हत्या या आत्महत्या? भाई और मां के साथ मृत पाई गई झारखंड जेपीएससी टॉपर, गढ़वा में थी आखिरी पोस्टिंग
मनीष के सहकर्मियों को तीनों की मौत का उस वक़्त पता चला जब मनीष पिछले एक हफ्ते से ऑफिस नहीं जा रहे थे उनसे संपर्क करने उनके कुछ कलीग घर पहुंचे थे. हालांकि दुर्गंध आने पर घर का दरवाजा तोड़ा गया तो मां का शव बिस्तर पाया गया जिसपर फूल चढ़े थे.

झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) परीक्षा की टॉपर अपने आईआरएस अधिकारी भाई और उनकी मां के साथ शुक्रवार को केरल के कोच्चि में एक सरकारी आवास में मृत पाई गई. झारखंड समाज कल्याण विभाग में सहायक निदेशक शालिनी विजय 2020 से छुट्टी पर थी. वह और उनके भाई मनीष विजय, कोच्चि में केंद्रीय एक्साइज एंड कस्टम्स के एडिशनल कमिश्नर, पर अपनी मां शकुंतला की हत्या करने का शक है.
हालांकि जांच का एक एंगेल यह भी कहता है कि मां की हत्या के बाद शालिनी और विजय ने फांसी लगा ली. बता दें कि मां का शव बिस्तर पर पड़ा था और शालिनी, विजय का शव लटका मिला जिसके बाद यह जांच हत्या और आत्महया के बीच उलझ गई है. केरल पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला है जिससे आशंका जताई जा रही है कि शालिनी अपनी भाई मनीष से परेशान थी. वह पिछले दो साल से केरल में अपने भाई और मां के साथ रह रही थी.
एक हफ्ते से छुट्टी पर था मनीष
मनीष के सहकर्मियों को तीनों की मौत का उस वक़्त पता चला जब मनीष पिछले एक हफ्ते से ऑफिस नहीं जा रहे थे उनसे संपर्क करने उनके कुछ कलीग घर पहुंचे थे. हालांकि दुर्गंध आने पर घर का दरवाजा तोड़ा गया तो मां का शव बिस्तर पाया गया जिसपर फूल चढ़े थे. पुलिस को मनीष की डायरी में 15 फरवरी का एक नोट मिला, जिसमें कुछ डॉक्यूमेंट उसकी छोटी बहन को सौंपने का निर्देश था, जो इस समय दुबई में है. नोट में उसके फोन नंबर का जिक्र है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'वह पोस्टमॉर्टेम के बाद ही कुछ बता पाएंगे कि मामला हत्या का है या आत्महत्या का.'
भर्ती घोटाले का था आरोप
2003 में जेपीएससी की पहली कंबाइंड एग्जाम के जरिए से भर्ती किए गए 64 सिविल सेवकों में शालिनी टॉपर थीं. कुछ उम्मीदवार जो परीक्षा में शामिल नहीं हो सके, उन्होंने जल्द ही भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी और बताया कि परीक्षा पास करने वालों में से कई लोग राजनेताओं या अधिकारियों से जुड़े हुए थे. जैसे-जैसे राज्य की जांच आगे बढ़ी, झारखंड HC ने 2022 में मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया. जिसके बाद सीबीआई ने शालिनी और अन्य रंगरूटों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 423 (धोखाधड़ी दस्तावेज) और 201 (साक्ष्य को नष्ट करना) के साथ-साथ अन्य अपराधों के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) और 13(1)(डी) के तहत आरोप दर्ज किए. इसके बाद शालिनी को अपनी नौकरी जाने का डर था जिससे उसके घरवाले भी परेशान थे. जानकारी के मुताबिक 15 फरवरी शालिनी को कोर्ट में उपस्थित होना था लेकिन वह वहां पहुंचने में असफल रही.
रसोई में मिले जले डॉक्यूमेंट
पड़ोसियों का कहना है कि विजय और उसकी मां पड़ोसियों से ज्यादा बातचीत नहीं करते थे. पुलिस को रसोई से भी जले हुए डॉक्यूमेंट मिले है. बाकी मामले की पुलिस मामले की जांच कर रही है. हालांकि आशंका है कि पूरा परिवार गिरफ्तारी के भय में था जिसने आत्महत्या करने का प्रयास किया.
गढ़वा में थी शालिनी की आखिरी पोस्टिंग
शालिनी आखिरी बार गढ़वा में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी के पद पर तैनात थीं. कार्मिक विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक शालिनी की साल 2020 के बाद से कोई जानकारी नहीं है. चार साल पहले वह छुट्टी लेकर केरल चली गई थी. तब से उनका कोई संपर्क यहां से नहीं था. झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ ने शालिनी सहित उनके परिवार के लोगों की मौत पर दुख जताया है. संघ के महासचिव राहुल कुमार ने कहा है कि जैसे ही यह जानकारी आयी, संघ के सभी कर्मी स्तब्ध रह गए.