेदार माना जा रहा है. दोनों के ही खिलाफ फाटा के राजस्व उप-निरीक्षक द्वारा सोनप्रयाग पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया है. स्थानीय पुलिस अधिकारियों से बातचीत के दौरान स्टेट मिरर हिंदी को पता चला कि बेशक, हेलीकॉप्टर की दुर्घटना की वजह खराब मौसम में उड़ान भरना ही क्यों न रहा हो. मगर हादसे की जिम्मेदारी के मूल में कंपनी के दोनो प्रबंधकों की लापरवाही निकल कर सामने आ रही है. पुलिस द्वारा किए गए मुकदमे में साफ तौर से उल्लेख है कि रविवार को हुए हेलीकॉप्टर हादसे के लिए संबंधित कंपनी द्वारा, यूकाडा और डीजीसीए द्वारा उड़ान के तय मानकों का खुला उल्लंघन किया गया था.

15 साल पहले और आज हेलीकॉप्टर उड़ानों में फर्क

स्टेट मिरर हिंदी से बातचीत के दौरान केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर हादसों की इनसाइड स्टोरी (Inside Story of Kedarnath Valley Helicopter Crash) बाहर लाते हुए भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड एअर वाइस मार्शल अनिल तिवारी कहते हैं, “केदारनाथ-बदरीनाथ धाम यात्रा में हो रहे हेलीकॉप्टर हादसों के अतीत पर नजर डालिए. 14-15 साल पहले यहां यात्रियों-श्रद्धालुओं की यात्रा सुगम बनाने के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की गई थी. वर्षों या साल की यह गिनती थोड़ी बहुत ऊपर नीचे हो सकती है. शुरूआती दौर में इस यात्रा में 5-6 हेलीकॉप्टर उड़ान भरा करते थे. आज तीन हेलीपैड बन चुके हैं. एक गुप्तकाशी में, दूसरा सीरसी में और तीसरा हेलीपैड फाटा में बन चुका है. यह केदारनाथ से 6 से 7 मिनट की हेलीकॉप्टर फ्लाइंग की दूरी पर हैं.”

केदार घाटी में हेलीकॉप्टर उड़ाना, नाखून से पर्वत तोड़ना है

केदारनाथ घाटी में आखिर हेलीकॉप्टर हादसे रोजमर्रा की बात क्यों बनते जा रहे हैं? सवाल के जवाब देने के क्रम में अनिल तिवारी कहते हैं, “ इन तीनों जगहों पर (फाटा, सीरसी और गुप्तकाशी हेलीपैड) भी 12-15 हेलीपैड हैं. जिन्हें 8-9 लोग इस्तेमाल करते हैं. इन पर इस वक्त मेरी जानकारी के मुताबिक 9 हेलीकॉप्टर ऑपरेट कर रहे हैं.भारतीय वायुसेना में सेवा के दौरान मैंने बदरीनाथ-केदारनाथ में लंबे समय तक फ्लाई किया है. इसलिए मैं वहां के मौसम, भूगोल से काफी अच्छे से वाकिफ हूं. केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर उड़ाने के लिए सिर्फ ट्रेंड पायलट होना ही काफी नहीं है. 10 हजार फुट ऊंची-गहरी और बेहद संकरी केदारनाथ जैसी दुर्गम घाटी में या घाटी के ऊपर, हेलीकॉप्टर उड़ाने वाले पायलट का बेहद मंझा हुआ अनुभवी होना कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है. कहूं कि केदारनाथ जैसी दुर्गम घाटी में किसी भी पायलट के लिए हेलीकॉप्टर उड़ाना नाखून से पर्वत काटने जैसा मुश्किल है. तो गलत या अतिश्योक्ति नहीं होगा.”

