इंसान मर गया… लेकिन श्मशान नहीं खुला, सचिव ने नहीं दी चाबी; भारी बारिश में टिन शेड लगाकर जलाई गई चिता
Ashoknagar News: मध्य प्रदेश के अशोकनगर में एक मृतक युवक का परिवार जब उसके शव को लेकर गांव के श्मशान घाट में पहुंचा तो उन्हें रोक दिया गया. क्योंकि श्मशान घाट का उद्घाटन नहीं हुआ था. इसके बाद परिवार ने भारी बारिश में ही खुले मैदान में अंतिम संस्कार किया.

Ashoknagar News: मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. यहां पर एक श्मशान घाट का उद्घाटन का मामला चर्चा में बना हुआ हैं. उद्घाटन नहीं हुआ तो एक मृतक के परिजन को अंतिम संस्कार करने से रोक दिया गया. इसके बाद परिवार को भारी बारिश में ही खुली जगह पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूरा करना पड़ा.
अशोकनगर जिले के चंदेरी क्षेत्र का यह मामला बताया जा रहा है. नानकपुर गांव में निवासी पवन कुमार अहिरवार (25) की मृत्यु हो गई. इसके बाद परिवार बारिश में ही बेटे के अंतिम संस्कार करने को मजबूर हो गया. क्योंकि श्मशान घाट का उद्घाटन समारोह बाकी था. घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
क्या है मामला?
रविवार 13 जुलाई को अचानक पवन की तबीयत खराब हो गई और उसने दम तोड़ दिया. परिवार वाले अंतिम संस्कार के लिए शव को लेकर गांव के नए श्मशान घाट पहुंचे, तो पंचायत सचिव सविता रजक ने कहा, श्मशान घाट का उद्घाटन नहीं हुआ है. इसलिए वहां अंतिम संस्कार नहीं कर सकते.
पंचायत सचिव के श्मशान घाट में एंट्री न देने के बाद ग्रामीणों ने खुले मैदान में मृतक का अंतिम संस्कार किया. उन्होंने लोहे की टीन और लकड़ियों से एक ढांचा तैयार किया. कुछ ने टीन को पकड़ा, जिससे शव बारिश में भीग न जाए. बारिश इतनी हो रही थी कि चिता जल नहीं पा रही थी. फिर कई बार पेट्रोल डाला गया. कई घंटों के प्रयास के बाद भारी बारिश के बीच युवक के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी हुई.
मृतक के परिजन का आरोप
सोशल मीडिया पर इस अंतिम संस्कार की वीडियो तेजी से वायरल हो रही है. जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है कि किसी की अंतिम यात्रा जरूरी है या उद्घाटन समारोह? ग्रामीणों और युवक के परिजनों ने कहा कि श्मशान घाट महीनों पहले बन गया था, लेकिन अब तक सिर्फ उद्घाटन नहीं होने की वजह से हमें परेशान होना पड़ता है.
अगर श्मशान घाट पहले ही बनकर तैयार हो चुका है तो उसका अब तक उद्घाटन क्यों नहीं किया गया. जब इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते तो बनाया ही क्यों. इस तरह के सवालों के साथ ग्रामीण गुस्से में नजर आ रहे हैं.