40 साल से नहीं कटवाए बाल! महाकुंभ में पहुंचे 7 फीट की जटाओं वाले बाबा
प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में असम के एक जटाओं वाले बाबा पहुंचे हुए हैं. उनके बाल और दाढ़ी दोनों काफी लंबे है. उन्होंने बताया कि उनका बाल 7 फीट लंबी है. इनका असली नाम त्रिपुरम सैकिया है जबकि दीक्षा के बाद गुरु ने उन्हें त्रिलोक बाबा का नाम दिया है. जटाओं वाले बाबा असम के लखीमपुर जिले से आए हैं. त्रिलोक बाबा ने जूना अखाड़े में दीक्षा ली है.

Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 सालों के बाद महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है. देश भर से साधु-संत यहां पर पहुंच रहे हैं. साधुओं का अलग-अलग पहनावा और रूप मेले में चर्चा का विषय बना हुआ है. कभी 20 किलो की चाबी, कभी ई-रिक्शा के साथ साधु प्रयागराज पहुंचे हुए हैं. इस बीच जटाओं वाले बाबा सुर्खियों में बने हुए हैं. सोशल मीडिया पर उनकी फोटो और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में असम के एक जटाओं वाले बाबा पहुंचे हुए हैं. उनके बाल और दाढ़ी दोनों काफी लंबे है. उन्होंने बताया कि उनका बाल 7 फीट लंबी है. इनका असली नाम त्रिपुरम सैकिया है जबकि दीक्षा के बाद गुरु ने उन्हें त्रिलोक बाबा का नाम दिया है.
असम से आए जटाओं वाले बाबा
जटाओं वाले बाबा असम के लखीमपुर जिले से आए हैं. त्रिलोक बाबा ने जूना अखाड़े में दीक्षा ली है. उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान को बताया कि यह उनका पहला कुंभ है. उन्होंने करीब 40 सालों से जटा धारण कर रखी है. काफी पहले ही बाल कटवाना बंद कर दिया था. उन्होंने कहा कि इसकी लंबाई डेढ़ फुट और थी, लेकिन कुछ समय से यह पैरों में फंसने लगी थी. इसलिए उन्होंने नीचे से इसका कुछ हिस्सा काटा और ब्रह्मपुत्र नदी में चढ़ा दिया. उनके गुरु ने उन्हें संन्यास के बारे में जानकारी दी.
खेती करते थे बाबा
त्रिलोक बाबा ने बताया कि वह खेती करते थे. उनकी एक दुकान थी और कपड़ों की सिलाई करते थे. जटा रखने की वजह से उन्हें बहुत परेशानी होने लगी, लेकिन भगवान की देन समझकर वह इसे बांध कर रखते थे. बाबा ने बताया कि उनकी जटाओं पर कई बार लोगों ने सवाल उठाए पूछा, यह असली है या नकली? फिर बाबा अपनी जटा को लहरा दिया और कहा देख लीजिए कि यह असली है या नकली है.
महाकुंभ में रबड़ी वाले बाबा
प्रयागराज में रबड़ी वाले बाबा की भी खूब चर्चा हो रही है. श्री महंत देवगिरि जो कि रबड़ी बाबा के नाम से मशहूर हैं. वो हर दिन सुबह से लेकर देर रात तक दूध उबालकर मलाईदार रबड़ी बनाते हैं. ये स्वादिष्ट रबड़ी बाबा श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में खिलाते हैं. ऐसा वह रोजाना करते हैं. बाबा की यह निस्वार्थ सेना न केवल कुंभ का मुख्य आकर्षण बन गई है बल्कि भक्तों को भी आनंदित कर रही है.