घाटशिला से बाबूलाल सोरेन को हराने वाले कौन हैं सोमेश चंद्र सोरेन? 38 हजार वोटों से मारी बाज़ी
झारखंड के घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के उम्मीदवार सोमेश चंद्र सोरेन ने शानदार जीत दर्ज की है. उन्होंने 38 हजार वोटों से बाबूलाल सोरेन को हराया है. घाटशिला में मिली यह जीत झामुमो के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इससे पार्टी ने न केवल भाजपा को पीछे छोड़ा, बल्कि अपने वोट बैंक और संगठनात्मक ताकत को भी मजबूत किया.
झारखंड के घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में सोमेश चंद्र सोरेन ने भाजपा के नेता बाबूलाल सोरेन को 38,524 मतों के बड़े अंतर से मात दे कर राजनीति में अपनी ताकत साबित कर दी. युवा नेता सोमेश ने इस जीत के जरिए अपने करियर को नई उड़ान दी है.
उनकी यह जीत न केवल व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) पार्टी की क्षेत्रीय पकड़ और प्रभाव को भी साफ तौर से दिखाती है. झामुमो झारखंड राज्य की प्रमुख आदिवासी पार्टी है, जो हमेशा से स्थानीय लोगों के हित और विकास को लेकर सक्रिय रही है. इस उपचुनाव में भी पार्टी ने सोमेश चंद्र सोरेन को उम्मीदवार उतारकर युवा नेतृत्व और पार्टी की नई ऊर्जा को सामने रखा.
कितने वोटों से हासिल की जीत?
युवा नेता चंद्र सोरेन ने 20 वें राउंड की काउंटिंग के बाद 38,524 मतों से घाटशिला सीट पर अपनी जीत दर्ज कराई. घाटशिला सीट के उपचुनाव में कुल 1,04,794 वोटों के साथ सोमेश चंद्र सोरेन ने भाजपा के बाबूलाल सोरेन को 66,270 वोटों के मुकाबले परास्त किया. तीसरे नंबर पर जेएलकेएम के रामदास मुर्मू रहे, जिन्हें केवल 11,542 वोट मिले. इस परिणाम ने साफ कर दिया कि झारखंड में झामुमो की जड़ें अब भी मजबूत हैं और पार्टी ग्रामीण व आदिवासी मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ बनाए हुए है.
कौन हैं सोमेश चंद्र सोरेन?
सोमेश चंद्र सोरेन ने 2011 में ओडिशा स्थित बीजू पटनायक विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री हासिल की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पिता रामदास सोरेन के साथ मिलकर राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया. उनकी जीवनसाथी इंडियन बैंक में काम करती हैं और उनकी एक बेटी भी है. सोमेश की इस जीत ने युवाओं और नए नेतृत्व वाली पीढ़ी को झामुमो में आगे आने और पार्टी में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया है.
झामुमो पार्टी और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड राज्य की प्रमुख आदिवासी पार्टी है, जिसकी स्थापना 1972 में हुई थी. पार्टी ने राज्य निर्माण आंदोलन से लेकर आज तक स्थानीय आदिवासी हितों और विकास को प्रमुख एजेंडा बनाया है. घाटशिला की यह जीत झामुमो के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भाजपा और अन्य विपक्षी दलों के बीच पार्टी की स्थिति को मजबूत करती है. सोमेश चंद्र सोरेन की जीत ने दिखा दिया कि झामुमो नई पीढ़ी के नेताओं के साथ भी मजबूती से राजनीति में अपनी छवि कायम रख सकता है.





