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क्या है नाता प्रथा, जो राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बनी बड़ी चुनौती?

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इंदिरा आवास योजना की जगह पर 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना किफायती आवास उपलब्ध कराने में मदद करने के लिए एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम है. इस योजना के तहत, लाभार्थियों की पहचान थ्री-स्टेप वेरिफिकेशन प्रोसेस के जरिए की जाती है

क्या है नाता प्रथा, जो राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए बनी बड़ी चुनौती?
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( Image Source:  freepik )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 10 March 2025 9:52 AM IST

राजस्थान के सलूंबर जिले के मोरेला गांव के आदिवासी पेमा मीना ने केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण किफायती आवास योजना के तहत आवेदन करने का फैसला लिया, लेकिन कुछ महीने पहले उनकी पत्नी ने आदिवासी 'नाता प्रथा' प्रथा के तहत उससे तलाक लिया था. अब ऐसे में सवाल बनता है कि क्या इस योजना का फायदा और पैसे उनकी पत्नी को भी मिलेंगे?

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस पर पेमा ने बताया कि उनकी पत्नी ने 2024 की शुरुआत में उन्हें छोड़ दिया था, लेकिन सरकारी डॉक्यूमेंट्स में अभी भी उसका नाम है. वह अपनी पत्नी का नाम हटाना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए ऑफिसर आधिकारिक तलाक का आदेश मांगेत हैं. इसके आगे उन्होंने बताया कि हमारे यहां शादी और तलाक रजिस्टर नहीं होते हैं. अब इसके कारण राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में स्वीकृत पीएम आवासों के एक जरूरी हिस्से का काम रुका हुआ है.

इन गांव में प्रचलित है प्रथा

नाता प्रथा एक आदिवासी प्रथा जो विवाहित महिला को अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ रहने की अनुमति देती है. सलूंबर बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, सिरोही, राजसमंद, पाली और चित्तौड़गढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में प्रचलित इस प्रथा के तहत महिला गांव की पंचायत के सामने यह एलान करती है कि वह अपने पति को छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति के साथ रहने जा रही है.

इतने घरों का काम रूका

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इन क्षेत्रों में स्वीकृत 1.58 लाख घरों में से लगभग 5-10 प्रतिशत घर इस प्रथा के कारण रुके हुए हैं. सलूंबर जिले के झल्लारा पंचायत समिति के खंड विकास अधिकारी दिनेश पाटीदार ने कहा कि ' हमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपने लक्ष्य पूरे करने हैं और आदिवासी इलाकों में यह प्रथा एक समस्या बन गई है. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने इस समस्या के बारे में राज्य सरकार को भी लिखा है.

तलाक के आदेश हैं जरूरी

हमारे पास कई ऐसे मामले आए हैं जब महिलाओं के पूर्व पतियों ने दावा किया कि वे तलाकशुदा हैं और योजना के तहत वित्तीय सहायता के हकदार हैं. हालांकि, तलाक के आदेश के बिना हमारे हाथ बंधे हुए हैं. इन इलाकों में कई घर इसी वजह से अधूरे हैं और उच्च अधिकारी अभी भी इसका समाधान नहीं निकाल पाए हैं.'

क्या है योजना?

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इंदिरा आवास योजना की जगह पर 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना किफायती आवास उपलब्ध कराने में मदद करने के लिए एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम है. इस योजना के तहत, लाभार्थियों की पहचान थ्री-स्टेप वेरिफिकेशन प्रोसेस के जरिए की जाती है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC 2011) और 2018 आवास सर्वेक्षण, ग्राम सभा अनुमोदन और जियो-टैगिंग को ध्यान में रखना शामिल है.

10 शर्तें करनी होती है पूरी

इस योजना के तहत मैदानी इलाकों में 1.20 लाख रुपये और पहाड़ी/दुर्गम इलाकों में 1.30 लाख रुपये की वित्तीय सहायता पहचाने गए लाभार्थियों के आधार से जुड़े बैंक खातों में भेजी जाती है, जिन्हें 10 शर्तें पूरी करनी होती हैं. इसमें टैक्स स्लैब में न आना, गाड़ी का मालिक न होना और पांच एकड़ से अधिक जमीन का मालिक न होना शामिल है.

महिलाओं की भूमिका

योजना के तहत महिलाएं प्राथमिक लाभार्थी हैं, जिसका मतलब है कि नियमों के अनुसार उन्हें योजना के तहत बनाए जा रहे घर के एकमात्र मालिक या संयुक्त मालिक के रूप में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. सिवाय इसके कि परिवार में कोई वयस्क महिला न हो.

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