इन दो लापरवाह मैनेजरों पर मुकदमा दर्ज

उत्तराखंड राज्य पुलिस महानिदेशालय के एक अधिकारी ने स्टेट मिरर हिंदी को अपना नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, “15 जून 2025 को सुबह के वक्त घाटी में घटी हेलीकॉप्टर दुर्घटना के लिए पायलत कतई जिम्मेदार नजर नहीं आता है. अब तक प्राथमिक जांच में ऐसे ठोस संकेत-सबूत मिलने शुरू हो चुके हैं कि, हादसे की जड़ में आर्यन एविएशन का बेस मैनेजर विकास तोमर और एकाउंटेबल मैनेजर कौशिक पाठक की अनदेखी-लापरवाही प्रमुख वजह रही है. मुकदमा दर्ज करवाने वाले फाटा के राजस्व-उप-निरीक्षक की शिकायत में भी इसका उल्लेख है. दोनों ही लापरवाह एविएशन कंपनी अधिकारियों को नामजद करते हुए कोतवाली सोनप्रयाग में, भारतीय दंड संहिता की 28/2025 धारा- 105, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 और धारा 10 वायुयान अधिनियम 1934 बनाम विकास तोमार-कौशिक पाठक के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच तेजी से शुरू हो चुकी है.”

आर्यन एविएशन के गले में कानूनी फंदा कसना तय

स्टेट मिरर हिंदी द्वारा की गई पड़ताल में कई बातें साफ हो चुकी हैं. मसलन, डीजीसीए और यूकाडा ने जारी एसओपी के हिसाब से ही (फ्लाइंग स्लॉट) उड़ान भरने को कहा था. मुकदमे में नामजद आर्यन एविएशन कंपनी के दोनो ही लापरवाह प्रबंधकों ने मगर, एसओपी को पूरी तरह से नजरंदाज करके हेलीकॉप्टर उड़वाया था. मुकदमा दर्ज करके जांच कर रहे सोनप्रयाग-कोतवाली के कोतवाल राकेंद्र सिंह कठैत खुद भी इसके तस्दीक करते हैं. केदारनाथ घाटी में ठेका लेने के बाद बेकाबू हो जाने वाली एविएशन कंपनियों को काबू करने और यहां आए दिन होने वाले दर्दनाक हेलीकॉप्टर हादसों पर नियंत्रण पाने के बारे में बात करते हुए भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड एअर वाइस मार्शल अनिल तिवारी कहते हैं, “प्रैक्टिल सच्चाई यह है कि जिन हेलीपैड से सिर्फ 6 हेलीकॉप्टर ही उड़ाए जा सकते हैं, वहां से 9 हेलीकॉप्टर उड़ाए जा रहे हैं. आखिर क्यों? कौन देखेगा इसे? इस पर संबंधित निजी हेलीकॉप्टर कंपनी, डीजीसीए और राज्य सरकार को ही नजर रखनी है न.”

हेलीकॉप्टर उड़ान है या लोकल बस-सेवा?

“हेलीकॉप्टर सेवा को नियमानुसार सुचारू और सुरक्षित ढंग से चलवाए जाने के बजाए हो यह रहा है कि, हेलीकॉप्टर सेवा को ‘बस-सेवा’ बना डाला गया है. एक के बाद एक हेलीकॉप्टर सिर्फ और सिर्फ जल्दी से जल्दी एक उड़ान खतम करके दूसरी उड़ान पर आसमान में निकल जाने में पायलट और हेलीकॉप्टर जुटे हैं.” केदानाथ-बदरीनाथ घाटी में एक के बाद एक हो रही दर्दनाक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं पर बेबाक बात करते हुए कहते हैं पूर्व एअर मार्शल अनिल तिवारी (Anil Tiwari Retired Air Vice Marshal Indian Air Force AVM). उनके अनुसार, “सहस्त्रधारा का ही जिक्र करूं तो यहां से 24-25 हेलीकॉप्टर ऑपरेट होते हैं. मैं पुष्टि तो नहीं कर सकता हूं मगर जितना मैंने सुना है कि बदरीनाथ-केदारनाथ घाटी में, इस वक्त 30-32 हेलीकॉप्टर फ्लाइ कर रहे हैं. एक के पीछे एक धड़ाधड़.”

