क्या अपने बच्चों को दान में दे सकते माता-पिता? जानें क्या कहता है कानून
उत्तर प्रदेश में लगे कुंभ मेले में आगरा से पहुंचे एक परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी को दान में दे दिया. इसे लेकर काफी सवाल उठाए जा रहे है कि आखिर ऐसा करना संभव है? क्या माता-पिता अपने बच्चों को दान में दे सकते हैं. क्या इसके लिए कोई कानून है? अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो बचा दें कि इसका जवाब है, हां. मां-बाप अपने बच्चे को दान में नहीं दे सकते.

प्रयागराज में लगे महाकुंभ की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है. देशभर से कई साधु संत इस मेले में पहुंच रहे हैं. मेले में होने वाली कई घटनाओं ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खीचां है. ऐसा ही एक मामला जो इस समय काफी जोर पकड़ रहा है, वो उत्तर प्रदेश से सामाने आया है. दरअसल आगरा के रहने वाले एक परिवार ने अपनी 13 साल की बेटी को जूना अखाड़े को दान कर दी.
वहीं इसे लेकर ऐसी कई जानकारियां सामने आ रही हैं कि उनकी बेटी का नाम तक बदल दिया गया है. हालांकि इस तरह अपने बच्चे को दान में देने को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं, सवाल ये कि क्या अपने बच्चे को इस तरह निजि संपत्ति की तरह दान में दिया जा सकता है? क्या इसे रोकने के लिए कोई कानून मौजूद है या नहीं? हम आपको आज इसी सवाल का जवाब देने आए हैं.
पुरानी है ऐसी प्रथा
आपको बता दें कि देश या फिर दुनिया में कई कानूनों में इस बात का जिक्र है कि माता-पिता अपने बच्चों को या फिर उनकी प्रॉपर्टी को उनकी मर्जी के बगैर या फिर उनकी मर्जी हो तब भी दान नहीं किए जा सकते हैं. नाबालिग के हकों को प्रोटेक्ट करने के लिए दुनियाभर में कई कानून तैयार किए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसी ही परंपरा यूरोप में भी खूब चली थी.
इस परंपरा के अनुसार अपने बच्चे को चर्च में दान दे दिया जाता था. हालांकि वो समय अलग था ऐसा इसलिए क्योंकी जिन परिवारों के पास बच्चों को पालने के लिए कोई रिसोर्स नहीं था. हालांकि चर्च के पास रिसोर्स होते थे. लेकिन उनके पास आगे चर्च को संभालने के लिए कोई व्यक्ति नहीं होता था. हालांकि उस समय में ये दोनों पक्षों के लिए ठीक था. लेकिन क्योंकी अब समय में बदलाव हुआ है इसलिए नियम भी बदल चुके हैं. बदले हुए नियम के अनुसार 18 साल से पहले किसी को पूरी तरह से धर्म के लिए स्वीकार नहीं किया जाता है.फिर आखिर आगरा के रहने वाले परिवार ने कैसे किया?
क्या कहता है कानून?
अगर कानून की बात की जाए तो ऐसा करने के लिए पूरा प्रोसेस होता है. किसी भी बच्चे को दान में नहीं दिया जा सकता. इसके बजाए संस्थान उसे एडॉप्ट कर सकती है. किसी भी व्यक्ति को दान में देना लीगली संभव नहीं है. अगर कोई संस्थान इस तरह करता भी है तो उन्हें एडॉप्ट करना होगा. इसका पूरा प्रोसेस होता है. यानी माता-पिता के तौर नाम पर संस्था का नाम होगा. इस दौरान उस बच्ची की देखभाल बच्ची की होगी. कोई भी दुर्घटना हो उसकी जवाबदेही संस्था की होगी.