यूपी में कंस्ट्रक्शन का गेम चेंज! नहीं पास कराना होगा घर का नक्शा, रेसिडेंशियल कॉम्प्लेक्स से चलेंगी दुकानें
उत्तर प्रदेश में घर और दुकान बनाना अब होगा बेहद आसान! योगी आदित्यनाथ सरकार 30 मई से "भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2025" (Building Construction & Development By-laws 2025) को लागू करने जा रही है. इन नियमों से न केवल आम आदमी को राहत मिलेगी, बल्कि राज्य में व्यापार, निवेश और रोज़गार के नए रास्ते भी खुलेंगे.

अब न घर बनाने के लिए नक्शा पास करवाने की झंझट, न ही छोटे बिज़नेस के लिए अलग दुकान की ज़रूरत! उत्तर प्रदेश सरकार "बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट बाय-लॉज़ 2025" लागू करने जा रही है, जिससे मकान बनाना, दुकान खोलना और व्यापार करना पहले से कहीं ज्यादा आसान हो जाएगा.
नया कानून न सिर्फ आम आदमी की जेब को राहत देगा, बल्कि निवेशकों और रियल एस्टेट सेक्टर को भी नई उड़ान देगा. सबसे बड़ी बात कि अब 1000 स्क्वायर फीट तक के प्लॉट पर मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराना जरूरी नहीं होगा, आर्किटेक्ट का सर्टिफिकेट ही काफी होगा. और हां, घर में ही बिज़नेस की मंजूरी भी अब आसान होगी, बशर्ते सड़क की चौड़ाई 24 मीटर से ज्यादा हो.
अब 1,000 स्क्वायर फीट के प्लॉट पर नक्शा पास कराने की ज़रूरत नहीं
नए बाइलॉज़ के तहत अगर आप 1,000 वर्ग फुट तक के प्लॉट पर घर बनाना चाहते हैं तो अब नक्शा पास कराने की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा. केवल एक आर्किटेक्ट का सर्टिफिकेट पर्याप्त होगा. यही नहीं, 5,000 वर्ग फुट तक के रिहायशी प्लॉट और 2,000 वर्ग फुट तक के व्यावसायिक प्लॉट पर भी आर्किटेक्ट का प्रमाण पत्र ही पर्याप्त होगा.
छोटे व्यापारियों को राहत: रेसिडेंशियल बिल्डिंग में मिलेगी दुकान खोलने की इजाज़त
बाइलॉज़ के सबसे क्रांतिकारी बदलावों में से एक है रेजिडेंशियल एरिया में व्यावसायिक गतिविधियों को अनुमति. अब अगर आपकी बिल्डिंग 24 मीटर चौड़ी सड़क पर है तो आप उसमें ऑफिस या दुकान खोल सकते हैं. 45 मीटर या उससे चौड़ी सड़क पर स्थित बिल्डिंग में मल्टीस्टोरी कमर्शियल एक्टिविटी भी शुरू की जा सकेगी.
FAR यानी Floor Area Ratio में भी मिलेगा फायदा
राज्य सरकार FAR (Floor Area Ratio) बढ़ाकर लोगों को अपने प्लॉट पर ज्यादा निर्माण की अनुमति देने जा रही है. इससे जमीन का बेहतर उपयोग होगा और शहरी इलाकों में रियल एस्टेट सेक्टर को नया बूस्ट मिलेगा.
टारगेट - स्मार्ट, ग्रीन और डिजास्टर-रेजिस्टेंट शहर
बाइलॉज़ में सिर्फ कागजी सरलता नहीं बल्कि ग्रीन बिल्डिंग्स, ऊर्जा दक्षता और डिजास्टर रेसिलिएंस पर भी ज़ोर दिया गया है. सस्ती आवासीय योजनाएं और झुग्गी पुनर्वास की नीतियों को इन बाइलॉज़ में शामिल कर शहरी गरीबों के लिए भी राहत देने की कोशिश की गई है.
पब्लिक फीडबैक से बना ‘लोगों का कानून’
बाइलॉज़ लागू करने से पहले सरकार ने सार्वजनिक सुझाव भी आमंत्रित किए थे. कुल 1,153 सुझाव और आपत्तियां प्राप्त हुईं, जिनमें सबसे अधिक ज़ोर निर्माण नियमों को आसान करने, पर्यावरण सुरक्षा और रिहायशी इलाकों में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर था. अब इन सुझावों को संशोधित ड्राफ्ट में शामिल कर अंतिम रूप कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा.
क्यों अहम है ये कदम?
- ब्यूरोक्रेसी कम होगी, घर बनाने वालों को बेवजह दौड़ना नहीं पड़ेगा
- छोटे कारोबारियों को सस्ता और कानूनी ठिकाना मिलेगा
- रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे
- सरकार की 'ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस' नीति को ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाएगा
नए निर्माण नियमों से उत्तर प्रदेश में निवेश और रियल एस्टेट सेक्टर को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा. लोगों को घर और व्यवसाय के लिए कम कागजी कार्रवाई में ज्यादा सुविधा मिलेगी. यह बदलाव ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस और ईज ऑफ लिविंग दोनों को नई ऊंचाई देगा.