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अचानक हुआ पेट दर्द, फिर 14 साल की नाबालिग ने दिया बच्चे को जन्म, जानें क्या है पूरा मामला

राजस्थान के बांसवाड़ा से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जहां एक 9वी क्लास की छात्रा ने बच्चे को जन्म दिया है. पुलिस ने मां और बच्चे के बेहतर देखभाल के लिए उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया है. अब इस मामले में पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी है.

अचानक हुआ पेट दर्द, फिर 14 साल की नाबालिग ने दिया बच्चे को जन्म, जानें क्या है पूरा मामला
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( Image Source:  META AI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 25 Sept 2025 1:18 PM IST

आठ महीने पुरानी एक दर्दनाक याद ने बांसवाड़ा के एक छोटे से गांव में हकीकत का चेहरा उजागर कर दिया। क्लास 9वीं की एक स्कूली छात्रा को अचानक पेट में दर्द हुआ, जिसके बाद उसे अस्पताल लेकर गए. जहां नाबालिग ने एक बच्चे को जन्म दिया. डिलीवरी के बाद मां और बच्चे दोनों को जिला अस्पताल भेज दिया गया है.

डॉक्टर ने इस मामले की सूचना थाने में दी, जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने छानबीन शुरू की. बच्ची के साथ उनके भाई-भाभी थे, जिन्होंने शुरुआत में पुलिस को गुमराह किया.

अचानक हुआ दर्द

मंगलवार शाम छात्रा को तेज पेट दर्द हुआ। परिजन उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। डॉक्टरों की जांच से खुलासा हुआ कि नाबालिग गर्भवती है और प्रसव की घड़ी आ चुकी है। तुरंत उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया। रात होते-होते उस मासूम ने अस्पताल के बिस्तर पर एक जिंदगी को जन्म दिया.

परिवालों वालों की चुप्पी

अस्पताल प्रशासन से सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची. शुरुआत में पीड़िता के साथ मौजूद भाई और भाभी ने पूरा मामला जानने से इनकार किया. लेकिन लगातार पूछताछ और सख्ती के बाद छात्रा ने अपनी चुप्पी तोड़ दी. सच सुनकर परिजन भी सन्न रह गए और तब भाभी ने पुलिस को पूरी रिपोर्ट दी.

कैसे हुआ दुष्कर्म

पीड़िता ने बताया कि जनवरी 2025 में वह गांव के पास बकरियां चराने गई थी. तभी सागवा निवासी बिजू निनामा बाइक से वहां पहुंचा। उस सुनसान इलाके में उसने नाबालिग के साथ जबरन दुष्कर्म किया. भय और सामाजिक कलंक के कारण बच्ची ने किसी को कुछ नहीं बताया। पर समय बीतने के साथ उसका गर्भ ठहर गया और उसने यह राज अपने भीतर ही दबाए रखा.

अब कानून करेगा फैसला

जैसे ही पूरी कहानी बाहर आई, पुलिस ने तुरंत पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया. थानाधिकारी नागेंद्र सिंह स्वयं इस मामले की जांच कर रहे हैं. अस्पताल में जच्चा-बच्चा दोनों का इलाज जारी है. यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज की उस चुप्पी की गवाही है जिसमें डर और शर्मसार होने का खौफ मासूम आवाजों को दबा देता है. अब उम्मीद है कि कानून इस मासूम और उसके बच्चे के लिए न्याय का रास्ता साफ करेगा.

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