हाईवे पर सेक्स कांड वाले धाकड़ नेता अब Viral Video मामले में किसे भेजेंगे मानहानि नोटिस?
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर महिला संग अश्लील हरकत का वीडियो वायरल होने के बाद पूर्व भाजपा नेता मनोहर लाल धाकड़ पर FIR दर्ज हुई. वकील का दावा है कि वीडियो नकली है और AI से एडिट किया गया. धाकड़ को जमानत मिल चुकी है, अब फॉरेंसिक जांच और मानहानि केस की तैयारी. भाजपा मामले में फिलहाल दूरी बनाए हुए है.

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर एक महिला के साथ कार में अश्लील हरकतों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें कथित तौर पर पूर्व भाजपा नेता मनोहर लाल धाकड़ को देखा गया. वायरल होते ही वीडियो ने सियासी हलकों में सनसनी मचा दी और धाकड़ के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया. हालांकि आरोपी पक्ष का दावा है कि वीडियो में दिख रहा शख्स मनोहर नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है.
मनोहर लाल धाकड़ को इस मामले में सोमवार को जमानत मिल चुकी है. उनके वकील संजय सोनी ने बयान जारी करते हुए कहा कि वीडियो पूरी तरह फर्जी है. उनका दावा है कि वीडियो एडिटिंग या AI टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है. वीडियो में दिख रही कार की नंबर प्लेट भी नकली प्रतीत होती है और मनोहर लाल धाकड़ घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं थे.
करेंगे मानहानि का केस
वकील संजय सोनी ने आरोप लगाया गया कि एनएचएआई के कुछ टोलकर्मियों ने जानबूझकर यह वीडियो वायरल किया ताकि धाकड़ की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके. इस आधार पर मानहानि का नोटिस जारी करने की तैयारी है. भाजपा का प्रदेश नेतृत्व भी इस मामले में पार्टी के दिशा-निर्देशों के तहत कदम उठाने की बात कह रहा है.
फॉरेंसिक जांच की मांग
मनोहर लाल धाकड़ और उनके वकील चाहते हैं कि वीडियो की फॉरेंसिक जांच हो ताकि उसकी सत्यता साबित की जा सके. उनका कहना है कि बिना किसी तकनीकी जांच के सीधे FIR दर्ज करना जल्दबाज़ी भरा और अन्यायपूर्ण कदम था. रतलाम रेंज के डीआईजी मनोज कुमार सिंह ने भी कहा है कि वीडियो की बारीकी से जांच की जा रही है और जो भी दोषी होगा, उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
पार्टी ने बनाई दूरी
वीडियो विवाद के सामने आते ही भाजपा की प्रदेश इकाई ने कोई सीधा समर्थन नहीं दिया. पार्टी ने इस मामले में संयम बरतते हुए कहा है कि जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी के आधार पर संगठनात्मक कार्रवाई की जाएगी. इससे साफ है कि भाजपा इस पूरे मामले में ‘वेट एंड वॉच’ की नीति अपना रही है और किसी भी तरह की छवि पर आंच नहीं आने देना चाहती.
सोशल मीडिया का असर
21 मई को वीडियो के सोशल मीडिया पर अपलोड होते ही यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया. वायरल ट्रेंड के साथ ही यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आ गया. ऐसे में यह सवाल फिर उठता है कि क्या डिजिटल दौर में बिना प्रमाण किसी भी व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाना आसान हो गया है? यह विवाद अब केवल अश्लीलता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मानहानि, डिजिटल प्रामाणिकता और राजनीतिक नैतिकता का मुद्दा बन चुका है.