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हिंदू-मुस्लिम कपल की शादी के बीच धर्म बना दीवार! बजरंग दल की धमकी से कांपी लड़की की फैमिली, गवाहों ने भी छोड़ा साथ

देहरादून के एक हिंदू-मुस्लिम जोड़े की शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होनी थी, लेकिन सोशल मीडिया पर निजी जानकारी लीक होने के बाद उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ा. गवाहों के पीछे हटने और लड़की के पिता पर सामाजिक बहिष्कार के दबाव के कारण आवेदन अटक गया. बजरंग दल और हिंदू रक्षा दल जैसे संगठनों पर धमकी देने का आरोप लगाया गया है. हाईकोर्ट ने पुलिस को सुरक्षा देने का निर्देश दिया, लेकिन FIR तक दर्ज नहीं की गई.

हिंदू-मुस्लिम कपल की शादी के बीच धर्म बना दीवार! बजरंग दल की धमकी से कांपी लड़की की फैमिली, गवाहों ने भी छोड़ा साथ
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( Image Source:  AI )

Dehradun Hindu-Muslim couple interfaith marriage: देहरादून के एक युवा जोड़े ने 10 साल के प्रेम संबंध के बाद विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत शादी करने का फैसला किया था, लेकिन शनिवार को उनका आवेदन रोक दिया गया, क्योंकि दो गवाहों ने पीछे हटते हुए धमकियों और महिला के पिता के समुदाय की आपत्ति का हवाला दिया. 28 वर्षीय यह हिंदू-मुस्लिम जोड़ा लंबे समय से एक-दूसरे को जानता है. दोनों ने स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ पढ़ाई की है. जब उन्होंने कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन किया, तब किसी अज्ञात फेसबुक यूज़र ने उनकी तस्वीरों और विवरण को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जिसके बाद उन्हें धमकियां मिलने लगीं. महिला के घर पर भी विरोध और दबाव का माहौल बन गया.

महिला ने बताया कि उनके पिता को समुदाय से बहिष्कार की धमकी दी गई, जिसके बाद मजबूरन उन्होंने एसडीएम के सामने आपत्ति दर्ज करवाई. हालांकि वह मानती हैं कि उनके माता-पिता उनके फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन 'पूरा सिस्टम' उनके खिलाफ हो गया है. महिला का आरोप है कि कुछ वकील और सरकारी कर्मचारी भी इस प्रक्रिया को जानबूझकर टाल रहे हैं और मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं. वहीं, एसडीएम ने सभी आरोपों से इनकार किया है.

बजरंग दल और हिंदू रक्षा दल से मिल रही धमकियां

पुरुष, जो पेशे से वकील हैं, ने बताया कि जब से उनकी जानकारी लीक हुई है, वे काम पर नहीं जा रहे. उन्होंने कहा कि उन्हें बजरंग दल और हिंदू रक्षा दल जैसे संगठनों से लगातार धमकियां मिल रही हैं. इस स्थिति के चलते जोड़े ने उच्च न्यायालय से सुरक्षा की गुहार लगाई. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के Lata Singh बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2006) के फैसले का हवाला देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि बालिगों के बीच अंतरधार्मिक विवाह करने वालों को न तो परेशान किया जाए और न ही उन्हें धमकी दी जाए.

पुलिस पर एफआईआर दर्ज न करने का आरोप

हालांकि, महिला ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया और कहा कि वे केवल "वास्तविक खतरे" की स्थिति में ही सुरक्षा दे सकते हैं. वहीं, उनकी मदद कर रही वकील को भी समाज से बहिष्कृत किया जा रहा है. एसडीएम सदर हर गिरी ने कहा कि वह गवाहों के हटने के कारणों की जांच कर रहे हैं, लेकिन धमकियों को उनकी जिम्मेदारी नहीं माना जा सकता.

उधम सिंह नगर में भी सामने आया था ऐसा ही मामला

गौरतलब है कि इसी साल उधम सिंह नगर में एक अन्य अंतरधार्मिक जोड़े को भी ऐसी ही परेशानियों का सामना करना पड़ा था, जहां हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद उनकी जानकारी सार्वजनिक कर दी गई थी. यह मामला एक बार फिर देश में धार्मिक असहिष्णुता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संघर्ष को सामने लाता है.

उत्तराखंड न्‍यूज
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