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कौन हैं CM सोरेन के PA सुनील श्रीवास्तव, चुनाव से ठीक ही पहले क्यों हुई छापेमारी?

झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी सहयोगी सुनील श्रीवास्तव के घर पर आयकर विभाग की छापेमारी से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. यह छापेमारी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसने राज्य में चुनावी माहौल को और गर्मा दिया है.

कौन हैं CM सोरेन के PA सुनील श्रीवास्तव, चुनाव से ठीक ही पहले क्यों हुई छापेमारी?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 10 Nov 2024 7:01 AM IST

झारखंड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी सहयोगी सुनील श्रीवास्तव के घर पर आयकर विभाग की छापेमारी से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. यह छापेमारी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसने राज्य में चुनावी माहौल को और गर्मा दिया है. केंद्र सरकार पर विपक्ष ने इस कार्रवाई के जरिए चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का आरोप लगाया है, जिससे सियासी माहौल और भी गरम हो गया है. इसी कड़ी में आइए जानते हैं सुनील कुमार के बारे में खास जानकारी और चुनाव से ठीक पहले क्यों मारा गया छापा डिटेल में.

सुनील श्रीवास्तव कौन हैं?

सुनील श्रीवास्तव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी और विश्वासपात्र माने जाते हैं. इससे पहले, वे एक सरकारी इंजीनियर के रूप में काम कर चुके हैं, लेकिन नौकरी छोड़कर हेमंत सोरेन के साथ राजनीतिक भूमिका में शामिल हो गए. उनके राजनीतिक करियर में उन्नति के साथ, वे जेएमएम की केंद्रीय समिति के सदस्य और स्टार प्रचारक भी बन गए हैं, जिससे उनकी पार्टी में महत्वपूर्ण स्थिति और प्रभाव साबित होता है.

वे झारखंड में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों में शामिल रहे हैं. उनके खिलाफ इस छापेमारी को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, जिनमें से मुख्य आरोप यह है कि उनके पास मौजूद संपत्तियों और वित्तीय लेन-देन में अनियमितताएं हो सकती हैं.

चुनाव से ठीक पहले छापा क्यों?

चुनाव से ठीक पहले की गई इस कार्रवाई ने कई सवाल खड़े किए हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि यह छापेमारी राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और इसका उद्देश्य हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाना है. वहीं, केंद्र सरकार और आयकर विभाग का कहना है कि यह कदम कानून के तहत लिया गया है और इसमें किसी प्रकार की राजनीतिक प्रेरणा नहीं है.

सियासी प्रभाव और प्रतिक्रियाएं

इस छापेमारी के बाद हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह कार्रवाई लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश है. दूसरी ओर, भाजपा ने इसे कानूनी कार्रवाई करार देते हुए कहा है कि जो भी गलत करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होना जरूरी है. इस घटनाक्रम से झारखंड की राजनीति और चुनावी माहौल में नई चर्चा का विषय बन गया है और आने वाले दिनों में इसके और प्रभाव देखने को मिल सकते हैं.

चुनाव से ठीक पहले आयकर विभाग द्वारा उनके घर पर की गई छापेमारी ने झारखंड की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है. विधानसभा चुनाव की तारीखें 13 और 20 नवंबर को निर्धारित हैं, और इस कार्रवाई ने चुनावी माहौल में नई चर्चा जोड़ दी है. विपक्षी दल इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं, जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे सरकारी एजेंसी की सामान्य प्रक्रिया के रूप में देखा है.

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