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कौन था पशु तस्कर गैंग का सरगना जुबैर अहमद जिसे यूपी STF ने मुठभेड़ में किया ढेर, दीपक का परिवार बोला- अब बेटे को मिला न्याय

गोरखपुर में दीपक गुप्ता की हत्या के मुख्य आरोपी जुबैर अहमद को पुलिस मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया. जुबैर का नेटवर्क यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था. जांच में पता चला कि कुशीनगर के दो पुलिसकर्मी भी मदद कर रहे थे. इस कार्रवाई से परिवार को न्याय मिला और पूरे क्षेत्र में कानून की ताकत का संदेश गया. 50 से अधिक पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की गई.

कौन था पशु तस्कर गैंग का सरगना जुबैर अहमद जिसे यूपी STF ने मुठभेड़ में किया ढेर, दीपक का परिवार बोला- अब बेटे को मिला न्याय
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( Image Source:  X/Dinehshukla )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 27 Sept 2025 9:44 AM IST

गोरखपुर के जंगल छत्रधारी गांव में 20 वर्षीय दीपक गुप्ता की हत्या ने पूरे इलाके को झकझोर दिया था. दीपक ने उन पशु तस्करों को रोकने की कोशिश की थी जो गांव में जानवर चोरी कर रहे थे. उसकी वीरता की कीमत उसकी जान से चुकानी पड़ी. पर शुक्रवार रात हुई बड़ी मुठभेड़ ने इस दर्दनाक घटना में इंसाफ की किरण जगा दी. पुलिस ने फरार चल रहे एक लाख रुपये के इनामी जुबैर अहमद को ढेर कर दिया.

इस मुठभेड़ ने न सिर्फ परिवार को सुकून दिया, बल्कि पूरे जिले में कानून की ताकत का संदेश भी भेजा. गोरखपुर और पड़ोसी जिलों में पशु तस्करी के खिलाफ चल रही जांच अब और तेज हो जाएगी.

कौन था जुबैर अहमद?

जुबैर अहमद बिहार के रामपुर का रहने वाला था और पशु तस्करी का बड़ा सरगना था. उसका नेटवर्क यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था. गोरखपुर, बस्ती और गोंडा से चोरी किए गए जानवरों को वह बिहार के सिवान जिले के तेतहली में स्थित अपने बड़े बाड़े में लाकर पश्चिम बंगाल तक सप्लाई करता था. जुबैर का मुख्य साथी कुख्यात तस्कर मन्नू शाह का दामाद था, जो पहले ही जेल जा चुका है. इसके अलावा एजाज और राजू शाह जैसे सहयोगी उसके गिरोह में सक्रिय थे. उनका मुख्य संचालन बिहार के नरहरवा से होता था.

पुलिस के अंदर से मिली थी मदद

जांच में पता चला कि कुशीनगर में तैनात दो पुलिसकर्मी जुबैर की मदद कर रहे थे. ये अधिकारी अन्य पुलिस कर्मियों से सेटिंग कराकर पशुओं को बॉर्डर पार कराने के लिए पैसे ले रहे थे. पुलिस की आंतरिक जांच अब भी जारी है. यह खुलासा दर्शाता है कि बड़े अपराधी सिर्फ अपने नेटवर्क के भरोसे नहीं चलते, बल्कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से अपराध को अंजाम देते हैं.

150 ठिकानों पर दी थी दबिश

दीपक की हत्या के बाद पुलिस लगातार दबिश और निगरानी कर रही थी. 10 दिनों में 150 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी और 100 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई. इसी कड़ी में शुक्रवार रात पुलिस को जुबैर का पुख्ता सुराग मिला. मुठभेड़ में एक गोली सीओ सिटी के बुलेटप्रूफ जैकेट पर लगी और वे बाल-बाल बच गए, जबकि एक दरोगा और दो सिपाही घायल हुए.

परिवार को मिला न्याय

दीपक की मां ने बताया कि जुबैर अहमद की मौत से उन्हें बेटे का न्याय मिला. भावुक होकर उन्होंने कहा कि बेटे की जान लेने वालों का यही अंजाम होना चाहिए. दीपक के चाचा सुरेंद्र ने मोहल्ले के लोगों को खबर दी और बताया कि तेरहवीं से पहले हत्यारे के मारे जाने से परिवार को राहत मिली.

क्या हुआ था घटना के दिन?

15 सितंबर की रात दीपक को पशु तस्करों ने अगवा कर हत्या कर दी थी. वह मेडिकल एंट्रेस परीक्षा की तैयारी कर रहा था. स्थानीय लोगों के अनुसार, तस्करों ने दो गाड़ियों में गांव में घुसकर जानवरों को लादने की कोशिश की. जब दीपक ने उन्हें रोका, तो उसे अपनी गाड़ी में खींचा गया और पिटाई की गई. उसे सिर में गंभीर चोट के साथ मृत पाया गया.

पुलिस कार्रवाई और जिम्मेदारियों की जांच

सीएम ने मामले में कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए. गोरखपुर और कुशीनगर में लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर भी सख्त कदम उठाए गए. 50 से अधिक पुलिसकर्मियों को निलंबित या गैर-जोन स्थानांतरण किया गया. थानेदार, चौकी इंचार्ज और अन्य सिपाही कार्रवाई की चपेट में आए.

यूपीएसटीएफ की बड़ी सफलता

यूपी एसटीएफ ने जुबैर अहमद को गोरखपुर में मुठभेड़ के दौरान ढेर कर दिया. वह दीपक की हत्या में मुख्य आरोपी था और कई मामलों में फरार चल रहा था. इस कार्रवाई ने न सिर्फ परिवार को न्याय दिलाया बल्कि पूरे क्षेत्र में पशु तस्करी के खिलाफ चेतावनी भी दी.

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