नो सेफ्टी, नो स्कूल... 9 साल की अमायरा की मौत केस को लेकर CBSE का एक्शन, रद्द की नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता
9 साल की मासूम अमायरा की दर्दनाक मौत के मामले में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कड़ा रुख अपनाते हुए नीरजा मोदी स्कूल की मान्यता रद्द कर दी है. इस हादसे ने न सिर्फ स्कूल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि उन व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए, जिन्हें बच्चों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य माना जाता है.
एक स्कूल, जिसे बच्चों के लिए सुरक्षित आश्रय माना जाता है, वही जब सवालों के घेरे में आ जाए तो समाज को झकझोर देने वाली सच्चाई सामने आती है. जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल से जुड़ा मामला भी कुछ ऐसा ही है. 9 साल की मासूम बच्ची की दर्दनाक मौत के दो महीने बाद, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूल पर कड़ा एक्शन लिया.
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दरअसल स्कूल की सीनियर सेकेंडरी तक की मान्यता तत्काल प्रभाव से वापस ले ली है. यह फैसला सिर्फ एक प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक सख्त संदेश भी है.
मासूम की मौत ने खोली खामियों की परतें
1 नवंबर को स्कूल परिसर में एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया. चौथी मंजिल की पैरापेट से गिरकर 9 वर्षीय अमायरा कुमार की मौत हो गई. यह घटना जितनी दर्दनाक थी, उतनी ही सवालों से भरी भी. हादसे के बाद जांच शुरू हुई और धीरे-धीरे स्कूल प्रबंधन की लापरवाहियों की तस्वीर साफ होती चली गई.
CBSE की जांच और सख्त निष्कर्ष
घटना के बाद CBSE की दो सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी ने 3 नवंबर को स्कूल का दौरा किया और 12 नवंबर को मृत बच्ची के माता-पिता से भी मुलाकात की. जांच रिपोर्ट, दस्तावेज़ों और स्कूल के जवाबों के आधार पर बोर्ड ने पाया कि स्कूल ने बाल सुरक्षा मानकों का घोर उल्लंघन किया है. CBSE के अनुसार, स्कूल में न तो प्रभावी काउंसलिंग सिस्टम था और न ही शिकायत निवारण की कोई मजबूत व्यवस्था, जो कि मान्यता नियमों के तहत अनिवार्य है.
‘पूरी तरह रोकी जा सकती थी यह घटना’
अपने आदेश में बोर्ड ने साफ कहा कि यदि स्कूल ने तय सुरक्षा प्रावधानों का पालन किया होता, तो यह हादसा पूरी तरह रोका जा सकता था. बोर्ड ने इसे बच्चों की शारीरिक और मानसिक सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला मानते हुए इसे “जानबूझकर की गई अनदेखी” करार दिया.
छात्रों के भविष्य के लिए क्या फैसला हुआ?
मान्यता रद्द होने के बावजूद CBSE ने मौजूदा छात्रों को राहत दी है. कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्र 2025-26 सत्र में उसी स्कूल से बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे. हालांकि, कक्षा 9वीं और 11वीं के छात्रों को 31 मार्च 2026 तक आसपास के अन्य स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा. स्कूल को नए दाखिले लेने और निचली कक्षाओं के छात्रों को 9वीं-11वीं में प्रमोट करने से भी रोक दिया गया है.
आगे का रास्ता और सख्त शर्तें
CBSE ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूल 2027-28 सत्र से सेकेंडरी स्तर तक की मान्यता बहाल कराने के लिए आवेदन कर सकता है, लेकिन सीनियर सेकेंडरी की मान्यता के लिए कम से कम दो शैक्षणिक वर्षों का इंतजार करना होगा. कक्षा 1 से 8 तक स्कूल की मान्यता पर फैसला अब राजस्थान सरकार करेगी.
एक कड़ा संदेश
यह मामला सिर्फ एक स्कूल तक सीमित नहीं है. CBSE का यह कदम सभी शिक्षण संस्थानों के लिए चेतावनी है कि बच्चों की सुरक्षा में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. क्योंकि स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं, बल्कि बच्चों के सपनों और जीवन की सबसे सुरक्षित जमीन होने चाहिए.





