UP: बलिया में जाति-धर्म के नाम पर बवाल, अखिलेश यादव बोले - PDA को जितना दबाओगे....
Anti Encroachment Order In Ballia: पंचायती राज संयुक्त निदेशक एसएन सिंह ने भाजपा किसान नेता द्वारा मुख्यमंत्री को की गई शिकायत का हवाला देते हुए एक आदेश जारी किया था. अपने आदेश में उन्होंने जाति और धर्म का उल्लेख करते हुए कहा था कि 57,691 ग्राम सभा की जमीन के अतिक्रमण का हटाने को कहा था. यह मामला प्रकाश में आते ही बवाल मच गया.

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में पंचायती राज अधिकारी द्वारा 2 अगस्त को जारी एक आदेश लोगों की जाति और धर्म का जिक्र करने के कारण सवालों के घेरे में आ गया. आदेश के वायरल होने के बाद जिला प्रशासन ने इसे वापस ले लिया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने अधिकारी को तत्काल निलंबित करने का आदेश देते हुए स्पष्ट किया कि सरकार जाति या धर्म के आधार पर किसी भी कार्रवाई का समर्थन नहीं करती है.
इसके बावजूद, जाति और धर्म के नाम पर जारी इस आदेश ने तूल पकड़ लिया. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे पीडीए (पिछड़े या पिछड़े वर्ग या ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक) के उत्पीड़न" का उदाहरण बताया और न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की है.
अखिलेश यादव ने कहा,"जो भी अवैध है, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि अवैध तो अवैध ही है, तो फिर किसी खास जाति या धर्म के लोगों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? न्यायपालिका को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए. यह एक संविधान-विरोधी कृत्य है. हम इसके खिलाफ अदालत जाएंगे." उन्होंने एक्स पर एक बयान में कहा. "पीडीए को जितना ज्यादा परेशान किया जाएगा, पीडीए की एकता उतनी ही मजबूत होगी."
क्या है पूरा मामला?
पंचायती राज संयुक्त निदेशक एसएन सिंह की ओर से विवादास्पद आदेश जारी किया गया था. जिसमें ग्राम सभा की भूमि से अवैध कब्जा हटाने की करवाई को जाति विशेष और धर्म विशेष से जोड़कर किया गया था. आदेश के तहत सभी संबंधित अधिकारियों को ग्राम सभा की जमीन, तालाबों, खेल के मैदानों, श्मशान घाटों और पंचायत भवनों से अति इसमें विशेष रूप से "एक विशेष जाति (यादव) और एक विशेष धर्म (मुस्लिम) लोगों द्वारा अवैध कब्जे" का हवाला दिया गया था.
सूत्रों ने बताया कि आदेश में एक भाजपा किसान नेता द्वारा मुख्यमंत्री को दी गई शिकायत का हवाला दिया गया है, जिसमें 57,691 ग्राम पंचायतों में "एक विशेष जाति (यादव) और एक विशेष धर्म (मुस्लिम)" द्वारा व्यापक अतिक्रमण का आरोप लगाया गया है. इसमें इन संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए एक अभियान चलाने की सिफारिश की गई है.
योगी के आदेश पर संयुक्त निदेशक सस्पेंड
राज्य सरकार ने एक आधिकारिक बयान में कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विवादास्पद आदेश पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है... जिसमें कार्रवाई को एक विशेष जाति और धर्म से जोड़ा गया है. मुख्यमंत्री ने इस आदेश को 'पूरी तरह से भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य' करार दिया है और इसे तत्काल प्रभाव से रद्द करने के निर्देश दिए हैं."
इसे "गंभीर प्रशासनिक चूक" बताते हुए, मुख्यमंत्री ने पंचायती राज के संयुक्त निदेशक, एस.एन. सिंह को निलंबित करने का आदेश दिया और कहा कि ऐसी भाषा और मानसिकता "सरकार की नीतियों के विरुद्ध" है और समाज को विभाजित कर सकती है-
यह भी निर्देश दिए गए कि अतिक्रमण "पूरी निष्पक्षता, तथ्यों और कानून-व्यवस्था के अनुसार जाति या धर्म के आधार पर नहीं" हटाए जाएं. साथ ही ऐसी कार्रवाई दोबारा न करने की चेतावनी भी दी गई.