मैं मुर्गी चोर, बकरी चोर हूं... अंग्रेज भी जेलों में नहीं करते थे बेइज्जती, जेल से आने के बाद क्या-क्या बोले आजम खान?
रामपुर से समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान ने जेल से बाहर आने के बाद पहली बार मीडिया के सामने खुलकर बात की. उन्होंने जेल की बेहयाई, झूठे मुकदमों और राजनीति में सत्ता के लिए हो रहे अन्याय पर तीखा हमला बोला. कहा, ‘कोई मुझे मुर्गी-चोर, कोई किताब चोर, कोई बकरी चोर कहता है, लेकिन मैं टूटने वाला नहीं हूं.’

रामपुर से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान लंबे समय बाद मीडिया के सामने आए. जेल से बाहर आने के बाद उनका यह पहला बड़ा बयान माना जा रहा है. उन्होंने अपनी राजनीति, संघर्ष और जेल के दिनों को याद करते हुए कई तीखे शब्द कहे.
इंडिया टुडे से बात करते हुए आजम खान ने कहा, ‘जिस दिन हम चर्चा, पर्चा और खर्चा से महरूम होंगे, हम कब्र में होंगे. उनका मानना है कि सार्वजनिक विमर्श में बने रहना ही उनकी सबसे बड़ी राजनीति है, चाहे वे जेल में हों या बाहर. उन्होंने इशारा किया कि राजनीति पहले समाज की सेवा का माध्यम थी, लेकिन अब यह सिर्फ चुनाव लड़ने, पैसा खर्च करने और सुर्खियों में बने रहने तक सिमट गई है.
जेल में अब है बेइज्जती का दौर
जेल की जिंदगी को वे ब्रिटिश कालीन जेलों से अलग मानते हैं, जहां पहले इज्जत से पेश आया जाता था, अब बेइज्जती का दौर है. वहां इंसानियत की कोई कीमत नहीं है. कैदियों को सुधारने की बजाय तोड़ने का काम होता है. जेल की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच मिले दर्द और जिल्लत को बयान करते हुए आजम खान ने कहा कि जिस खाना उन्हें जेल में मिलता था वो गली के कुत्ते भी न खाएं. उन्होंने इस बात पर कोई व्यक्तिगत शिकवा नहीं रखा, बल्कि बदलते समय और सियासी हालात को हालात की मार कहा. उनका कहना था कि जेल में उन्हें मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की यातनाएं झेलनी पड़ीं. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और खुद को हमेशा संघर्ष के लिए तैयार रखा.
मैं मुर्गी चोर...
आज़म खान ने अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को लेकर तंज कसते हुए कहा कि उनके खिलाफ ऐसे-ऐसे केस दर्ज किए गए कि हंसी भी आती है और गुस्सा भी. उन्होंने कहा, “कोई मुझे मुर्गी चोर बताता है, कोई किताब चोर, कोई बकरी चोर. मुझे जेल भेजने के लिए हर तरह के आरोप गढ़े गए. लेकिन सच ये है कि ये सब राजनीति का खेल था. सत्ता सिर्फ मुझे और मेरी आवाज़ को कुचलना चाहती थी.”
मुकदमों का दर्द
अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को लेकर आज़म खान ने कहा कि यह सब राजनीति का हिस्सा था. मेरे खिलाफ झूठे केस बनाए गए. मकसद सिर्फ मुझे बदनाम करना और राजनीति से बाहर करना था. उन्होंने यह भी कहा कि इतने मुकदमों के बावजूद वो टूटे नहीं, बल्कि और मजबूत होकर निकले. मैंने सीखा है कि जो सच के रास्ते पर चलता है, उसे परेशान जरूर किया जा सकता है लेकिन हराया नहीं जा सकता. परिवार व राजनीतिक जीवन की समस्याओं पर बात करते हुए उन्होंने साफ कहा कि इतने मुकदमे किसी दरख्त पर टांग दिए जाएं तो वह सूख जाए, लेकिन वे आज भी हरे हैं और मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.
सपा और अखिलेश पर क्या बोले?
आज़म खान ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बारे में भी खुलकर कहा. उन्होंने कहा, "हमारे रिश्ते में कोई खटास नहीं है. अखिलेश जी पार्टी को आगे बढ़ा रहे हैं और वही भविष्य हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर अखिलेश यादव रामपुर से चुनाव लड़ते तो नतीजा ऐतिहासिक होता. रामपुर की जनता आज भी समाजवादी पार्टी के साथ खड़ी है. बातचीत के दौरान आज़म खान मुलायम सिंह यादव को याद कर भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह) सिर्फ नेता नहीं, बल्कि पूरी पार्टी की आत्मा थे. उनके जाने से जो खालीपन आया है, उसे कोई भर नहीं सकता.
लोकतंत्र को किया जा रहा कमजोर
आज की राजनीति पर बात करते हुए आज़म खान ने कहा कि लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है. विपक्षी नेताओं को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है और उनकी आवाज़ दबाई जा रही है. उन्होंने मौजूदा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जो लोग सुधार की बातें करते हैं, वही सबसे ज्यादा अन्याय करते हैं. जेल सुधार की बात तो करते हैं, लेकिन जेलों की हालत पहले से भी बदतर है.
मैं झुकने वाला नहीं हूं
आज़म खान ने साफ शब्दों में कहा कि उनकी जिंदगी का मकसद सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि इंसाफ है. मेरे लिए राजनीति कुर्सी पाने का जरिया नहीं है. मेरा असली काम समाज की आवाज़ उठाना और अन्याय के खिलाफ लड़ना है. उन्होंने कहा कि जेल के दिनों ने उन्हें और मजबूत बना दिया है. अब मुझे डराने की कोशिश करने वाले जान लें कि मैं और भी सख्त होकर लौटा हूं. बातचीत खत्म करते हुए आज़म खान ने कहा कि अब उनकी जिंदगी का हर दिन संघर्ष के नाम है. मैं लड़ता रहूंगा. चाहे मेरे सामने कितनी भी मुश्किलें आएं, मैं झुकने वाला नहीं हूं.