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तरनतारन विधानसभा सीट पर दिखा हरमीत सिंह संधू का दमखम, जानें SDM से AAP में शामिल होने वाले ये नेता कौन

आम आदमी पार्टी के हरमीत सिंह संधू ने पंजाब में तरनतारन विधानसभा उपचुनाव में 42,649 वोट हासिल कर पार्टी को क्षेत्र में मजबूत जीत दिलाई. वह पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं. हरमीत सिंह संधू कभी SDM के नेता हुआ करते थे.

तरनतारन विधानसभा सीट पर दिखा हरमीत सिंह संधू का दमखम, जानें SDM से AAP में शामिल होने वाले ये नेता कौन
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( Image Source:  instagram-@mlatarntaran )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 14 Nov 2025 4:31 PM IST

तरनतारन विधानसभा सीट पर हरमीत सिंह संधू ने आखिरकार वह वापसी कर दिखाई, जिसका इंतजार वह कई सालों से कर रहे थे. लंबे राजनीतिक उतार-चढ़ाव, 2022 की हार और पार्टी बदलने के बाद संधू ने इस उपचुनाव में जीत हासिल कर साबित कर दिया कि उनका जनाधार अब भी मजबूत है.

आम आदमी पार्टी ने उन पर जो भरोसा जताया था, वह न सिर्फ सही साबित हुआ बल्कि संधू की यह जीत तरनतारन की सियासत में एक बार फिर उनके प्रभाव की वापसी का संकेत भी बन गई है. चलिए ऐसे में जानते हैं हरमीत सिंह संधू कौन हैं और यह चुनाव उनके लिए इतना निर्णायक क्यों माना जा रहा है?

कौन हैं हरमीत सिंह संधू?

हरमीत सिंह संधू की पहचान तरनतारन की राजनीति में मजबूत पकड़ वाले नेता की रही है. 2002 में उन्होंने निर्दलीय जीत दर्ज की थी. उस समय यह जीत किसी करिश्मे से कम नहीं थी. इसके बाद 2007 और 2012 में वह शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर फिर विधानसभा पहुंचे. लगातार तीन बार चुने जाने के बाद संधू को तरनतारन का सबसे प्रभावी चेहरे में गिना जाने लगा.

2 बार हार चुके हैं चुनाव

लेकिन राजनीति सीधी रेखा नहीं होती. 2017 और फिर 2022 में संधू को हार का सामना करना पड़ा. खासकर 2022 में, जब आम आदमी पार्टी की लहर पंजाब में छा गई. उसी चुनाव में आप उम्मीदवार कश्मीर सिंह सोहल को 52935 वोट मिले, जबकि संधू 39347 वोटों के साथ पीछे रह गए. यहीं से उनके राजनीतिक सफर ने मोड़ लिया.

अकाली दल छोड़कर आप का दामन थामा

2022 की हार और संगठन में घटते प्रभाव ने संधू को नए रास्ते तलाशने पर मजबूर किया. जुलाई 2025 में उन्होंने अकाली दल छोड़कर आप में शामिल होने का निर्णय लिया. भगवंत मान ने उन्हें खुले मंच से स्वागत करते हुए कहा कि संधू की साख और जमीन से जुड़ाव क्षेत्र के विकास में गति देगा. पार्टी का मानना है कि संधू की स्थानीय लोकप्रियता और उनका राजनीतिक अनुभव उपचुनाव में बड़ा फैक्टर बन सकता है.



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