राजस्थान में आदमखोर बाघिन का आतंक! चलती गाड़ियों तक का कर रही पीछा, एक और शख्स को बनाया शिकार
Ranthambore Tiger Reserve Park: रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बाघ आदमखोर होते जा रहे हैं. भीड़ में घुसकर लोगों का शिकार कर रहे हैं. बाघिन ने रविवर को फॉरेस्ट रेंजर देवेंद्र सिंह चौधरी पर हमला की और उनकी मौत हो गई. यहां तक की सड़कों पर चलती गाड़ियों पर भी हमला किया जा रहा है. इससे स्थानीय लोगों में खौफ है और वह डरे हुए हैं.

Ranthambore Tiger Reserve Park: राजस्थान के मशहूर रणथंभौर टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ दिनों से बाघ-बाघिन की अजीबोगरीब हरकत देखने को मिल रही है. वह शिकार की तलाश में नजरें गड़ा कर बैठे रहते हैं और स्थानीय लोगों पर अटैक कर देते हैं. इलाके में बाघ का आतंक बढ़ता जा रहा है. रविवार (11 मई) को फॉरेस्ट रेंजर देवेंद्र सिंह चौधरी पर बाघ ने हमला की और उनकी मौत हो गई. इस महीने यह बाघ का दूसरा हमला है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रणथंभौर टाइगर रिजर्व में पिछवे कई साल से सफारी कर रहे एक वाइल्डलाइफ लेखक ने डराने वाला खुलासा किया है. लेखक ने जोगी महल गेट स्थित झाड़ियों के पास, सड़क से सटे जोगी महल गेट के पास बाघ बार-बार झुके हुए नजर आते थे. उनकी नजरें दीवार के पीछे बने दो छोटे कमरों में से एक पर टिकी होती थीं. जहां जिंदा भैंस रखी जाती हैं.
आदमखोर होते जा रहे बाघ
टाइगर रिजर्व पार्क के बाघ अब बेखौफ शिकार के लिए सड़कों पर भी निकल जाते हैं. भीड़ वाले इलाकों में लोगों पर हमला करने लगे हैं. फॉरेस्ट रेंजर देवेंद्र सिंह चौधरी पर हमला वन विभाग की लापरवाही और गलत फैसलों का नतीजा बताया जा रहा है.
बाघिन ने किया इलाके पर कब्जा
2023 में एरोहेड नाम की बाघिन की उसकी बेटी रिद्धि ने जोगी महल गेट एक इलाके पर कब्जा कर लिया. एरोहेड की हिप बोन में खराबी आ गई और वह चलने-फिरने में असमर्थ होने लगी. वन विभाग को उसकी हालत पर दया आई और अगस्त 2023 से हर हफ्ते जिंदा भैंस चारे के रूप में दी जाने लगी. इस दौरान रिद्धि ने भी तीन शावकों को जन्म दिया. जल्दी ही इन छह शावकों के साथ-साथ रहवासी बाघ T-120 और तीसरी बाघिन सुलताना (T-107) और उसकी संतानें भी इसी चारे पर निर्भर हो गईं. 2024 के आखिर में यहां पर 4 बाघिनें, 2 बाघ और 9 जवान शावक घूमने लगे.
बाघ का आतंक
एरोहेड की बेटी कांकटी ने 13 अप्रैल को फॉरेस्ट गार्ड पर हमला किया, जब गार्ड ने शोर मचाया तो वह भाग गई. इसके बाद 16 अप्रैल को गणेश चतुर्थी के दिन सैकड़ों श्रद्धालु पैदल गणेश मंदिर जा रहे थे. इस दौरान कांकटी ने 7 साल के कार्तिक सुमन को सबके सामने झपट लिया. फिर 11 मई को फॉरेस्ट रेंजर चौधरी जब गाड़ी से उतरकर यज्ञशाला की ओर बढ़े तो कांकटी और एक नर बाघ ने उन पर हमला कर दिया और उनकी जान चली गई.
इस घटना के बाद से लोग डरे हुए हैं. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के नियमों के मुताबिक, अगर कोई बाघ दो बार इंसानों पर हमला करता है, तो उसे हटाया जाना चाहिए. लेकिन रणथंभौर के फील्ड डायरेक्टर के.आर. अनुप ने बस इतना कहा, कांकटी की पहचान हो चुकी है, लेकिन उसे शिफ्ट करने का निर्णय अभी लेना है. कांकटी और उसके भाई-बहन अब बाघ नहीं, आदमखोर जानवर बन चुके हैं, जो सफारी जीप या होटल तक में घुस जाते हैं. वो अब इंसानों को शिकार समझ रहे हैं.