दशहरा पर मनाते हैं मातम! राजस्थान में इस गांव में होती है रावण की पूजा, जानें उसके बारे में
Dussehra 2025: जोधपुर में एक ऐसा गांव है, जहां दशहरे पर रावण दहन नहीं होता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है. श्रीमाली गोधा ब्राह्मण समुदाय खुद को रावण का वंशज मानता है. मान्यता है कि जोधपुर का मंडोर रावण का ससुराल था. रीति-रिवाजों के अनुसार यहां उसकी पूजा की जाती है.

Dussehra 2025: देशभर में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. 2 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा, इस दिन रावण दहन किया जाता है. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और माता सीता को उसके कैद से मुक्त कराया था.
राजस्थान में एक ऐसा गांव का जहां रावण दहन नहीं बल्कि उसकी पूजा की जाती है. विजयदशमी पर लंका के राजा की पूजा की जाती, जबकि बाकी जगहों पर उसका पुतला जलाया जाता है. आज हम आपको इसके जगह के बारे में बताएंगे.
रावण के लिए शोक
दशहरे के दिन मरुधरा का जोधपुर (jodhpur) में रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि जोधपुर का मंडोर रावण का ससुराल है. यहां रहने वाला श्रीमाली गोधा ब्राह्मण समुदाय अपने आप को रावण का वंशज बताते हैं. हालांकि कई जगहों पर रावण का ससुराल मेरठ भी बताया जाता है.
रावण और मंदोदरी
प्राचीन मान्यता के अनुसार, रावण की पत्नी मंदोदरी जोधपुर के मंडोर क्षेत्र की राजकुमारी थीं और यहीं उनका ससुराल था. हालांकि इसका कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है. आज भी कुछ समुदाय रावण की विशेष पूजा करते हैं और उनके विवाह को महत्व देते हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि जब श्रीराम ने रावण का वध किया, तो वे विभिन्न मार्गों से होते हुए जोधपुर पहुंचे और यहीं बस गए.
मंदोदरी का जन्म
कहा जाता है कि मायासुर ने ब्रह्माजी से वरदान मिलने के बाद अप्सरा हेमा के लिए मंडोर का निर्माण करवाया. मायासुर और हेमा की संतान मंदोदरी थी, जिनका विवाह रावण से हुआ. इसलिए मंडोर रावण का ससुराल माना जाता है और रीति-रिवाजों के अनुसार यहां उसकी पूजा की जाती है.
अमरनाथ महादेव मंदिर
विजयदशमी के दिन जोधपुर में श्रीमाली ब्राह्मण समाज के दवे गोधा गोत्र परिवार शोक समारोह का आयोजन करते हैं. किला रोड स्थित अमरनाथ महादेव मंदिर के प्रांगण में रावण का एक मंदिर भी है, जहां उसकी पूजा की जाती है. दशहरे के दिन रावण की मूर्ति का अभिषेक और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. शाम को रावण दहन के बाद, दवे गोधा वंश के परिवार स्नान कर यज्ञ करते हैं. कहा जाता है कि रावण भगवान शिव का बड़ा भक्त था, लेकिन उसकी एक भूल ने उसे युगों-युगों तक पापी बना दिया.