बीमारी या गंदी हरकत! यूपी में एक और कथावाचक की पिटाई, महिला ने लगाया छेड़छाड़ का आरोप, फिर...
उत्तर प्रदेश के इटावा में एक कथावाचक की जमकर पिटाई की गई. आरोप है कि उसने महिला के साथ बदतमीजी की थी. साथ ही, कहा गया कि वह नशे में है. इसके बाद यादव सुमदाय ने शख्स पर थप्पड़ बरसाए और खूब गाली गलौज की. हालांकि, इस मामले में कथावचक का कहना है उसे बदनाम किया जा रहा है.

इटावा जिले के दांदरपुर गांव की एक धार्मिक कथा के मंच से शुरू हुई घटना ने अब सियासी गर्मी और सोशल मीडिया हड़कंप का रूप ले लिया है. दरअसल विवाद की जड़ एक कथा वाचक पंकज उपाध्याय हैं, जो टूंडला से आए थे. वे 16 जून को इटावा के जसवंत नगर थाना क्षेत्र के गांव जनकपुर में कालीचरन यादव के घर कथा के सिलसिले में पहुंचे थे.
लेकिन दो दिन बाद 17 जून की रात जो हुआ, उसने सब कुछ बदल दिया. यादव समुदाय ने कथावाचक पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं, जिसके बाद कुछ लोगों ने जमकर पिटाई की. इस पर कथा वाचक का कहना है कि उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया और जानबूझकर वीडियो वायरल कर बदनाम किया गया.
यादव सुमदाय ने की कथावाचक की पिटाई
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो ने सबको चौंका दिया. रात के अंधेरे में कुछ लोग एक युवक को बेरहमी से पीटते दिख रहे हैं. इतना ही नहीं, गंदी-गंदी गाली देने लगे. इसके अलावा, रस्सी लाने को कहा ताकि वह उसे बांध सके. साथ ही यह भी कहा गया कि युवक शराब के नशे में था और एक महिला के पास चारपाई पर पहुंच गया, जिसके बाद स्थानीय यादव समाज के लोगों ने कथित तौर पर उसकी पिटाई कर दी.
पंकज का दावा
इस वायरल वीडियो पर पंकज उपाध्याय की चुप्पी टूट चुकी है. उनका कहना है कि उन्हें मिर्गी के दौरे पड़ते हैं और उसी रात उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी. सहारा लेने को वो एक चारपाई की ओर बढ़े, जहां एक महिला लेटी थी. इसके आगे उन्होंने कहा कि 'मैं नशे में नहीं था. मेरी तबीयत खराब थी. मुझे पीटकर बदनाम करने की साज़िश रची गई.' पंकज का यह भी दावा है कि वीडियो जानबूझकर वायरल किया गया ताकि उनकी धार्मिक छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके. घटना के बाद वे थाने तो गए, लेकिन बदनामी के डर से चुप रहे.
माता-पिता ने लगाए बदनाम करने के आरोप
पंकज के माता-पिता ने भी अब सामने आकर अपना पक्ष रखा है. पिता राकेश उपाध्याय का कहना है कि पंकज शराब या किसी भी नशे से कोसों दूर है. वो वृंदावन में धार्मिक शिक्षा लेकर कथा वाचक बने हैं और पिछले 10 सालों से मिर्गी की दवा ले रहे हैं. मां मंजू उपाध्याय ने रोते हुए कहा कि वो बहुत अनुशासित जीवन जीता है. उसे झूठे आरोपों में फंसा कर बेइज़्ज़त किया गया. परिवार ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और वीडियो वायरल करने व झूठे आरोप लगाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए.