लोहे की रॉड से पीटा फिर सिगरेट से जलाया! बोर्डिंग स्कूल में केयरटेकर ने दो दिव्यांग भाइयों के साथ किया कुकर्म
Dehradun Crime News: देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल में दो दिव्यांग भाइयों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया है. स्कूल के 29 साल के केयरटेकर ने बच्चों के साथ हैवानियत की. बच्चों ने बताया कि केयरटेकर उन्हें लोहे की रॉड से पीटता है, सिगरेट से जलाता है और उनके साथ छेड़छाड़ करता है.

Dehradun Crime News: उत्तराखंड के देहरादून स्थित एक बोर्डिंग स्कूल में दो दिव्यांग भाइयों के साथ यौन शोषण का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. स्कूल के केयरटेकर ने ही इस अपराध को अंजाम दिया. पीड़ितों के साथ मारपीट भी की गई. बच्चों ने अपनी मां को अपने साथ हुई हैवानियत के बारे में बताया.
पीड़ित भाईयों की मां ने अपने बेटों से केयरटेकर के खिलाफ सच जानने के बाद पुलिस में आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. यह स्कूल अवैध रूप से संचालित किया जा रहा है. पीड़ितों की उम्र 9 वर्ष और 13 वर्ष है, जिन्हें मानसिक यातना दी गई और यौन शोषण किया गया.
एक्शन में आई पुलिस
पीड़ित बच्चों की मां की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया और 29 साल के केयरटेकर को गिरफ्तार कर लिया. उसके खिलाफ पोक्सो एक्ट की अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया है. महिला ने अपने पति के निधन के बाद अपने दोनों बेटों का एडमिशन इस स्कूल में करवाया था. फिर वह अपनी जॉब पर जाने लगी. महिला ने पुलिस को बताया कि उसे ऑनलाइन सर्च के दौरान पेंसिल बॉक्स नाम के स्कूल के बारे में पता चला था.
पीड़ितों ने सुनाई आपबीती
हाल ही में बच्चों की मां जब उनसे मिलने स्कूल आई को पीड़ितों ने रोते हुए अपने साथ हुई हैवानियत के बारे में उन्हें बताया. बच्चों ने उन्हें बताया कि केयरटेकर उन्हें लोहे की रॉड से पीटता है, सिगरेट से जलाता है और उनके साथ छेड़छाड़ करता है.
इसके बाद मां ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी हॉस्टल केयरटेकर सोनू को गिरफ्तार कर लिया गया. अब पुलिस स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच कर रही हैं. फिलहाल आरोपी जेल में है.
बाल अधिकार आयोग ने भी लिया एक्शन
इस मामले की जानकारी मिलते ही राज्य बाल अधिकार आयोग ने भी मामले में हस्तक्षेप करते हुए बच्चों से बात कर विस्तृत जानकारी प्राप्त की. साथ ही स्कूल बिना उचित अनुमति के चल रहा था. आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना ने कहा, एक महिला विकलांग व्यक्तियों के लिए एक विशेष स्कूल चला रही थी और सबसे पहली बात तो यह कि उसके पास ऐसी सुविधा संचालित करने के लिए आवश्यक अनुमति नहीं थी. हाल ही में उन्होंने आरोपी सोनू को काम पर रखा, लेकिन उसका पुलिस सत्यापन नहीं हुआ था और हमें कोई नियुक्ति पत्र भी नहीं मिला.