ऑपरेशन डिस्ट्रॉय दिया कुमारी फेल! कोर्ट ने ख़ारिज की आरोपी पत्रकारों की अग्रिम जमानत याचिका, जानें कब होगी गिरफ़्तारी
डिप्टी सीएम दिया कुमारी ब्लैकमेल केस में जयपुर सेशन कोर्ट ने आरोपी पत्रकारों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. पुलिस अब गिरफ्तारी की तैयारी में है. ‘ऑपरेशन डिस्ट्रॉय दिया कुमारी’ नामक साजिश और 5 करोड़ की मांग के खुलासे ने राजस्थान की राजनीति में तूफान ला दिया है. यह मामला अब सत्ता और मीडिया के रिश्तों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.
जयपुर की सियासत उस वक्त गरमा गई जब डिप्टी सीएम दिया कुमारी को ब्लैकमेल करने के सनसनीखेज मामले में जयपुर सेशन कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने आरोपी पत्रकार आनंद पांडे, हरीश दिवेकर और जिनेश जैन की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया. इस फैसले ने न केवल पुलिस की जांच को नई दिशा दी है, बल्कि राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा हो रही है.
अदालत ने यह साफ़ कर दिया कि “गंभीर आरोपों वाले मामलों में कोई समझौता नहीं हो सकता.” अब पुलिस के पास आरोपियों की गिरफ्तारी का रास्ता खुल गया है. वहीं, इस केस को लेकर जनता और राजनीतिक दलों में चर्चा का दौर जारी है. कई लोग इसे “राजनीति और मीडिया के गठजोड़” की नई कहानी के रूप में देख रहे हैं.
अग्रिम जमानत याचिका खारिज
जयपुर सेशन कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रकरण में आरोप इतने गंभीर हैं कि फिलहाल किसी आरोपी को राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट के रुख ने पुलिस को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकेत दे दिया है.

गिरफ्तारी की तैयारी तेज
जयपुर पुलिस अब आनंद पांडे और हरीश दिवेकर की गिरफ्तारी की तैयारी में जुट गई है. इससे पहले दोनों को भोपाल से पूछताछ के लिए जयपुर लाया गया था, लेकिन तब उन्हें छोड़ा गया था. अब कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार है.
'ऑपरेशन डिस्ट्रॉय दिया कुमारी'
पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने “ऑपरेशन डिस्ट्रॉय दिया कुमारी” नाम से एक योजना बनाई थी. इस ऑपरेशन के तहत, दिया कुमारी की छवि धूमिल करने और झूठी खबरें फैलाने की कोशिश की जा रही थी. बदले में 5 करोड़ रुपये की मांग की गई थी.
वीडियो सबूत और पुलिस का दावा
पुलिस के अनुसार, इस पूरी डील की बातचीत की वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद है. इस रिकॉर्डिंग में आरोपियों के बीच पैसों की डील और ऑपरेशन चलाने की साजिश की चर्चा दर्ज है. पुलिस अब इन डिजिटल सबूतों के आधार पर केस को मजबूत बना रही है.
सियासत में मचा भूचाल
इस मामले ने राजस्थान की राजनीति में नए सवाल खड़े कर दिए हैं. विपक्षी दल इसे “मीडिया ब्लैकमेलिंग” और “सत्ता से नजदीकी” का उदाहरण बता रहे हैं, जबकि सत्ताधारी दल इस पर चुप्पी साधे हुए है. सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या यह किसी बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा है.
मीडिया और राजनीति का टकराव
इस प्रकरण ने मीडिया की भूमिका पर भी बहस छेड़ दी है. कुछ पत्रकार संगठनों का कहना है कि “ब्लैकमेलिंग को पत्रकारिता कहना सही नहीं है,” वहीं कुछ इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” के रूप में देख रहे हैं. सोशल मीडिया पर यह केस ट्रेंड में है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर वीडियो सबूत मौजूद हैं, तो पहले आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. जनता इस केस के हर अपडेट पर नजर रख रही है.
क्या होगी गिरफ्तारी?
अब सबकी निगाहें जयपुर पुलिस पर टिकी हैं. क्या आने वाले दिनों में आरोपी गिरफ्तार होंगे या वे फिर किसी कानूनी दांव-पेंच से राहत पाएंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि “दिया कुमारी ब्लैकमेल केस” राजनीति, मीडिया और कानून तीनों के रिश्ते को किस दिशा में मोड़ता है.





