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कौन थे राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, जिनके निधन से अयोध्या में फैली शोक की लहर? राम मंदिर के लिए दान की बेशकीमती जमीन

अयोध्या राज परिवार के मुखिया और समाजसेवी राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का 71 वर्ष की आयु में हृदयगति रुकने से निधन हो गया. वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे. अयोध्या राजवंश से जुड़े होने के साथ-साथ उन्होंने शिक्षा, समाजसेवा और धार्मिक कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी भूमिका अहम रही और उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए भूमि दान दी. अपनी सरलता और जनता के बीच सहज उपलब्धता के कारण वे बेहद लोकप्रिय थे. उनके निधन से अयोध्या में शोक की लहर है.

कौन थे राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, जिनके निधन से अयोध्या में फैली शोक की लहर? राम मंदिर के लिए दान की बेशकीमती जमीन
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( Image Source:  X )

Who was Raja Vimalendra Mohan Pratap Mishra: रामनगरी अयोध्या आज गहरे शोक में है. अयोध्या राजपरिवार के मुखिया और समाजसेवी राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया. लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे मिश्र का आकस्मिक निधन हृदयगति रुकने से कल राजसदन स्थित उनके आवास पर हुआ. उनके निधन की खबर मिलते ही अयोध्या सहित पूरा अंचल शोकाकुल वातावरण में डूब गया.

कौन थे राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र?

राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या राजपरिवार के बड़े पुत्र थे. उनकी माता महारानी विमला देवी थीं. छोटे भाई शैलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र आज भी राजपरिवार के साथ राजसदन में निवास कर रहे हैं. परिवार के ज्येष्ठ पुत्र होने के नाते विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को राजपरिवार का नेतृत्व सौंपा गया और वे अयोध्या राजवंश के मुखिया बने.

अयोध्या राजपरिवार का ऐतिहासिक महत्व

अयोध्या राजपरिवार का इतिहास भगवान श्रीराम के वंशजों से जुड़ा हुआ माना जाता है. मुगलकाल और ब्रिटिश शासनकाल में भी यह परिवार धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यों में अग्रणी रहा. स्वतंत्रता के बाद जब रियासतों का विलय हुआ, तब भी इस परिवार ने सामाजिक, शैक्षिक और धार्मिक सेवाओं की परंपरा को जारी रखा.

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने अयोध्या में शिक्षा के क्षेत्र को नई दिशा दी. उन्होंने कई प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे महाराजा इंटर कॉलेज, महाराजा पब्लिक स्कूल और साकेत महाविद्यालय में अध्यक्ष पद पर रहते हुए शिक्षा का विस्तार किया. उनके प्रयासों से हजारों छात्रों को बेहतर शिक्षा और अवसर प्राप्त हुए.

राम मंदिर आंदोलन में भूमिका

राम जन्मभूमि आंदोलन और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में उन्हें सदस्य बनाया गया. उन्होंने न सिर्फ अपनी कीमती भूमि राम मंदिर निर्माण के लिए दान दी बल्कि भगवान श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सिंहासन और छत्र भी अर्पित किए. यह योगदान उन्हें अयोध्या की धार्मिक धारा से और गहराई से जोड़ता है.

राजनीति में सक्रियता

राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने 2019 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद संसदीय सीट से बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली, लेकिन उनकी लोकप्रियता और सहज व्यक्तित्व ने उन्हें जनता के बीच अलग पहचान दी. वे हमेशा सादगी और सुलभता के लिए याद किए जाते रहे.

हर सुख-दुख में जनता के साथ खड़े रहते थे

अयोध्या राजपरिवार के दरवाजे हमेशा आम जनता के लिए खुले रहते थे. राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र हर सुख-दुख में जनता के साथ खड़े रहते थे. जो भी व्यक्ति राजसदन पहुंचता, उसे सम्मानपूर्वक मिलने का अवसर दिया जाता. यही वजह थी कि वे आम लोगों के बीच विशेष स्थान रखते थे.

एक युग का हुआ अंत

आज राजसदन में राजा विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को अंतिम विदाई दी गई. उनका निधन अयोध्या के लिए अपूरणीय क्षति है. वे सिर्फ राजपरिवार के नहीं, बल्कि अयोध्या के मुखिया माने जाते थे. उनका जाना वास्तव में एक युग का अंत है.”

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