DGCA की SOP ‘फुलप्रूफ’ गलती एविएशन कंपनी...!

क्यों आए दिन केदारनाथ घाटी बेकसूर श्रद्धालुओं-हेलीकॉप्टर पायलटों से खून से रंग डाली जा रही है? सवाल के जवाब पर लंबी एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए, इंडियन एयर फोर्स के पूर्व एअर वाइस मार्शल अनिल तिवारी कहते हैं, “यहां (केदारनाथ घाटी में) हेलीकॉप्टर्स के उड़ान भरने के लिए डीजीसीए के कड़े-नियम कानून (एसओपी) है. इस एसओपी या डीजीसीए द्वारा तय उड़ान नियम-कानूनों पर खरा तो, हेलीकॉप्टर उड़ा रही निजी एविएशन कंपनी को ही उतरना होगा. जब निजी हेलीकॉप्टर कंपनी ही लापरवाही बरतने लगे तो फिर हादसे कौन और कैसे रोकेगा?”

हेलीकॉप्टर कंपनी मालिक और ग्राउंड मैनेजमेंट में फर्क

“बेशक कोई भी निजी विमान या हेलीकॉप्टर कंपनी का बिजनेसमैन (एविएशन कंपनी संचालक-मालिक) अपनी और कंपनी की साख को खुद ही जान-बूझकर बट्टा लगवा कर कारोबार चौपट कराना नही चाहता है. उसका ग्रांउड स्टाफ (डायरेक्टर ऑपरेशन स्टाफ-प्रबंध) लेकिन अक्सर ऐसी गलतियां जाने-अनजाने कर ही बैठता है, जो केदारनाथ घाटी जैसे हेलीकॉप्टर हादसों के रूप में सामने आती हैं. निजी तौर पर कहूं तो मुझे इन हादसों की जड़ में निजी कंपनी के ग्राउंड प्रबंधन (कंपनी मालिकान नहीं) में कमी नजर आती है!

जाने-अनजाने गलती पायलट से भी हो सकती है

“मैं मानता हूं कि ऐसे कई हेलीकॉप्टर हादसों के लिए फ्लाई कर रहे पायलट से भी जाने-अनजाने या अनुभवहीनता के चलते गलतियां हो सकती हैं. लेकिन 15 जून 2025 को सुबह के वक्त हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मुझे पायलट से ज्यादा, एविएशन कंपनी के ग्रांउड मैनेमेंजट की गलती नजर आ रही है. हो सकता है कि मेरी सोच गलत हो. हादसे की सही वजह तो वही मानी जाएगी जो डीजीसीए और पुलिस की जांच में निकल कर सामने आएगी. इस हादसे में एविएशन कंपनी के ग्राउंड प्रबंधन से जो गलती हुई वह तो निकल कर सामने आ ही जाएगी. मुझे आशंका इस बात की भी है कि हादसे से पूर्व शायद हेलीकॉप्टर पायलट भी अचानक बदले मौसम का रुख भांप पाने में कहीं न चूक गया हो?”

केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर हादसों की वजह

तमाम शंकाओं पर विराम लगाते हुए अनिल तिवारी ने बताया, “केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर हादसों के कारण-निवारण का जिक्र करते वक्त ध्यान रखना होगा कि, यह दुर्गम घाटी हेलीकॉप्टर उड़ान की नजर से बेहद खतरनाक है. 10 हजार फुट की उंचाई पर इस कदर की संकरी घाटी में वह भी तब, जब यहां का मौसम-बादल पांच या दो मिनट में अपना रंग-रूप अचानक बदल डालते हों. तो हेलीकॉप्टर पायलट के लिए इस आपात स्थिति से सुरक्षित निकल पाना और भी ज्यादा दुश्वार हो जाता है. मुझे नहीं लगता है कि दस साढ़े दस हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ घाटी जैसा, फ्लाइंग की नजर से अचानक बदलकर खतरनाक हो जाने वाला मौसम कहीं और देखने को किसी हेलीकॉप्टर पायलट को जल्दी मिलता होगा.”

