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लखनऊ एयरपोर्ट पर डिंपल यादव की फ्लाइट हादसे से बची, जानिए क्या है Abandoned Takeoff?

लखनऊ एयरपोर्ट पर इंडिगो की फ्लाइट में सवार डिंपल यादव और अखिलेश यादव हादसे से बाल-बाल बचे. टेक-ऑफ से ठीक पहले पायलट ने तकनीकी खराबी पकड़ ली और अबेंडिंग टेक-ऑफ प्रक्रिया अपनाकर विमान को रोक दिया. जानिए क्या होता है अबेंडिंग टेक-ऑफ, क्यों लिया जाता है यह फैसला और इससे यात्रियों की सुरक्षा कैसे होती है. फ्लाइट हादसे की पूरी डिटेल यहां पढ़ें.

लखनऊ एयरपोर्ट पर डिंपल यादव की फ्लाइट हादसे से बची, जानिए क्या है Abandoned Takeoff?
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( Image Source:  sora & ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Published on: 14 Sept 2025 2:27 PM

पिछले कुछ महीनों से भारत में लगातार विमानन घटनाएं सुर्खियों में हैं. कहीं फ्लाइट में टेक्निकल दिक्कत आई, तो कहीं इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी. ठीक ऐसे ही हालात शनिवार, 13 सितंबर को लखनऊ एयरपोर्ट पर बने जब एक इंडिगो फ्लाइट टेक-ऑफ की प्रक्रिया के दौरान अचानक रोक दी गई. हैरानी की बात यह रही कि विमान में समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव समेत कई नेता मौजूद थे. सौभाग्य से सभी यात्री सुरक्षित रहे और एक बड़ा हादसा टल गया.

शनिवार सुबह 10:55 बजे इंडिगो की फ्लाइट नंबर 6E2111 लखनऊ से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली थी. लगभग 151 यात्री सवार थे. रनवे पर विमान तेज रफ्तार से दौड़ने लगा, लेकिन हवा में उठने से पहले ही पायलट ने अचानक ब्रेक लगाते हुए विमान को रोक दिया. यात्रियों के बीच कुछ क्षणों के लिए दहशत फैल गई, लेकिन समझदारी से लिए गए फैसले ने सबकी जान बचा ली.

पायलट की समझदारी आई काम

फ्लाइट में आई तकनीकी गड़बड़ी को भांपते हुए पायलट ने तुरंत एटीसी (Air Traffic Control) को सूचना दी और अबेंडिंग टेक-ऑफ प्रक्रिया अपनाई. इस दौरान पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक और रिवर्स थ्रस्ट का इस्तेमाल किया, जिससे विमान सुरक्षित रूप से रनवे पर रुक गया. इंडिगो ने बयान जारी कर बताया कि यात्रियों को तुरंत सुरक्षित बाहर निकाला गया और बाद में उन्हें दूसरी फ्लाइट से रवाना किया गया.

आखिर क्या होता है अबेंडिंग टेक-ऑफ?

विमानन जगत में "अबेंडिंग टेक-ऑफ" या "Rejected Take-off (RTO)" उस स्थिति को कहा जाता है जब टेक-ऑफ की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी विमान उड़ान नहीं भरता और पायलट उसे बीच में ही रोक देता है. ऐसा तभी किया जाता है जब कोई गंभीर खतरा सामने आता है, जैसे इंजन फेल होना, रनवे पर अवरोध दिखना, अलार्म बजना या अचानक आई तकनीकी गड़बड़ी.

क्यों लिया जाता है ये बड़ा फैसला?

पायलट उड़ान भरने से पहले "V1 स्पीड" तक विमान को दौड़ाता है. यह एक तय रफ्तार होती है, जिसके बाद टेक-ऑफ कैंसिल करना बेहद जोखिम भरा होता है. लेकिन अगर V1 से पहले कोई समस्या दिखती है, तो पायलट इमरजेंसी ब्रेक लगाकर विमान को रोक सकता है. इस कदम से यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है, भले ही विमान तेज रफ्तार पर क्यों न हो.

पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले

यह पहली बार नहीं है जब अबेंडिंग टेक-ऑफ जैसी स्थिति बनी हो. पिछले महीने गुवाहाटी जाने वाली इंडिगो फ्लाइट को खराब मौसम के कारण त्रिपुरा के अगरतला एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी. उस फ्लाइट में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद थे. एयरपोर्ट अधिकारियों ने तब भी यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए समय रहते बड़ा कदम उठाया था.

मुख्य कारण जिनसे टलते हैं हादसे

एविएशन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अबेंडिंग टेक-ऑफ के पीछे आमतौर पर कुछ ही वजहें होती हैं—इंजन में खराबी, आग लगना, रनवे पर कोई अवरोध दिखना, टायर या ब्रेक फेल होना, ईंधन लीक होना या मौसम की अचानक चेतावनी. हर एयरलाइन के पायलटों को इन परिस्थितियों के लिए ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वे सेकंडों में फैसला ले सकें.

यात्रियों की सुरक्षा सबसे अहम

लखनऊ की इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय विमानन कंपनियां और उनके पायलट कितनी सतर्कता से यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं. पायलट की तत्परता और तकनीकी टीम की तुरंत कार्रवाई की वजह से डिंपल यादव समेत सभी 151 यात्री सुरक्षित बच पाए. यह घटना जहां लोगों को डराने वाली रही, वहीं यह भरोसा भी जगाती है कि विमानन क्षेत्र में सुरक्षा मानक कितने सख्त और कारगर हैं.

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