दो बहनों की एक जैसी मौत! छोले के भगोने में गिरने से बच्ची की गई जान, खेलते-खेलते हुआ हादसा
सोनभद्र में शुक्रवार के दिन यहां रहने वाले शैलेंद्र के घर उस दोपहर कुछ ऐसा हुआ, जिसने एक मां को फिर से जीवन भर का दर्द दे दिया. शैलेंद्र की पत्नी रसोई में बड़े भगौने में छोले पका रही थी, जिसमें गिरकर उसकी मासूम बच्ची की जान चली गई.

सोचिए क्या हो जब दो साल के भीतर एक मां के मासूम बच्चों की जान चली जाए. दुनिया में इससे बड़ा कोई दुख नहीं हो सकता है. हैरानी की बात यह कि इतिहास फिर दोहराया गया. दरअसल सोनभद्र जिले के दुद्धी कोतवाली क्षेत्र से एक बार फिर ऐसी खबर आई जिसने पूरे गांव को सन्न कर दिया.
शुक्रवार के दिन यहां रहने वाले शैलेंद्र के घर उस दोपहर कुछ ऐसा हुआ, जिसने एक मां को फिर से जीवन भर का दर्द दे दिया. शैलेंद्र की पत्नी रसोई में बड़े भगौने में छोले पका रही थी, जिसमें गिरकर उसकी मासूम बच्ची की जान चली गई.
खेलते-खेलते पहुंच गई मौत के करीब
दरअसल जब महिला छोले पका रही थी, तब पास ही में उसकी डेढ़ साल की मासूम बेटी प्रिया खेल रही थी. बिलकुल वैसे ही जैसे बच्चे खेलते हैं. मासूमियत, किसी डर और न ही किसी खतरे की समझ के साथ. एक पल के लिए मां किसी जरूरी काम से बाहर निकली. अगले ही पल, घर की दीवारों के बीच एक काली परछाई दौड़ गई. नन्हीं प्रिया खौलते छोले के भगौने में गिर पड़ी. इसके कारण उसकी मौत हो गई.
झुलसी प्रिया, टूटी मां की दुनिया
चीखों की गूंज रसोई से उठी. मां दौड़ी, कांपते हाथों से बच्ची को बाहर निकाला. उसकी नन्हीं देह का 80 फीसदी हिस्सा जल चुका था. उसे फौरन दुद्धी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से हालत गंभीर देख जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. डॉक्टरों ने भरसक कोशिश की, लेकिन कुछ ही घंटों में प्रिया ने दम तोड़ दिया.
इतिहास जो दोहराया गया, ज़ख्म जो कभी भरे ही नहीं
जो बात इस हादसे को और ज्यादा रुला देने वाली बनाती है, वो ये है कि दो साल पहले भी इस मां ने इसी तरह एक बेटी को खोया था. उस समय भी एक बच्ची उबलती दाल के भगौने में गिर गई थी. उस दर्द से मां-बाप अभी उबर भी नहीं पाए थे कि अब किस्मत ने फिर से वैसा ही वार कर दिया.
घर में मातम
हादसे के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है. घर के आंगन में सन्नाटा है, और मां की आंखों में सिर्फ आंसू नहीं, एक बेजुबान चुप्पी है जिसमें हजारों सवाल हैं. गांव के लोग दो टुकड़ों में बंटे हैं. कुछ इसे मां की लापरवाही बता रहे हैं, तो कुछ इसे दुर्भाग्य का ऐसा क्रूर मजाक मान रहे हैं जो शायद ही किसी ने देखा हो.
लापरवाही या दुर्भाग्य?
अब सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या ये सिर्फ एक हादसा था? क्या इससे बचा जा सकता था? क्या यह परिवार दो बार उसी लापरवाही का शिकार हुआ, या किस्मत ने उनसे एक बार फिर उनका सबसे कीमती रिश्ता छीन लिया? प्रिया अब इस दुनिया में नहीं है. उसकी हंसी, उसकी मासूम बातें और उसके छोटे-छोटे कदम अब घर के हर कोने में एक गूंगी चीख बनकर रह गए हैं. मां के पास अब सिर्फ दो तस्वीरें हैं, दो बेटियों की, जिन्हें उसने एक जैसे हादसे में खो दिया. फिलहाल पुलिस ने कोई बयान नहीं दिया है.