हवा का ‘रूख’ बादलों की ‘चाल’ मौसम की ‘अकड़न’

स्टेट मिरर हिंदी के एक सवाल के जवाब में पूर्व एयर वाइस मार्शल अनिल तिवारी कहते हैं, “केदारनाथ जैसी ऊंची, संकरी और उड़ान के नजरिए से बेहद खतरनाक घाटी में फ्लाइ कर रहे पायलट को, वहां हवा के ‘रुख’, बादलों की अचानक बदलने वाली खतरनाक ‘चाल’ और आंखों के सामने देखते-देखते बदल जाने वाली मौसम की ‘अकड़न’ को पलक झपकते समझ लेने की कला में मास्टर होना बेहद जरूरी है. अक्सर यही तीनों बदलाव हेलीकॉप्टर के पायलट के नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं. जो हादसे की प्रमुख वजह साबित होती हैं. जहां तक 15 जून 2025 को केदारनाथ घाटी में हुए हेलीकॉप्टर हादसे पर अगर कहूं तो, पायलट ने मौसम और अचानक बादल सामने आने की मुसीबत तो भांप ली. इसीलिए पायलट ने तुरंत कंट्रोल रूम को यह बता भी दिया. पायलट जब उन बादलों से बचने के लिए हेलीकॉप्टर को पीछे लेकर मोड़ने की कोशिश में थे, तभी शायद क्लियर वीजन न होने के चलते हेलीकॉप्टर बेहद संकरी घाटी होने के चलते पहाड़ी से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा.”

केदारनाथ हेलीकॉप्टर हादसे ऐसे रुक सकते हैं

केदारनाथ घाटी में हेलीकॉप्टर हादसे कैसे रुक सकते हैं? बातचीत के अंत में इस अहम सवाल का जवाब देते हुए रिटायर्ड एयर वाइस मार्शल अनिल तिवारी ने कहा, “इस दुर्गम घाटी में सिर्फ पायलट ट्रेनिंग से पासआउट होकर हेलीकॉप्टर उड़ाने कतई नहीं पहुंचना चाहिए. यह मैं नए पायलट्स के लिए ही नहीं कह रहा हूं. जो पायलट अच्छा उड़ान अनुभव रखते हैं उन्हें भी केदार-घाटी में स्वतंत्र रूप से हेलीकॉप्टर उड़ाने से पहले, इस घाटी में हेलीकॉप्टर उड़ान का लंबा अनुभव रखने वाले पायलट के साथ बतौर को-पायलट ही उड़ान और मौसम की बारीकियां सीखनी चाहिए. हेलीकॉप्टर उड़ाना आना अलग बात है. बेहद खतरनाक संकरी केदारनाथ घाटी के भूगोल और अचानक उसके बदल जाने वाले मौसम को समझने की ट्रेनिंग लेना अलग बात है.

एविएशन कंपनी और उसके पायलटों के लिए ‘पाठ’

जब तक केदारनाथ घाटी, उसके मौसम की जबरदस्त समझ पायलट को न हो, तब तक वह यहां हेलीकॉप्टर फ्लाई करके अपनी और दूसरों की जान खतरे में डालने का जोखिम बिलकुल न उठाए. साथ ही यहां हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली जो निजी एविएशन कंपनियां हैं उनको हर हाल में तय करना होगा कि, उनका ग्राउंड जीरो स्टाफ-मैनेजमैंट यूकाडा और DGCA के नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाने की जुर्रत न करे. फिर दिन भर में एक ही फ्लाइट उड़ सके या चार-छह फ्लाइट. कितनी फ्लाइट दिन में उड़ीं? एविएशन कंपनी के लिये यह गिनती अहम नहीं होनी चाहिए. कंपनी को प्राथमिकता इसे देनी होगी कि, कितनी सुरक्षित फ्लाइट्स उड़ सकीं?”

उत्तराखंड न्‍यूजस्टेट मिरर स्पेशल
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