एक तसला और, फोटो नहीं आई... और 6 फीट गहरे गड्ढे में जा गिरे डॉक्टर साहब! वीडियो देख लोग बोले- सेवा में सादगी रखो, नाटक नहीं
मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में चित्रगुप्त मंदिर निर्माण के दौरान एक अजीबो-गरीब हादसा सामने आया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रफुल्ल श्रीवास्तव निर्माण कार्य में सेवा देने पहुंचे थे और साथ ही अपना फोटोशूट भी करवा रहे थे. जैसे ही उन्होंने बेहतर एंगल के लिए एक और तसला उठाया, वे संतुलन खो बैठे और छह फीट गहरे गड्ढे में गिर गए. यह पूरा वाकया कैमरे में कैद हो गया और वायरल हो गया.

Seoni Dr Prafull Srivastava falls in pit viral video : मध्यप्रदेश के सिवनी जिले से एक अजीब, लेकिन सीख देने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. यह वीडियो चित्रगुप्त मंदिर के निर्माण स्थल का है, जहां मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रफुल्ल श्रीवास्तव सेवा कार्य में भाग लेने पहुंचे थे, लेकिन यह सेवा कार्य एक ‘फोटोशूट’ में तब्दील हो गया और नतीजा यह हुआ कि वे अचानक एक छह फीट गहरे गड्ढे में जा गिरे.
डॉ. श्रीवास्तव मंदिर परिसर के निर्माण कार्य में स्वेच्छा से भाग लेने पहुंचे थे. उनका उद्देश्य न केवल श्रमदान करना था, बल्कि इस कार्य का फोटो और वीडियो भी बनवाना था. वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि वे एक गड्ढे में निर्माण सामग्री डाल रहे हैं और कैमरे के सामने पोज दे रहे हैं. इसी दौरान कैमरामैन की आवाज आती है – “एक तसला और, फोटो ठीक नहीं आई.” इसके बाद डॉ. श्रीवास्तव अगला तसला उठाने के लिए जैसे ही कदम बढ़ाते हैं, उनका संतुलन बिगड़ जाता है और वे सीधे गड्ढे में गिर जाते हैं.
“सेवा में सादगी रखो, नाटक नहीं”
यह दृश्य कैमरे में कैद हो गया और कुछ ही देर में सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया. वीडियो को शेयर करते हुए लोगों ने जमकर प्रतिक्रियाएं दीं. एक यूज़र ने तंज कसते हुए लिखा, “सेवा में सादगी रखो, नाटक नहीं. जब सेवा फोटोशूट बन जाए, तो ध्यान काम पर नहीं, कैमरे पर होता है.” यह कमेंट कई लोगों द्वारा सराहा गया और लोगों ने इसे आज की दिखावटी प्रवृत्ति पर एक करारा व्यंग्य बताया.
डॉक्टर श्रीवास्तव को हादसे में आईं केवल मामूली चोटें
गनीमत रही कि डॉक्टर श्रीवास्तव को इस हादसे में केवल मामूली चोटें आईं और उनकी हालत अब ठीक है. इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सामाजिक और धार्मिक सेवा अब कितनी दिखावे की हो चली है, जहां फोटो और वीडियो का आकर्षण वास्तविक कार्य से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है.
श्रमदान जैसे कार्य भी बन गए हैं पब्लिसिटी का जरिया
यह मामला केवल एक हास्यप्रद दुर्घटना नहीं, बल्कि उस मानसिकता का भी प्रतीक है जिसमें सेवा की आत्मा कहीं खोती जा रही है. सोशल मीडिया पर वाहवाही लूटने की होड़ ने अब श्रमदान जैसे कार्यों को भी पब्लिसिटी का जरिया बना दिया है. हालांकि, इस घटना ने यह जरूर दिखा दिया कि कैमरे के लिए सेवा करने की कोशिश कब स्वयं पर भारी पड़ सकती है.