उज्जैन के इस ‘सांप वाली’ आंगनबाड़ी में बच्चों से ज्यादा है नागराज का डेरा, पढ़ाई करवाना बना जानलेवा
आंगनवाड़ी की स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि कार्यकर्ता रोज़ की तरह समय पर पहुंच तो जाती हैं, लेकिन जैसे ही दरवाज़ा खोलते हैं और सांप दिखाई दे जाता है, वे मजबूरन दरवाज़ा बंद करके छुट्टी कर देती हैं.

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित एक आंगनवाड़ी इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है. लेकिन इसकी चर्चा का कारण यहां पढ़ाई की गुणवत्ता या बच्चों को मिलने वाला पोषण आहार नहीं है, बल्कि यहां का माहौल है, जो किसी भी माता-पिता को चिंता में डाल सकता है. दरअसल, इस आंगनवाड़ी में पढ़ने आने वाले बच्चों से ज्यादा अक्सर सांप नज़र आ जाते हैं. हालत यह है कि कई बार तो सुबह जैसे ही आंगनवाड़ी का दरवाज़ा खोला जाता है, सामने फन फैलाए नागराज खड़े मिलते हैं. स्वाभाविक है कि ऐसे में डर के मारे वहां मौजूद सभी लोग घबरा जाते हैं और तुरंत छुट्टी घोषित कर दी जाती है.
यह आदर्श आंगनवाड़ी वार्ड नंबर 16, नगरकोट माता मंदिर के पास चलती है. यहां काम करने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ज्योत्सना दीक्षित, प्रीति गौड़ और सरस्वती आठिया का कहना है कि पिछले कई दिनों से सांपों के कारण माहौल में डर और दहशत बनी हुई है. कमरे के अंदर, कोनों में और यहां तक कि बाहर के परिसर में भी सांप रेंगते हुए दिखाई दे जाते हैं. इस वजह से बच्चों का यहां बैठकर पढ़ना और स्टाफ का काम करना दोनों ही खतरे से खाली नहीं हैं.
शिकायत करने पर भी कार्यवाई नहीं
आंगनवाड़ी की स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि कार्यकर्ता रोज़ की तरह समय पर पहुंच तो जाती हैं, लेकिन जैसे ही दरवाज़ा खोलते हैं और सांप दिखाई दे जाता है, वे मजबूरन दरवाज़ा बंद करके छुट्टी कर देती हैं. बताया जा रहा है कि यहां सांप निकलने की शिकायत 4 अगस्त को महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी को की जा चुकी है, लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद भी विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. यहां प्रतिदिन लगभग 50 से ज्यादा बच्चे आते हैं, लेकिन उनके माता-पिता अब गंभीर रूप से चिंतित हैं. उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई तो ज़रूरी है, लेकिन उनकी जान उससे कहीं ज्यादा कीमती है। कई अभिभावकों ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से सुरक्षित स्थान पर संचालन करने की मांग भी की है.
इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?
मजेदार बात या कहें दुखद सच यह है कि सांप निकलने की यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है. कर्मचारी भी खुले तौर पर विभाग को इसकी जानकारी दे चुके हैं, लेकिन जवाबदेही की बात पर हर कोई चुप्पी साधे हुए है. बड़ा सवाल यह है कि अगर कभी किसी बच्चे को सांप काट ले तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है, लेकिन डर और खतरे के साए में यह आंगनवाड़ी हर दिन ऐसे ही खुलती और बंद हो रही है.