दो विधायकों की लड़ाई में पिस रहे गांव वाले, ट्यूब-खटोले पर टिकी जिंदगी; VIDEO देख हिल जाएंगे
Dholpur News: धौलपुर जिले के तसीमो और सैपऊ कस्बे और बच्चों को स्कूल तक पहुंचने के लिए करीब 10 किलोमीटर तक का लोग सफर कर रहे हैं. इतनी मशक्कत के बाद बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं. बरसात के मौसम में हालात और खराब हो जाते हैं.

Dholpur News: राजस्थान के धौलपुर से एक ग्राम पंचायत की हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. ग्रामीणों को जीवनयापन के लिए बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. करीब 200 लोग बिना किसी पक्की सड़क के आवाजाही कर रहे हैं. हद तो तब हो गई जब सड़क पार करने के लिए ट्यूब पर चारपाई रखकर नदी पार करनी पड़ेगी.
मानसून के आने के बाद से गांव की हालत और खराब हो गई है. थोड़ी सी बारिश होते ही जलभराव हो जाता है और गांव में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. जिले के तसीमो और सैपऊ कस्बे और बच्चों को स्कूल तक पहुंचने के लिए करीब 10 किलोमीटर तक का लोग सफर कर रहे हैं.
10 किलोमीटर के बाद मिलती शिक्षा
ग्राम पंचायत स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय है, जिसमें पढ़ने के बाद छात्र तसीमो कस्बे के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में एडमिशन लेते हैं. गांव की हालत इतनी खराब है कि छात्र-छात्राएं और अन्य लोग ट्यूब के ऊपर चारपाई रखकर नदी पार कर रहे हैं. इतनी मशक्कत के बाद बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं. बरसात के मौसम में हालात और खराब हो जाते हैं.
गांव वालों की समस्याएं
ग्रामीणों ने राजनीतिक प्रतिनिधियों व उपखंड ऑफिस से सैंपऊ को जोड़ने और नदी पर पुल बनाने की अपील की. कक्षा 10वीं की एक छात्रा का कहना है कि स्कूल खुल गए हैं लेकिन हम लोग रोजाना स्कूल जाने के लिए ट्यूब से नदी पार करते हैं. वहीं एक निवासी ने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसी अनेक समस्याएं झेलनी पड़ रही है.
क्या बोले ग्रामीण?
गांव में रहने वाले नेमीचंद कुशवाह का कहना है कि तसीमो और सैपऊ कस्बा तक जाने के लिए सड़क तो है लेकिन करीब 10 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. अगर नदी पर पुल बन जाता तो समय कम लगता और रास्ता आसान हो जाता. नदी पार करके दूसरे कस्बे की दूरी सिर्फ 5 किलोमीटर रहती है.
बता दें कि पार्वती नदी का एक किनारा धौलपुर और दूसरा बाड़ी विधानसभा क्षेत्र में आता है. लोगों का कहना है कि सीमा विवाद होने की वजह से यहां विकास को लेकर काम नहीं किया जा रहा है. विधायक एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थौपते नजर आते हैं, इसमें परेशानी सिर्फ ग्रामीणों को होती है.