सरकार की कठपुतली बन गया सोशल मीडिया... अखिलेश यादव का फेसबुक पेज सस्पेंड होने के बाद सोशल में मचा हल्ला
फेसबुक द्वारा अखिलेश यादव का पेज सस्पेंड किए जाने से राजनीतिक और डिजिटल दोनों स्तरों पर नई बहस शुरू हो गई है. एक ओर समाजवादी पार्टी इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बता रही है, तो दूसरी ओर जनता यह सवाल पूछ रही है कि क्या सोशल मीडिया अब सचमुच 'स्वतंत्र' मंच रह गया है या नहीं.

देश की राजनीति में सोशल मीडिया अब जनसंपर्क और संवाद का अहम माध्यम बन चुका है. ऐसे में फेसबुक द्वारा समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आधिकारिक पेज को सस्पेंड किए जाने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. अखिलेश यादव का यह पेज बेहद पॉपुलर था, जिस पर 80 लाख (8 मिलियन) से अधिक फॉलोअर्स जुड़े हुए थे. वे फेसबुक के जरिए लगातार जनता से बातचीत करते थे और राजनीतिक, सामाजिक व जनहित के मुद्दे शेयर करते रहे थे. लेकिन शुक्रवार को अचानक उनका फेसबुक पेज सस्पेंड कर दिया गया, जिससे उनके समर्थकों में नाराज़गी और निराशा फैल गई.
अखिलेश यादव के फेसबुक पेज को बंद किए जाने के बाद समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं में आक्रोश है. सोशल मीडिया पर पार्टी नेताओं और समर्थकों ने लगातार प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दी हैं. मेरठ की सरधना विधानसभा सीट से सपा विधायक अतुल प्रधान ने एक्स हैंडल पर लिखा, 'अखिलेश यादव का फेसबुक अकाउंट बंद करवाकर सरकार उन्हें जनता के दिलों से दूर नहीं कर सकती.' उन्होंने कहा कि यह कदम लोकतंत्र की आवाज़ को दबाने की कोशिश है.
जनता की आवाज़ पर हमला
कई समर्थकों ने फेसबुक के इस फैसले को 'लोकतंत्र पर हमला' बताया है. उनका कहना है कि अखिलेश यादव सिर्फ एक राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ हैं, जो किसानों, युवाओं और बेरोज़गारों के मुद्दे उठाते रहते हैं. एक समर्थक ने लिखा, 'जब जनता का नेता बोलता है, तो सत्ता बौखला जाती है. आज फेसबुक ने अखिलेश यादव का आधिकारिक पेज बंद किया है, जिस पर 8 मिलियन से ज्यादा लोग जुड़े थे. ये सिर्फ एक पेज नहीं, बल्कि जनता की आवाज़ था.'
फेसबुक पर पक्षपात का आरोप
समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने फेसबुक के इस कदम को पक्षपातपूर्ण और सरकार के दबाव में लिया गया फैसला बताया है. एक सपा नेता ने एक्स पर लिखा, 'देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का फेसबुक पेज डिएक्टिवेट किया जाना साफ़ संकेत है कि सरकार स्वतंत्र अभिव्यक्ति को दबाना चाहती है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अब सरकार की कठपुतली बन गए हैं.' उन्होंने आगे कहा कि यह कदम अस्वीकार्य है और अखिलेश यादव का आधिकारिक फेसबुक पेज तुरंत बहाल किया जाना चाहिए.
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला
समाजवादी पार्टी के अन्य नेताओं ने भी फेसबुक के एक्शन को तानाशाही रवैया बताते हुए सरकार को घेरा है. एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, 'बीजेपी सरकार तानाशाही की सारी सीमाएं पार कर चुकी है. आज समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का फेसबुक पेज बंद किया जाना सिर्फ लोकतंत्र पर हमला नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटने वाला कदम है.' उन्होंने कहा कि सरकार भूल रही है कि फेसबुक पेज बंद कराने से समाजवादियों की आवाज़ नहीं दबाई जा सकती.
फेसबुक की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं
फिलहाल, फेसबुक (Meta) की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण या बयान नहीं दिया गया है. यह स्पष्ट नहीं है कि अखिलेश यादव का पेज किस कारण से सस्पेंड किया गया क्या यह किसी नीति उल्लंघन का मामला है या तकनीकी कारणों से हुआ है. समाजवादी पार्टी ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए फेसबुक से तुरंत पेज बहाल करने की मांग की है. पार्टी का कहना है कि यह निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है. पार्टी के डिजिटल मीडिया सेल ने कहा कि अखिलेश यादव का फेसबुक पेज लाखों लोगों के लिए सूचना और विचार-विमर्श का माध्यम था. इसे बंद करना जनता के संवाद के अधिकार पर रोक लगाने जैसा है.